महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में अपनी-अपनी रणनीति
मुंबई.
महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों को लेकर सियासी सरगर्मी तेज हो गई है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा वार्डों के सीमांकन की प्रक्रिया के बीच ‘महायुति’ गठबंधन को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। सूत्रों के हवाले से खबर है कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) राज्य में कई जगहों पर अकेले ही चुनाव लड़ेगी, जिसका अर्थ है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना और उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) भी इन चुनावों में अलग-अलग मैदान में उतर सकती हैं।
भाजपा की अलग तैयारी
यह जानकारी महाराष्ट्र बीजेपी के अध्यक्ष रवींद्र चव्हाण द्वारा दिल्ली में गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात के बाद सामने आई है। हालांकि, मुंबई के बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) चुनावों में बीजेपी, अजित पवार और एकनाथ शिंदे के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी, लेकिन मुंबई के अलावा पुणे और ठाणे जैसे बड़े महानगरपालिकाओं सहित पूरे राज्य में वे स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ेंगे। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पहले ही संकेत दिए थे कि स्थानीय निकाय चुनावों में ‘महायुति’ का गठबंधन बरकरार रहेगा, लेकिन उन्होंने यह भी कहा था कि जहां गठबंधन नहीं होगा, वहां ‘फ्रेंडली कॉन्टेस्ट’ होंगे।
3 चरणों में चुनाव संभव
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव लंबे समय से लंबित हैं। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार चुनावों के साथ या उसके बाद महाराष्ट्र में चुनावी बिगुल बज सकता है। सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनाव तीन चरणों में होने की संभावना है, जिसमें मुंबई बीएमसी के चुनाव अंतिम चरण में कराए जाने की उम्मीद है। राज्य चुनाव आयोग द्वारा वर्तमान में जहां भी चुनाव होने हैं, वहां वार्डों का सीमांकन किया जा रहा है। इसके बाद उनका आरक्षण तय किया जाएगा और फिर वोटर लिस्ट पर काम शुरू होगा। ऐसे में चुनावों के नवंबर-दिसंबर में होने की उम्मीद है। पार्टियों के अलग-अलग लड़ने का एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि इससे बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा, क्योंकि गठबंधन में टिकट के विकल्प सीमित हो जाते हैं।
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