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  • हिंदी-मराठी के बीच अंग्रेजी की लंगड़ी

    हिंदी-मराठी के बीच अंग्रेजी की लंगड़ी

    महाराष्ट्र विधानसभा में ‘भाषा युद्ध’ : भड़के मुनगंटीवार, बोले- जिन्हें हिंदी-मराठी नहीं आती, उन्हें ब्रिटेन भेज दो!
    मुंबई.
    महाराष्ट्र में हिंदी भाषा को लेकर चल रहे राजनीतिक घमासान के बीच अब अंग्रेजी भाषा भी विवादों के घेरे में आ गई है। विधानसभा में भाजपा सदस्य और पूर्व मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने विधानमंडल की कार्यक्रम पत्रिका के अंग्रेजी में छपने पर तीखी आपत्ति जताई। उन्होंने यहां तक कह दिया कि जिन लोगों को हिंदी या मराठी नहीं आती, उन्हें सीधे ब्रिटेन की संसद में भेज दिया जाना चाहिए!

    क्या है पूरा मामला?
    मुनगंटीवार ने औचित्य का मुद्दा उठाते हुए कहा कि वह कई सालों से विधानमंडल के कामकाज की पत्रिका को मराठी में देखते आ रहे हैं, लेकिन अब इस प्रथा को बदला जा रहा है। उन्होंने अंग्रेजी पत्रिका को हाथ में लहराते हुए कहा कि उन्हें यह देखकर काफी दुख हुआ। उन्होंने तर्क दिया कि महाराष्ट्र विधानसभा के नियमों के अनुसार कामकाज की भाषा मराठी, हिंदी या अंग्रेजी हो सकती है, लेकिन 1995 से सदन के सदस्य होने के बावजूद उन्होंने पहले कभी कार्यक्रम पत्रिका अंग्रेजी में नहीं देखी। मुनगंटीवार ने जोर देकर कहा कि जिन अधिकारियों को मराठी भाषा नहीं आती, उन्हें सीखनी चाहिए, क्योंकि मराठी को अभिजात भाषा का दर्जा मिल गया है। उनकी मांग थी कि जो लोग जबरदस्ती अंग्रेजी का इस्तेमाल कर रहे हैं, उन्हें हिंदी बोलनी चाहिए और सरकार को इस बारे में सख्ती से पेश आना चाहिए। इतना ही नहीं, मुनगंटीवार ने विधानमंडल की नियमावली से ‘अंग्रेजी’ शब्द भी हटाने की मांग कर दी।

    अध्यक्ष नार्वेकर ने दिया जवाब
    मुनगंटीवार के आक्रामक रुख पर विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर ने उन्हें शांत करने की कोशिश की। नार्वेकर ने कहा कि जब हिंदी भाषा को लेकर पहले से ही राज्य में बवाल चल रहा है, तो अब अंग्रेजी को लेकर उन्हें नया बवाल नहीं खड़ा करना चाहिए। अध्यक्ष ने एक खुलासा करते हुए बताया कि सदन के आठ सदस्यों ने न तो हिंदी में और न ही मराठी में, बल्कि अंग्रेजी में विधानसभा की कार्यवाही की जानकारी मांगी है। हालांकि, नार्वेकर ने उन सदस्यों के नामों का खुलासा नहीं किया। यह घटना महाराष्ट्र की भाषाई राजनीति में एक नया मोड़ ला सकती है, जहां अब सिर्फ हिंदी बनाम मराठी ही नहीं, बल्कि अंग्रेजी का मुद्दा भी गरमा गया है। क्या यह सिर्फ एक राजनीतिक बयानबाजी है या महाराष्ट्र में भाषा को लेकर एक बड़ा बदलाव आने वाला है?

  • सुधीर मुनघंटीवार : बस ‘वंदे मातरम’ कहो… आलोचकों को आलोचना करने दो

    सुधीर मुनघंटीवार : बस ‘वंदे मातरम’ कहो… आलोचकों को आलोचना करने दो

    सुधीर मुनघंटीवार :  प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में फोन पर बात करते समय ‘हैलो’ की जगह ‘वंदे मातरम’ से बातचीत शुरू की जाएगी. सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगतीवार (सुधीर मुनगतीवार) ने इसका ऐलान किया, जिसके बाद इस फैसले को लेकर कई स्तरों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही थीं. अब इसमें हिंदू महासंघ भी कूद पड़ा है। हिंदू संघ ने भी अपना स्टैंड व्यक्त किया है कि इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए और अत्यधिक आलोचना नहीं की जानी चाहिए। सुधीर मुनघंटीवार को निर्णय लेना चाहिए कि इस निर्णय को सभी विभागों में लागू किया जाएगा। एक भी मंत्री इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लेगा। चूंकि केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है तो उन्हें भी इस फैसले का स्वागत करना चाहिए. जितेंद्र अवाडा ने इसकी आलोचना की क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के सभी लोग रहते हैं। लेकिन मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को इस पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर उनके नेताओं को इस फैसले पर आपत्ति है तो वे नेतृत्व की आलोचना करने के लिए इस पर आपत्ति जता रहे हैं, ब्राह्मण फेडरेशन के अध्यक्ष आनंद दवे ने राय व्यक्त की है।

    देश के सभी मतदाता हिंदू हो गए हैं। कोर्ट के फैसले भी आ रहे हैं। पिछले 70 सालों में हिंदुओं की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। तो अब यह जनमत बनाया गया है। तो यह फैसला सही है। अगर किसी को इस पर कोई आपत्ति है तो खुलकर बताएं, लेकिन मतदाता जागरूक हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम आलोचना का स्वागत करते हैं. .. उन्होंने राय व्यक्त की है कि वंदे मातरम के बजाय जय बलिराम कहें। राज्य में किसानों की संख्या अधिक है। वंदे मातरम स्वाभिमानी हैं, लेकिन चूंकि बलिराजा दुनिया का चेहरा हैं, इसलिए उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से जय बलिराजा कहने की अपील की है।