मनसे और शिंदे गुट की तुलना पर भड़कीं प्रियंका चतुर्वेदी

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Priyanka Chaturvedi got angry on comparison of MNS and Shinde group

डिप्टी सीएम पर कसा तंज, कहा- इनके नेता नहीं दिखाते समझदारी
मुंबई.
राज्यसभा सांसद और शिवसेना की नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने मनसे और उनके दल के पूर्व सांसद की कार्रवाई की तुलना शिवसेना (एकनाथ शिंदे गुट) के विधायक संजय गायकवाड़ की हरकत से करने को गलत बताया है। प्रियंका चतुर्वेदी ने स्पष्ट किया कि जनता द्वारा चुने गए नेताओं से ज्यादा जिम्मेदारी और समझदारी की उम्मीद की जाती है। एकनाथ शिंदे गुट के विधायक द्वारा कैंटीन कर्मचारी के साथ मारपीट करने की घटना को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

कुणाल कामरा का दिया उदाहरण
प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा, “जो व्यक्ति कैंटीन कर्मचारी को पीट रहा है, वह महाराष्ट्र का चुना हुआ विधायक है। उसे जिम्मेदारी और परिपक्वता दिखानी चाहिए थी। उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि जब स्टैंडअप कॉमेडियन कुणाल कामरा ने उप मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे पर मजाक किया था, तब उनके समर्थकों ने स्टूडियों को तोड़ दिया था। ऐसे मामले शिंदे गुट में बार-बार देखे जा रहे हैं। एक दुकानदार पर हमला करने के मामले में कहा कि वह भाषा नहीं, बल्कि असम्मान को लेकर था। इस मामले में कानून ने काम किया और कार्यकर्ताओं को हिरासत में लिया गया। जमानती धाराएं लगने के बाद वे जमानत पर छूटे हैं।

प्रियंका चतुर्वेदी का आरोप
उन्होंने आरोप लगाया कि विधायक संजय गायकवाड़ के खिलाफ कोई एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई और न ही उनके खिलाफ कोई बोल रहा है। प्रियंका ने कहा, “मैं किसी को सही ठहराने की कोशिश नहीं कर रही हूं, सिर्फ फर्क समझा रही हूं। पूर्व सांसद राजन विचारे के ऑफिस में कथित तौर पर व्यापारियों को थप्पड़ मारने की घटना पर प्रियंका चतुर्वेदी ने कहा कि इसका भाषा से कोई लेना-देना नहीं थी। उन्होंने कहा कि मामला एक शिवसेना कार्यकर्ता से जुड़ा था, जिसे मोबाइल कनेक्शन मांगने पर पीटा गया। विचारे ने दोषियों को ऑफिस बुलाकर कारण पूछा, लेकिन स्थिति बिगड़ गई।

भाषा विवाद पर क्या कहा?
राज्यसभा सांसद ने बताया कि हाल ही में उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एक मंच पर इसलिए आए, क्योंकि महाराष्ट्र सरकार ने एक जीआर (सरकारी आदेश) के तहत पहली कक्षा से ही हिन्दी को तीसरी अनिवार्य भाषा बना दिया था। इस पर कई लोगों ने आपत्ति जताई थी। हम हिन्दी के खिलाफ नहीं है। मुंबई में हिन्दी फिल्म और टीवी इंडस्ट्री है और राज्य में एक करोड़ से ज्यादा हिन्दीभाषी लोग रहते हैं। लेकिन भाषा को थोपना सही नहीं है।”

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