Tag: डोनाल्ड ट्रंप

  • ट्रंप ने व्हाइट हाउस से हटाए 100 अधिकारी

    ट्रंप ने व्हाइट हाउस से हटाए 100 अधिकारी

    नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल में फेरबदल
    वाशिंगटन.
    अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने व्हाइट हाउस में बड़ा बदलाव किया है। उन्होंने शुक्रवार को नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एनएससी) के दर्जनों स्टाफ मेंबर्स की छुट्टी कर दी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, यह कदम एनएससी के संविधान और आकार को सीमित करने की रणनीति के तहत उठाया गया है। जिन कर्मचारियों को निकाला गया, वे ज्यादातर यूक्रेन, कश्मीर जैसे संवेदनशील भू-राजनीतिक मामलों पर कार्य कर रहे थे। उन्हें शुक्रवार दोपहर पद छोड़ने का निर्देश दिया गया।

    ट्रंप सरकार के सलाहकार निकले पूर्व जिहादी
    एनएससी से स्टाफ की बड़े पैमाने पर छंटनी ऐसे समय में की गई है, जब करीब तीन हफ्ते पहले राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार माइक वॉल्ट्ज को हटा दिया था। इसके बाद, विदेश मंत्री मार्को रूबियो को अस्थायी रूप से एनएससी का प्रमुख नियुक्त किया गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि एनएससी में स्टाफ कटौती के बाद, अब राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया मामलों पर विदेश मंत्रालय, रक्षा मंत्रालय और अन्य अहम एजेंसियों का दखल और अधिकार बढ़ जाएगा। भू-राजनीतिक कूटनीति से जुड़े फैसलों में अब इन विभागों की भूमिका और ज्यादा महत्वपूर्ण मानी जा रही है।

    राहत भरी खबर यह भी है
    ट्रंप प्रशासन अब एनएससी में सिर्फ कुछ दर्जन कर्मचारियों को बनाए रखने की योजना पर काम कर रहा है, जबकि बाकी स्टाफ को हटाने की तैयारी चल रही है। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पुनर्गठन के बाद एनएससी में कुल स्टाफ की संख्या घटकर केवल 50 रह सकती है। बता दें कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में एनएससी में 300 से ज़्यादा अधिकारी और कर्मचारी कार्यरत थे। राहतभरी खबर यह है कि, ट्रंप प्रशासन उनकी सेवाएं पूरी तरह खत्म करने की बजाय, उन्हें सरकार के अन्य विभागों में स्थानांतरित करने की योजना पर काम कर रहा है। इस कदम से कई अनुभवी अधिकारी सरकारी सिस्टम का हिस्सा बने रह सकते हैं, भले ही वे अब एनएससी का हिस्सा न हों।

  • ट्रंप नहीं लड़ेंगे फिर से राष्ट्रपति चुनाव

    ट्रंप नहीं लड़ेंगे फिर से राष्ट्रपति चुनाव

    लिया यू-टर्न, सुझाए दो नाम
    वाशिंगटन.
    डोनाल्ड ट्रंप तीसरी बार राष्ट्रपति बनने के लिए चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस विषय पर उन्होंने यू-टर्न ले लिया है। अपने दूसरे कार्यकाल को 100 दिन पूरे होने पर उन्होंने कई बड़े फैसले लिए और जमकर हर मुद्दे पर बयानबाजी भी की। कुछ समय पहले ट्रंप ने कहा था कि वह अपने दूसरे कार्यकाल के खत्म होने के बाद तीसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनने की इच्छा रखते हैं। हालांकि अमेरिकी संविधान के अनुसार ऐसा संभव नहीं है।

    जेडी वेंस और मार्को रुबियो का नाम सुझाया
    ट्रंप ने एक इंटरव्यू के दौरान यह साफ कर दिया है कि वह फिर से अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव नहीं लड़ेंगे। इस दौरान ट्रंप ने वर्तमान अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस और विदेश मंत्री मार्को रुबियो का भावी अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए नाम सुझाया। इसके साथ ही ट्रंप ने यह भी कहा कि रिपब्लिकन पार्टी में कुछ अन्य संभावित भविष्य के उम्मीदवार भी उभरकर आ सकते हैं।

    चार शानदार साल काम करना चाहता हूं
    ट्रंप ने इंटरव्यू में इस बारे में बात करते हुए कहा, “बहुत सारे ऐसे लोग हैं जो चाहते हैं कि मैं तीसरे कार्यकाल के लिए चुनावी मैदान में उतरू। लेकिन संविधान के अनुसार ऐसा करने की अनुमति नहीं है। मैं ऐसा करने की नहीं सोच रहा। मैं दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति के तौर पर चार शानदार साल काम करना चाहता हूं और इसके बाद यह ज़िम्मेदारी किसी और को देना चाहता हूं और इसके लिए रिपब्लिक पार्टी का कोई बेहतरीन उम्मीदवार अच्छा विकल्प रहेगा।”
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  • ट्रंप की हत्या कर सरकार गिराना चाहता था 17 साल का लड़का

    ट्रंप की हत्या कर सरकार गिराना चाहता था 17 साल का लड़का

    माता-पिता की हत्या कर दी
    न्यूयार्क.
    अमेरिका के विस्कॉन्सिन स्टेट में रहने वाले 17 साल के निकिता कैसप को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। उस शख्स पर आरोप है कि उसने अपने माता-पिता की हत्या कर दी। उसने माता-पिता की हत्या सिर्फ इसलिए कर दी, ताकि वह अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या कर सके। अमेरिका में इस वक्त राष्ट्रीय सुरक्षा बड़ा मुद्दा बना हुआ है। उसका प्लान कुछ ऐसा था कि पहले वह अपने माता-पिता की हत्या कर दे और फिर उनका पैसा लेकर ट्रंप के खिलाफ हथियार खरीदकर उनकी हत्या कर दे।

    अपराध के अनुसार तय होती है सजा
    अमेरिका में हत्या करने पर सजा राज्य और अपराध की गंभीरता के अनुसार अलग-अलग होती है। कई राज्यों में हत्या के लिए मृत्युदंड की सजा निर्धारित की गई है, जबकि कई मामलों में आजीवन कारावास की सजा या अन्य लंबी सजाएं निर्धारित की गई हैं। सजा भी इस बात पर निर्भर करती है हत्या पूर्व नियोजित और जान-बूझकर की गई है, या फिर अचानक और आवेग में आकर की गई है। कई राज्य मृत्युदंड को सजा के रूप में नहीं माना जाता है और आजीवन कारावास को गंभीर सजा के रूप में माना जाता है।

    नाबालिग के लिए सजा के नियम
    कई राज्यों में अचानक और आवेग में आकर की गई हत्या के लिए आमतौर पर आजीवन कारावास से कम सजा नहीं होती है, हालांकि यह हत्या की परिस्थिति पर भी निर्भर करता है। कई मामलों में सजा के रूप में 20 या 30 साल की जेल की जेल भी हो सकती है। अगर हत्या के वक्त कोई शख्स नाबालिग था, जिसकी उम्र करीब 15 साल के आसपास थी तो उसके लिए न्यूनतम सजा 15 साल इसके बाद पैरोल की भी संभावना है, नहीं तो जेल में में आजीवन कारावास की भी सजा हो सकती है।

  • फिर शुरू होगा ट्रंप का डिपोर्टेशन अभियान

    फिर शुरू होगा ट्रंप का डिपोर्टेशन अभियान

    सुप्रीम कोर्ट ने हटाई रोक
    वाशिंगटन.
    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को देश के सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को निचली अदालत के उस आदेश को हटा दिया, जिसमें युद्धकालीन कानून का इस्तेमाल करके वेनेज़ुएला के अवैध प्रवासियों के डिपोर्टेशन पर रोक लगाई गई थी। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि 1798 के विदेशी शत्रु अधिनियम के तहत डिपोर्टेशन के अधीन प्रवासियों को अपने डिपोर्टेशन को कानूनी रूप से चुनौती देने का मौका दिया जाना चाहिए।

    फैसले का यह असर होगा
    इसके पहले एक संघीय अदालत के न्यायाधीश ने राष्ट्रपति ट्रंप के डिपोर्टेशन वाले फैसले पर रोक लगा दी थी। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद वह अब फिर से अपना डिपोर्टेशन शुरू कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से मिला ग्रीन सिग्नल उन्हें इस बात की पूरी अनुमति देता है। राष्ट्रपति ट्रंप ने इस कानून का उपयोग कथित वेनेज़ुएला के गैंग मेंबर्स को पकड़ने और उन्हें अल साल्वाडोर की जेल में भेजने के लिए किया था।

    राष्ट्रपति बनते ही इरादे जताए थे
    गौरतलब है कि डोनाल्ड ट्रंप ने दूसरी बार अमेरिकी राष्ट्रपति बनते ही यह साफ कर दिया था कि अमेरिका में अवैध तरीके से रह रहे लोगों को देश से निकाला जाएगा। अपने डिपोर्टेशन अभियान के तहत ट्रंप ने कई देशों के ऐसे नागरिकों को अमेरिका से डिपोर्ट भी किया है, जो अवैध तरीके से अमेरिका में रह रहे थे। हालांकि ट्रंप का यह डिपोर्टेशन अभियान तब रुक गया था, जब एक निचली अदालत ने इस पर रोक लगा दी थी।

  • ट्रंप ने 530,000 लोगों से छीना उनका क़ानूनी दर्जा

    ट्रंप ने 530,000 लोगों से छीना उनका क़ानूनी दर्जा

    चार देशों के ख़िलाफ़ लिया बड़ा फैसला

    वाशिंगटन.

    डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने शुक्रवार को घोषणा की कि वह अमेरिका में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के नागरिकों को दिए गए कानूनी संरक्षण को रद्द कर देगा। यह कदम, बाइडन की ओर से शुरू किए गए पैरोल प्रोग्राम को पलटते हुए लिया गया है, जिससे कई लोगों का कानूनी स्थायित्व खतरे में पड़ जाएगा। इस फैसले के परिणामस्वरूप, लगभग 530,000 लोगों को अगले एक महीने के भीतर अमेरिका छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है।

    दो साल का काम और निवास परमिट 

    अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अवैध प्रवासियों के खिलाफ अपनी कार्रवाई को और सख्त कर रहे हैं। क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के अप्रवासी, जो अक्टूबर 2022 में फाइनेंसियल स्पॉन्सर के साथ अमेरिका पहुंचे थे, उन्हें दो साल का काम और निवास परमिट दिया गया था। अब, होमलैंड सुरक्षा विभाग ने ऐलान किया है कि 24 अप्रैल को संघीय रजिस्टर में नोटिस प्रकाशित होने के 30 दिन बाद, ये लोग अपना लीगल स्टेटस खो देंगे।

    उन्हें कानूनी दर्जे से वंचित किया जाएगा

    गौरतलब है कि पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन के कार्यकाल में क्यूबा, हैती, निकारागुआ और वेनेज़ुएला के प्रवासियों को दो साल की पैरोल दी गई थी, जो अब समाप्त हो गई है। इन चार देशों के नागरिकों को अमेरिकी स्पॉन्सर के साथ हवाई मार्ग से अमेरिका में प्रवेश करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन अब यह पैरोल प्रभावी रूप से समाप्त हो गई है, और उन्हें कानूनी दर्जे से वंचित किया जाएगा।

    अमेरिका में प्रवेश और निवास की अनुमति मिलती थी

    ट्रंप प्रशासन ने मानवीय पैरोल सिस्टम को समाप्त करने का फैसला किया है, जो लंबे समय से एक कानूनी प्रक्रिया के रूप में इस्तेमाल हो रहा था। इस सिस्टम के तहत, युद्ध या राजनीतिक अस्थिरता से प्रभावित देशों के नागरिकों को अस्थायी रूप से अमेरिका में प्रवेश और निवास की अनुमति मिलती थी। हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने इस सिस्टम के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए इसे खत्म करने का निर्णय लिया है।

    उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है

    होमलैंड सुरक्षा विभाग ने घोषणा की है कि अमेरिका में वैध स्थिति के बिना, यानी पैरोल पर आए प्रवासियों को अपनी पैरोल समाप्ति तिथि से पहले देश छोड़ना होगा। इस फैसले के परिणामस्वरूप, 530,000 प्रवासियों को कानूनी स्थिति खोने का सामना करना पड़ सकता है, और उन्हें निर्वासन का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि पैरोल प्रोग्राम के तहत प्रवेश करने वाले कितने लोगों ने अब तक स्थायी कानूनी स्थिति प्राप्त की है।

    बाइडन ने क्या फैसला लिया था ?

    ध्यान रहे कि तत्कालीन राष्ट्रपति जो बाइडन ने सन 2022 में वेनेजुएला के नागरिकों के लिए एक पैरोल एंट्री प्रोग्राम की शुरुआत की थी। इसके बाद, 2023 में इस कार्यक्रम का विस्तार करते हुए क्यूबा, हैती और निकारागुआ के नागरिकों को भी इसमें शामिल किया गया। हालांकि, इन चार देशों और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच राजनयिक और राजनीतिक संबंधों में लगातार तनाव बना हुआ है।