बैंक के अध्यक्ष पद से अयोग्य घोषित करने को चुनौती
नागपुर.
प्रहार जनशक्ति पार्टी के नेता और पूर्व मंत्री बच्चू कडू को बॉम्बे हाई कोर्ट की नागपुर खंडपीठ ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया है। यह मामला अमरावती जिला मध्यवर्ती सहकारी बैंक के अध्यक्ष पद से उनकी अयोग्यता से संबंधित है।
इस मामले में सुनाई गई है सजा
उन्हें नासिक में 2017 के एक आंदोलन से जुड़े मामले में एक साल की साधारण कारावास की सजा सुनाई गई थी। सहकारी बैंकिंग नियमों के तहत, एक वर्ष या उससे अधिक की सजा पाने वाला व्यक्ति निदेशक के पद पर रहने के लिए अयोग्य माना जाता है। कडू ने इस अयोग्यता के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी और सजा पर रोक लगाने के साथ-साथ अंतरिम राहत की मांग की थी, ताकि वह अपने अध्यक्ष पद पर बने रह सकें।
इन दलीलों पर विचार
बैंक के शासी बोर्ड ने इस याचिका का विरोध करते हुए कहा कि जब तक सजा पर ही रोक न लगाई जाए, तब तक कडू कानून के तहत अयोग्य ही रहेंगे। कोर्ट ने इन दलीलों पर विचार करते हुए अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया, लेकिन सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी करने का निर्देश दिया है। पहले भी, हाईकोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित किया था, लेकिन उस पर रोक नहीं लगाई थी, जिसके कारण कानूनी रूप से वह अयोग्य बने हुए थे।
अगली सुनवाई 24 को
बच्चू कडू की याचिका पर न्या. अनिल पानसरे के समक्ष सुनवाई हुई। कडू ने सजा पर स्थगन और अंतरिम राहत की मांग की। हालांकि, निदेशक मंडल ने कैविएट दायर कर मांग की थी कि, उनकी बात सुने बिना कोई फैसला न दिया जाए। मंडल की ओर से अधिवक्ता ऋग्वेद ढोरे ने तर्क प्रस्तुत किए। उन्होंने कोर्ट को बताया कि, कडू ने इस मामले में पहले भी मुंबई हाई कोर्ट का रुख किया था, तब कोर्ट ने सजा पर स्थगन देने के बजाय केवल सजा को निलंबित किया था, इसलिए कानून के अनुसार स्थगन प्राप्त होने तक कडू इस पद के लिए योग्य नहीं हो सकते। साथ ही विपक्षी पक्ष ने कडू को अंतरिम राहत नहीं देने की मांग भी की। इस पर कोर्ट ने अंतरिम राहत देने से इनकार करते हुए सभी प्रतिवादियों को नोटिस जारी किया और मामले की अगली सुनवाई 24 जून को तय की।
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