शिंदे को सता रहा बगावत का डर

शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में अहम प्रस्ताव
मुंबई.
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को क्या पार्टी में फूट का डर सता रहा है। शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पेश किया गया एक प्रस्ताव इस बात की ओर इशारा करता है। शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बीते दिनों हुई। इसमें कुछ महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे गए। इनमें से ‘शिवकोष शिवसेना विश्वस्त संस्था’ की स्थापना का प्रस्ताव सबसे ज्यादा ध्यान खींचने वाला था। दरअसल उद्धव ठाकरे को पार्टी में फूट के कारण बहुत बड़ा नुकसान हुआ। उनके ज्यादातर विधायक और सांसदों ने उनका साथ छोड़ दिया। कई नेता भी शिंदे गुट में चले गए। इसके बाद शिवसेना के कई मध्यवर्ती कार्यालयों और शाखाओं पर शिंदे गुट के नेताओं ने अपना दावा जताया। इससे ठाकरे और भी मुश्किल में आ गए।

शिंदे ने क्यों उठाया ये कदम?
एकनाथ शिंदे को अच्छी तरह पता है कि पार्टी में फूट के बाद ठाकरे के हाथ से कई मध्यवर्ती कार्यालय और शाखाएं कैसे निकल गईं? इसलिए अब शिंदे सतर्क होकर कदम उठा रहे हैं। शिवसेना के विधायक, सांसद और नेताओं के अलग होने के बाद स्थानीय स्तर पर पार्टी के कार्यालय और शाखाएं शिंदे गुट के पास चले गए। इन कार्यालयों और शाखाओं पर शिंदे गुट के नेताओं ने दावा किया। जिससे ठाकरे को शर्मिंदगी उठानी पड़ी।

किसने रखा प्रस्ताव?
ठाकरे के साथ जो हुआ, उससे शिंदे ने सबक लिया है। तीन साल पहले जब महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली महा विकास अघाड़ी सरकार सत्ता में थी। तब शिवसेना के इतिहास की सबसे बड़ी बगावत हुई थी। इस बगावत के बाद उद्धव ठाकरे को राजनीतिक रूप से बहुत नुकसान हुआ। उनके मुख्यमंत्री रहते हुए शिवसेना पार्टी टूट गई। एकनाथ शिंदे के नेतृत्व में पार्टी में सबसे बड़ी बगावत हुई। इससे ठाकरे सरकार गिर गई। इसके बाद पार्टी और चुनाव चिन्ह भी ठाकरे के हाथ से चले गए। भविष्य में ऐसा न हो, इसलिए शिंदे गुट ने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में ‘शिवकोष शिवसेना विश्वस्त संस्था’ की स्थापना का प्रस्ताव रखा। पार्टी के कार्याध्यक्ष और विधायक बालाजी किणीकर ने विश्वस्त संस्था की स्थापना का प्रस्ताव पेश किया।

शिवसेना को क्या होगा फायदा?
शिवसेना के मध्यवर्ती कार्यालय और शाखाएं अब ‘शिवकोष शिवसेना विश्वस्त संस्था’ के अंतर्गत आएंगे। इनका प्रबंधन विश्वस्त संस्था द्वारा किया जाएगा। पार्टी निधि, जरूरतमंदों को मदद और पार्टी की ओर से आयोजित किए जाने वाले अन्य कार्यक्रमों का आयोजन संस्था द्वारा किया जाएगा। पार्टी द्वारा किए जाने वाले समाजोपयोगी और लोकपयोगी काम भी संस्था द्वारा किए जाएंगे। इसका मतलब है कि पार्टी के सभी महत्वपूर्ण काम और संपत्ति अब इस संस्था के अंतर्गत होगी। इससे भविष्य में किसी भी तरह की फूट से पार्टी को बचाया जा सके। शिंदे गुट अब ठाकरे की तरह नुकसान नहीं उठाना चाहता है।

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