बांग्लादेश में जनता का सेना की छावनी की ओर मार्च

यूनुस ने दिया इस्तीफे का अल्टीमेटम
ढाका.
बांग्लादेश की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। राजधानी ढाका में शुक्रवार की जुमे की नमाज़ के बाद जैसे ही भीड़ मस्जिदों से बाहर निकली, हजारों छात्र और इस्लामवादी संगठन सड़कों पर उतर आए। सोशल मीडिया पर वायरल आह्वानों के बाद कई इलाकों में प्रदर्शनकारियों ने सेना छावनी की ओर मार्च करना शुरू कर दिया। इस बीच अंतरिम सरकार के मुखिया मुहम्मद यूनुस का धमकी भरा बयान सामने आया है “यदि सभी दल मेरा समर्थन नहीं करते तो मैं पद छोड़ दूंगा। यूनुस की यह चेतावनी ऐसे वक्त पर आई है जब सेना प्रमुख जनरल वकर-उज़-ज़मान ने दिसंबर तक चुनाव कराने की बात दोहराई और बीएनपी ने स्पष्ट रोडमैप की मांग की।

दबाव बनाने की रणनीति
अंतरिम प्रधानमंत्री यूनुस का यह बयान विपक्ष पर दबाव बनाने की रणनीति माना जा रहा है। जानकारों का कहना है कि यूनुस की ‘इस्तीफा धमकी’ दरअसल बीएनपी और अन्य विपक्षी दलों को झुकाने की एक सियासी चाल है, ताकि वे चुनावी प्रक्रिया में शामिल हो जाएं। हालांकि बीएनपी ने इसे सत्ता पक्ष की “नाटकीयता” बताया है और कहा है कि जब तक चुनाव की तारीख और निष्पक्षता सुनिश्चित नहीं होती, वे आंदोलन जारी रखेंगे।

बांग्लादेश राजनीतिक अस्थिरता की गिरफ्त में
बहरहाल बांग्लादेश एक बार फिर राजनीतिक अस्थिरता की गिरफ्त में है। यूनुस का अगला कदम क्या होगा-यह आने वाले कुछ दिनों में देश की दिशा तय कर सकता है। सभी की नजर अब ढाका की सड़कों और सेना मुख्यालय पर टिकी है।

यूनुस के बयान के बाद ढाका में प्रदर्शन तय
यूनुस की आलोचना इसलिए भी हो रही है, क्योंकि हाल के महीनों में उनकी सरकार के दौरान कई कट्टरपंथी कदम उठाए गए—जैसे अवामी लीग पर प्रतिबंध, महिला सुधारों को रोकना, और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजीबुर रहमान के घर को निशाना बनाना। हालांकि यूनुस ने इन कार्रवाइयों में अपनी भूमिका को नकारा है, लेकिन उन्होंने कभी खुलकर विरोध भी नहीं किया।

बांग्लादेश में फिर उबाल की आशंका
बीएनपी ने अब यूनुस पर चुनावों में देरी करके सत्ता पर कब्ज़ा बनाए रखने की कोशिश का आरोप लगाया है। पार्टी ने न सिर्फ उनके कैबिनेट के दो सदस्यों के इस्तीफे की मांग की है, बल्कि ढाका साउथ के मेयर पद पर उम्मीदवार की घोषणा करने की मांग भी रखी है।

बांग्लादेश की अंतरिम सत्ता डगमगाई
राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना है कि यूनुस इस्लामवादी ताकतों और छात्रों का इस्तेमाल करके एक वैकल्पिक सत्ता संरचना तैयार कर रहे हैं। भले ही उन्होंने चुनाव जून 2026 तक कराने की बात कही हो, लेकिन बीएनपी को डर है कि यह सिर्फ एक बहाना है। स्थिति इस कदर बिगड़ चुकी है कि अब यूनुस की हर चाल को सत्ता में बने रहने की कोशिश माना जा रहा है। यदि जल्द समाधान नहीं निकला, तो बांग्लादेश एक और राजनीतिक संकट की ओर बढ़ सकता है।

Comments

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

More posts