सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को जमकर फटकारा

सावरकर मामले में दी चेतावनी, कहा- फिर ऐसा ना हो
नई दिल्ली.
लोकसभा में विपक्ष के नेता और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर पर उनके विवादित बयान को लेकर शीर्ष अदालत ने सख्त रुख अपनाया और चेतावनी दी कि देश के स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में गैर-जिम्मेदार टिप्पणियां बर्दाश्त नहीं की जाएंगी। हालांकि, कोर्ट ने राहुल गांधी को राहत भी दी और निचली अदालत में उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई पर रोक लगा दी।

कोर्ट ने दी सख्त चेतावनी
न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की अध्यक्षता वाली पीठ ने राहुल गांधी को कड़े शब्दों में फटकारते हुए कहा कि इतिहास को समझे बिना आप इस तरह के बयान नहीं दे सकते। अगर भविष्य में ऐसी टिप्पणियां दोबारा की गईं, तो सुप्रीम कोर्ट स्वतः संज्ञान लेगा और सुनवाई करेगा। कोर्ट ने तंज कसते हुए आगे कहा कि आप उन लोगों के बारे में कैसे ऐसा कह सकते हैं, जिन्होंने हमें आजादी दिलाई? कल को आप महात्मा गांधी को लेकर भी कुछ कह देंगे, क्योंकि उन्होंने सावरकर को ‘फेथफुल सर्वेंट’ कहा था?

आपको ऐसा नहीं करना चाहिए
सुप्रीम कोर्ट ने यह भी याद दिलाया कि महात्मा गांधी ने सावरकर को सम्मान दिया था और राहुल गांधी की दादी, पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने भी उन्हें पत्र लिखा था। जस्टिस दीपांकर दत्ता ने राहुल गांधी को नसीहत देते हुए कहा, “आप महाराष्ट्र जाकर इस तरह के बयान दे रहे हैं, जहां वीर सावरकर की पूजा होती है। आपको ऐसा नहीं करना चाहिए। आप ऐसी टिप्पणियां क्यों कर रहे हैं?”

राहुल के किस बयान पर है विवाद
यह मामला 2022 में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान महाराष्ट्र में राहुल गांधी के एक विवादित बयान से जुड़ा है। राहुल ने सावरकर पर टिप्पणी करते हुए कहा था कि वे अंग्रेजों से पेंशन लेते थे। इस बयान के बाद वकील नृपेंद्र पांडे ने लखनऊ की निचली अदालत में शिकायत दर्ज की थी। निचली अदालत ने पहली नजर में राहुल गांधी के खिलाफ आईपीसी की धारा 153(ए) और 505 के तहत मामला दर्ज कर समन जारी किया था। राहुल गांधी ने इस समन को चुनौती दी और फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सख्त हिदायत दी कि वे भविष्य में इस तरह की गैर-जिम्मेदार टिप्पणियों से बचें, खासकर उन स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में जिन्हें देश सम्मान की नजर से देखता है। कोर्ट का यह फैसला न केवल राहुल गांधी के लिए एक सबक है, बल्कि यह भी संदेश देता है कि स्वतंत्रता सेनानियों के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली बातें स्वीकार नहीं की जाएगी।

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