कर्नल कुरैशी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की निंदा

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Condemnation of derogatory remarks against Colonel Qureshi

राष्ट्रीय महिला आयोग ने लिया संज्ञान
नई दिल्ली.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने कर्नल सोफिया कुरैशी पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों पर कड़ी असहमति व्यक्त की है तथा समाज से सशस्त्र बलों में सेवारत महिलाओं का सम्मान करने का आग्रह किया है। हालांकि एनसीडब्ल्यू की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने किसी व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन उनकी टिप्पणी मध्य प्रदेश के मंत्री विजय शाह द्वारा कर्नल कुरैशी के खिलाफ कथित टिप्पणी के बाद पैदा हुए जनाक्रोश के बाद आई है।

यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण
विजया रहाटकर ने कहा कि यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ जिम्मेदार व्यक्तियों द्वारा ऐसे बयान दिए जा रहे हैं जो महिलाओं के प्रति अपमानजनक और अस्वीकार्य हैं। इससे न केवल हमारे समाज में महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचती है, बल्कि देश की उन बेटियों का भी अपमान होता है जो देश की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने कहा कि कर्नल सोफिया कुरैशी एक साहसी और समर्पित अधिकारी हैं, देश की एक गौरवान्वित बेटी हैं, जिनकी सभी भारतीय प्रशंसा करते हैं और देश उनके जैसी बहादुर महिलाओं के साथ खड़ा है।

सोफिया कुरैशी पर देश को गर्व है
उन्होंने कहा, “प्रिय कर्नल सोफिया कुरैशी इस देश की एक गौरवशाली बेटी हैं, सभी देश-प्रेमी भारतीयों की बहन हैं, जिन्होंने साहस और समर्पण के साथ देश की सेवा की है इस तरह के अपमानजनक बयानों की “कड़ी निंदा” की जानी चाहिए। दरअसल कांग्रेस ने एक वीडियो साझा किया जिसमें शाह को कथित तौर पर यह कहते हुए सुना जा सकता है, ‘‘जिन्होंने हमारी बेटियों के सिन्दूर उजाड़े थे…हमने उनकी बहन भेज कर उनकी ऐसी की तैसी कराई। शाह ने बाद में कहा कि अगर मेरे शब्दों से समाज और धर्म को ठेस पहुंची है तो मैं दस बार माफी मांगने को तैयार हूं। कर्नल सोफिया ‘ऑपरेशन सिंदूर’ को लेकर भारत के पक्ष को मीडिया के माध्यम से देश-दुनिया के सामने रखने वाली टीम का हिस्सा थीं।

हर क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन
रहाटकर ने सीबीएसई के परिणामों की ओर भी इशारा किया, जिसमें लड़कियों ने कई श्रेणियों में लड़कों से बेहतर प्रदर्शन किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति सम्मानजनक रवैया अपनाना जरूरी है। एक प्रगतिशील राष्ट्र के लिए यह आवश्यक है कि महिलाएं आगे बढ़ें और हर क्षेत्र में नेतृत्व करें। महिलाओं की भागीदारी और योगदान को कम आंकना न केवल अस्वीकार्य है, बल्कि देश के विकास में भी बाधा है।

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