Tag: ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले

  • शिक्षा विभाग का काम बंद आंदोलन जारी

    शिक्षा विभाग का काम बंद आंदोलन जारी

    शालार्थ आईडी मामले में गिरफ्तारी का विरोध
    नागपुर.
    नागपुर में ‘शालार्थ आईडी’ मामले में माध्यमिक और प्राथमिक शिक्षणाधिकारियों की गिरफ्तारी के विरोध में शिक्षा विभाग के कर्मचारियों ने सोमवार, 4 अगस्त को भी काम बंद आंदोलन जारी रखा। अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद से ही शिक्षा विभाग में पुलिस की कार्रवाई के खिलाफ तीव्र रोष व्याप्त है। गुरुवार को गिरफ्तारी के बाद शुक्रवार को भी शिक्षण उपसंचालक से लेकर सिपाही तक सभी कर्मचारियों ने काम बंद कर विरोध प्रदर्शन किया था।

    अनिश्चितकालीन हड़ताल की चेतावनी
    यह पूरा मामला शालार्थ आईडी से जुड़ा है, जिसमें शिक्षण आयुक्त ने 632 संदिग्ध शिक्षकों की वन-टू-वन सुनवाई का आदेश दिया था, लेकिन पुलिस ने इसके बावजूद शिक्षणाधिकारियों को गिरफ्तार कर लिया। इस गिरफ्तारी ने शिक्षा विभाग के कर्मचारियों को बेहद नाराज कर दिया है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने चेतावनी दी है कि अगर 8 अगस्त से पहले सरकार ने इस मामले में कोई उचित निर्णय नहीं लिया, तो वे अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। इस आंदोलन में मुंबई और पुणे सहित पूरे राज्य के शिक्षा विभाग के राजपत्रित अधिकारी और कर्मचारी शामिल हैं।

    आरोप : उचित प्रक्रिया का पालन नहीं
    कर्मचारियों का मानना है कि पुलिस ने बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए अधिकारियों को गिरफ्तार किया है, जबकि विभाग स्तर पर मामले की जांच अभी चल रही थी। इस काम बंद आंदोलन से शिक्षण से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्य प्रभावित हो रहे हैं। शिक्षा विभाग के कर्मचारी अपनी एकजुटता का प्रदर्शन कर रहे हैं, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके और उनके अधिकारियों को न्याय मिल सके।

  • जेल गए अधिकारी, कौन ले जिम्मेदारी

    जेल गए अधिकारी, कौन ले जिम्मेदारी

    शालार्थ आईडी घोटाले का गहरा असर
    नागपुर.
    ‘शालार्थ आईडी’ घोटाले में माध्यमिक शिक्षणाधिकारी रोहिणी कुंभार और प्राथमिक शिक्षणाधिकारी सिद्धेश्वर कालुसे को एसआईटी ने गिरफ्तार कर लिया है। दोनों की गिरफ्तारी ने न केवल शिक्षा विभाग, बल्कि जिला परिषद के अन्य विभागों में भी भय का वातावरण बना दिया है। जहां नियम-कानूनों को ताक पर रखकर काम होता है, वहां अब कर्मचारियों को अपने ऊपर गाज गिरने का डर सता रहा है। कोई भी कर्मचारी इस घोटाले पर खुलकर बात करने को तैयार नहीं है, जिससे जांच प्रक्रिया और भी जटिल हो सकती है।

    दो अफसरों ने 100 करोड़ से अधिक लूटा
    इस घोटाले से सरकारी खजाने को 100 करोड़ रुपये का चूना लगा है, जो निजी स्वार्थ के लिए शिक्षकों के वेतन को मंजूरी देने से संबंधित है। बड़ी बात यह कि दोनों आला अधिकारियों की गिरफ्तारी के बाद अब कोई भी अधिकारी इन रिक्त पदों की जिम्मेदारी संभालने को तैयार नहीं है और घोटाले के संदिग्ध कर्मचारी गिरफ्तारी के डर से लंबी छुट्टी पर चले गए हैं।

    और लोगों पर लटकी तलवार
    जिला परिषद के शिक्षा विभाग में सन्नाटा पसरा हुआ है। इस कारण चर्चा तेज है कि यह घोटाला केवल दो अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई और लोग शामिल हो सकते हैं। शिक्षा आयुक्त द्वारा दोनों अधिकारियों को पुणे तलब किए जाने और चार महीने तक फाइलों की पड़ताल करने के बावजूद, वे खुद को निर्दोष साबित करने की कोशिश करते रहे, लेकिन अंततः उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। सबसे बड़ा सवाल अब यह है कि बिना शिक्षणाधिकारी के जिले के शिक्षा विभाग का कामकाज कैसे चलेगा। दोनों अधिकारी पुणे में थे, तब उपशिक्षणाधिकारी निखिल भुयार और वेतन अधीक्षक गौतम गेडाम प्रभार संभल रहे थे। अब ये दोनों कतरा रहे हैं।