Tag: शरद पवार

  • शरद पवार की अब ओबीसी पॉलिटिक्स, 9 को ‘मंडल यात्रा’

    शरद पवार की अब ओबीसी पॉलिटिक्स, 9 को ‘मंडल यात्रा’

    बड़ी तैयारी, बिगाड़ेंगे बीजेपी का खेल
    मुंबई.
    महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में बड़ी जीत के बाद बीजेपी का फोकस स्थानीय निकाय चुनावों पर हैं। सीएम देवेंद्र फडणवीस ओबीसी वर्ग को लुभाने की कोशिशों में जुटे हैं, तो वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र के कद्दावर नेता शरद पवार ने मराठा पॉलिटिक्स के बाद अब ओबीसी कार्ड खेलने की तैयारी की है। ऐसे में चर्चा छिड़ गई है कि शरद पवार बीजेपी की अगुवाई वाले महायुति गठबंधन के प्लान को चौपट कर देंगे। शरद पवार की अगुवाई वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के मुख्यालय वाले शहर और राज्य की दूसरी राजधानी नागपुर में मंडल यात्रा निकालने का ऐलान किया है।

    पवार खेलेंगे वीपी सिंह वाला कार्ड
    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एसपी) के नेता और पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि 9 अगस्त को क्रांति दिवस के अवसर पर एनसीपी की ओर से ‘मंडल यात्रा’ निकाली जा रही है, जिसकी शुरुआत नागपुर से होगी। इस यात्रा को पार्टी प्रमुख शरद पवार हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। देशमुख ने कहा कि उन्होंने कहा कि जब देश के प्रधानमंत्री वीपी सिंह थे, तब उन्होंने मंडल आयोग की घोषणा की थी। उस समय महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शरद पवार थे। उन्होंने इस आयोग की सिफारिशों को महाराष्ट्र में लागू किया, जिससे ओबीसी (पिछड़ा वर्ग) को आरक्षण मिला। यह पहल करने वाला महाराष्ट्र पहला राज्य बना और इसका सीधा लाभ ओबीसी समाज को मिला।

    क्या है इस यात्रा का उद्देश्य?
    देशमुख ने यह भी कहा कि यह यात्रा शरद पवार के ओबीसी समाज के लिए किए गए योगदान को जनता तक पहुंचाने के लिए निकाली जा रही है। जब यह मंडल आयोग लागू किया गया, तब कुछ राजनीतिक दलों ने इसका विरोध किया और ‘कमंडल यात्रा’ निकाली। इन पार्टियों ने वीपी सिंह की सरकार भी गिरा दी थी। आज वही लोग सत्ता में हैं। यह सच्चाई जनता को जाननी चाहिए, इसलिए मंडल यात्रा जरूरी है। अनिल देशमुख ने बताया कि यह यात्रा सिर्फ आरक्षण पर नहीं, बल्कि किसानों, महिलाओं, युवाओं और कानून-व्यवस्था से जुड़े मुद्दों को उजागर करने के लिए महाराष्ट्र के विभिन्न जिलों में जाएगी।

  • शशिकांत शिंदे  एनसीपी (एसपी) के बने महाराष्ट्र अध्यक्ष

    शशिकांत शिंदे  एनसीपी (एसपी) के बने महाराष्ट्र अध्यक्ष

    जयंत पाटील के इस्तीफे के बाद शरद पवार ने सौंपी कमान

    मुंबई.

    शरद पवार की पार्टी एनसीपी (एसपी) के प्रदेश अध्यक्ष पद से जयंत पाटील के इस्तीफा देने के बाद शशिकांत शिंदे को नया प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी प्रमुख शरद पवार ने शिंदे के नाम का ऐलान करते हुए कहा कि अनिल देशमुख ने शिंदे का नाम सुझाया है, जिसे सांसद अमोल कोल्हे ने समर्थन दिया है। आगामी स्थानीय निकाय के चुनाव शिंदे के नेतृत्व में लड़ा जाएगा।

     

    पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे

    नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष शिंदे ने कहा कि वे आने वाले दिनों में पूरे महाराष्ट्र का दौरा करेंगे। साथ ही पार्टी संगठन में युवाओं को मौका देने की कोशिश करेंगे। उन्होंने यह भी भरोसा जताया कि वह आरआर पाटील की तरह काम करेंगे। मंगलवार को विधान भवन के करीब स्थित वाईबी चव्हाण सेंटर में एनसीपी (एसपी) की कार्यकारिणी की बैठक हुई, जिसमें शरद पवार, जयंत पाटील, पूर्व मंत्री अनिल देशमुख, जितेंद्र आव्हाड, हर्षवर्धन पाटील, शशिकांत शिंदे सहित तमाम नेता मौजूद थे। इसमें अनिल देशमुख ने प्रदेशाध्यक्ष पद के लिए शशिकांत शिंदे के नाम का प्रस्ताव रखा, जिसे सभी नेताओं ने सर्वसम्मति से मंजूर किया। इसके बाद शरद पवार ने शशिकांत शिंदे के नाम की घोषणा कर दी।

     

    शरद पवार के बेहद करीबी हैं

    शरद पवार ने अपने बेहद करीबी शशिकांत शिंदे को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी है। शिंदे इस समय विधान परिषद के सदस्य हैं। इधर, प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले विधायक जयंत पाटील को लेकर अटकलबाजी शुरू हो गई है। भाजपा के नेता व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के करीबी गिरीश महाजन ने कहा कि जयंत पाटील अपनी पार्टी में नाखुश हैं और वह उनसे संपर्क में हैं। इस पर जयंत पाटील ने कहा कि उन्होंने न तो सत्तारूढ़ दल के किसी नेता से मुलाकात की है, और न ही महायुति के किसी घटक दल के नेता ने उनसे संपर्क किया है। पार्टी में जयंत पाटील के खिलाफ विरोध के सुर बढ़ रहे थे। पुणे में पार्टी के 26वें स्थापना दिवस पर पाटील ने शरद पवार की उपस्थिति में प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने की पेशकश की थी। तब पाटील ने कहा था कि युवाओं को अवसर मिलना चाहिए। पाटील शरद पवार के विश्वसनीय साथियों में से एक हैं, लेकिन पिछले कुछ दिनों से कहा जा रहा था कि जयंत पाटील पार्टी छोड़ सकते हैं।

  • पत्रकार बनना चाहते थे शरद पवार!

    पत्रकार बनना चाहते थे शरद पवार!

    किया खुलासा, कहा- बालासाहेब ठाकरे के साथ मैग्जीन शुरू करना चाहता था
    मुंबई
    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में अपनी ज़िंदगी का एक दिलचस्प वाकया बयान किया है। उन्होंने खुलासा किया कि वे और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के साथ कभी पत्रकारिता के मैदान में उतरने वाले थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका।

    अधूरी पत्रकारिता का सपना
    पवार ने अखिल भारतीय मराठी पत्रकार परिषद के एक कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने और बालासाहेब ठाकरे ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक मासिक मैगज़ीन शुरू करने का इरादा किया था। हर शख्स ने इसके लिए 5,000 रुपये का हिस्सा लगाया था और उनका इरादा था कि यह मैगज़ीन अंग्रेजी की मशहूर पत्रिका ‘टाइम’ की तरह होगी। पवार ने मज़ाकिया लहजे में बताया, “पहला अंक छापा गया, जिसके बारे में उन्हें उम्मीद थी कि यह इतना शानदार होगा कि हर जगह इसकी चर्चा होगी। मगर हकीकत में वह अंक इसके बाद कभी नज़र ही नहीं आया। वह अंक इतना ‘मशहूर’ हुआ कि फिर कभी दिखाई ही नहीं दिया।”

    पत्रकारिता पर विचार
    पवार ने यह भी कहा कि पत्रकारिता का पेशा लोकतंत्र में बेहद मुश्किल और ज़िम्मेदारी भरा है। उन्होंने सम्मान पाने वाले पत्रकारों से कहा कि वे अपनी लेखनी से लोकतंत्र को और मजबूत करें। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार मधुकर भावे को ‘बालशास्त्री जंभेकर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा गया, जबकि भरत जाधव को ‘विशेष सम्मान’ दिया गया। इसके अलावा, कई अन्य पत्रकारों को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

  • पत्रकार बनना चाहते थे शरद पवार!

    पत्रकार बनना चाहते थे शरद पवार!

    किया खुलासा, कहा- बालासाहेब ठाकरे के साथ मैग्जीन शुरू करना चाहता था
    मुंबई.
    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) के प्रमुख शरद पवार ने हाल ही में अपनी ज़िंदगी का एक दिलचस्प वाकया बयान किया है। उन्होंने खुलासा किया कि वे और शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे के साथ कभी पत्रकारिता के मैदान में उतरने वाले थे, लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो सका।

    अधूरी पत्रकारिता का सपना
    पवार ने अखिल भारतीय मराठी पत्रकार परिषद के एक कार्यक्रम में बताया कि उन्होंने और बालासाहेब ठाकरे ने कुछ दोस्तों के साथ मिलकर एक मासिक मैगज़ीन शुरू करने का इरादा किया था। हर शख्स ने इसके लिए 5,000 रुपये का हिस्सा लगाया था और उनका इरादा था कि यह मैगज़ीन अंग्रेजी की मशहूर पत्रिका ‘टाइम’ की तरह होगी। पवार ने मज़ाकिया लहजे में बताया, “पहला अंक छापा गया, जिसके बारे में उन्हें उम्मीद थी कि यह इतना शानदार होगा कि हर जगह इसकी चर्चा होगी। मगर हकीकत में वह अंक इसके बाद कभी नज़र ही नहीं आया। वह अंक इतना ‘मशहूर’ हुआ कि फिर कभी दिखाई ही नहीं दिया।”

    पत्रकारिता पर विचार
    पवार ने यह भी कहा कि पत्रकारिता का पेशा लोकतंत्र में बेहद मुश्किल और ज़िम्मेदारी भरा है। उन्होंने सम्मान पाने वाले पत्रकारों से कहा कि वे अपनी लेखनी से लोकतंत्र को और मजबूत करें। इस कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार मधुकर भावे को ‘बालशास्त्री जंभेकर लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड’ से नवाजा गया, जबकि भरत जाधव को ‘विशेष सम्मान’ दिया गया। इसके अलावा, कई अन्य पत्रकारों को भी उनके योगदान के लिए सम्मानित किया गया।

  • हिंदी विवाद में तेंदुलकर को मत घसीटो

    हिंदी विवाद में तेंदुलकर को मत घसीटो

    शरद पवार की राज ठाकरे को सलाह
    मुंबई.
    शरद पवार की राकांपा ने 5 जुलाई को ‘हिंदी थोपने’ के खिलाफ होने वाले विरोध मार्च को समर्थन देने का ऐलान किया है। पार्टी प्रमुख शरद पवार ने कहा कि सचिन तेंदुलकर जैसे मशहूर लोगों पर यह दबाव नहीं डालना चाहिए कि वे महाराष्ट्र के स्कूलों में हिंदी को अनिवार्य करने पर अपनी राय रखें। उन्होंने कहा कि सचिन से क्रिकेट के बारे में पूछो; हिंदी थोपने पर उनसे राय लेने के लिए मजबूर मत करो। शरद पवार, राज ठाकरे के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे जिसमें उन्होंने कहा था कि वे देखना चाहते हैं कि कौन – खासकर मराठी कलाकार और खिलाड़ी – सरकार की इस नीति के खिलाफ विरोध मार्च में शामिल होता है और कौन नहीं।

    क्या बोले शरद पवार
    शरद पवार ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि राज ठाकरे का क्या मतलब था। सचिन तेंदुलकर पर हिंदी थोपने के मुद्दे पर अपनी राय रखने के लिए दबाव क्यों डालना चाहिए? उनसे क्रिकेट के बारे में पूछो, वह ‘बादशाह’ हैं, क्रिकेट की दुनिया में एक बड़ा नाम हैं। मैं समझ सकता हूं अगर उनसे क्रिकेट के किसी पहलू के बारे में उनकी राय पूछी जाए।’

    हिंदी थोपने के खिलाफ
    शरद पवार ने आगे कहा, ‘ऐसे व्यक्तित्वों से उन मुद्दों के बारे में न पूछें जो उनसे संबंधित नहीं हैं। हिंदी थोपने का मुद्दा हमारे लिए महत्वपूर्ण है। किसी से उनकी राय मांगना और यह कहना कि ‘देखेंगे कौन विरोध में आता है और कौन नहीं’ अच्छा नहीं है। हर किसी को अपनी राय रखने का अधिकार है, लेकिन किसी को भी मशहूर लोगों पर दबाव नहीं डालना चाहिए। राज्य के स्कूलों में हिंदी पांचवीं कक्षा से पढ़ाओ। हिंदी को अनदेखा करना भी अच्छा नहीं है, क्योंकि देश में लगभग 55% लोग यह भाषा बोलते हैं। मेरा मानना है कि हिंदी का ज्ञान होना भी जरूरी है। राकांपा (शरद) के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल ने भी कहा, ‘हम प्राथमिक विद्यालय के छात्रों पर हिंदी थोपने के खिलाफ हैं। हमने विरोध मार्च में भाग लेने का फैसला किया है।

    क्या है हिंदी भाषा विवाद
    पिछले हफ्ते, राज्य सरकार ने पहली कक्षा से तीन-भाषा नीति पर एक सरकारी आदेश जारी किया था। इसके बाद सरकार की काफी आलोचना हुई। फिर सरकार ने थोड़ा बदलाव किया। गुरुवार को सरकार ने कहा कि तीसरी भाषा को पहली और दूसरी कक्षा में मौखिक रूप से पढ़ाया जाएगा। छात्रों को कोई किताब नहीं दी जाएगी और कोई टेस्ट या परीक्षा नहीं होगी।

  • पवार-बादल बढ़ाएंगे मोदी की सियासी ताकत

    पवार-बादल बढ़ाएंगे मोदी की सियासी ताकत

    एनडीए में शामिल होने की संभावना
    मुंबई.
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ जल्द ही आने वाली है। इससे पहले सुगबुगाहट इस बात की है कि केंद्र में सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सियासी ताकत बढ़ने वाली है। हम आपको बता दें कि ऐसी चर्चाएं हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों धड़ों का विलय होने वाला है और चाचा शरद पवार तथा भतीजे अजित पवार साथ आने वाले हैं। इसी तरह पंजाब में शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी अपने लाव-लश्कर के साथ एनडीए के साथ फिर से जुड़ने वाले हैं।

    औपचारिकताएं पूरी
    बताया जा रहा है कि इसकी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी हैं। दोनों धड़ों का प्रयास है कि महाराष्ट्र में जल्द होने वाले निकाय चुनावों से पहले विलय की प्रक्रिया पूरी कर ली जाये। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के ज्यादातर नेता इस विलय के समर्थन में हैं, बस शरद पवार की पार्टी के 8 में दो सांसद ही इस विलय के विरोध में हैं।

    इसलिए हुए हैं राजी
    जानकार बताते हैं कि शरद पवार विलय के लिए इसलिए राजी हुए हैं, क्योंकि उन्हें इस बात की भनक लग गयी थी कि निकाय चुनावों से पहले उनकी पार्टी के अधिकांश नेता पाला बदल कर अजित पवार के साथ जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए शरद पवार ने मौके की नाजुकता को देख भतीजे को साथ लेने की सोची है। यह भी बताया जा रहा है कि एनसीपी के दोनों धड़ों के विलय होने की स्थिति में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। अभी केंद्र की एनडीए सरकार में एनसीपी का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इस बाबत अजित पवार ने भाजपा नेताओं से बात भी की है।

    पहलगाम हमले के बाद बदलाव
    हालांकि भाजपा नेता अभी कुछ कहने से बच रहे हैं, क्योंकि उनका अनुभव यह रहा है कि शरद पवार उनके साथ बैठकों में कुछ और कहते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अलग रुख अख्तियार कर लेते हैं, इसलिए एनडीए के साथ आने की घोषणा उन्हीं की ओर से की जाये तो अच्छा रहेगा। बता दें कि पहलगाम हमले के बाद से शरद पवार केंद्र सरकार के साथ पूरी तरह खड़े नजर आ रहे हैं और हाल ही में उन्होंने इस मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकती।

    बादल ने भी की सराहना
    दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सीमा पार शांति के दुश्मनों से निपटने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत और स्पष्ट दृष्टिकोण की सराहना की है। शिअद प्रमुख ने एक बयान में स्थिति को कूटनीतिक तरीके से संभालने के लिए मोदी की प्रशंसा की, जिसके चलते पाकिस्तानी सेना को ‘‘संघर्षविराम की भीख मांगने के लिए वाशिंगटन भागना पड़ा। बादल ने कहा, “युद्ध के मैदान में निर्णायक जीत के बाद, प्रधानमंत्री ने शत्रुता समाप्त करने के उनके अनुरोध को स्वीकार करके एक राजनेता की तरह काम किया। याद दिला दें कि शिरोमणि अकाली दल पहले भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घटक दल था लेकिन तीन कृषि कानूनों के विरोध में उसने एनडीए से नाता तोड़ लिया था।

  • महाराष्ट्र में फिर होगा खेला, शरद पवार से मिले अजित पवार

    महाराष्ट्र में फिर होगा खेला, शरद पवार से मिले अजित पवार

    एक पखवाड़े में तीसरी बार चाचा-भतीजा की मुलाकात पर चर्चा तेज
    पुणे.
    राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (सपा) के प्रमुख शरद पवार और उनके भतीजे, महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को एक पखवाड़े में तीसरी बार मंच साझा किया। इस बार यह कृषि और चीनी उद्योग में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) के उपयोग पर चर्चा करने के लिए था। पुणे के शिवाजीनगर स्थित चीनी आयुक्तालय में आयोजित यह बैठक डेढ़ घंटे से अधिक समय तक चली और इसमें वसंतदादा चीनी संस्थान के अधिकारियों ने भाग लिया।

    एआई का लाभ उठाने की अपील
    बैठक के बाद पत्रकारों से बात करते हुए अजित पवार ने कहा कि बैठक में कृषि उत्पादकता बढ़ाने, मिट्टी की उर्वरता में सुधार लाने और रासायनिक उर्वरकों के उपयोग को कम करने के लिए एआई का लाभ उठाने जैसे विषयों पर चर्चा की गई। उन्होंने कहा, “हमने चर्चा की कि कैसे एआई कृषि उत्पादन बढ़ाने, मिट्टी के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम करने में मदद कर सकता है। माइक्रोसॉफ्ट जैसी फर्म इस क्षेत्र में पहल का समर्थन कर रही हैं। कृषि विभाग ने अपने कुछ चल रहे प्रयासों को भी साझा किया और चीनी उत्पादन को बेहतर बनाने के सर्वोत्तम तरीकों पर चर्चा की गई।”

    सियासी गलियारों में सुगबुगाहट
    हाल के हफ्तों में वरिष्ठ पवार के साथ उनकी तीसरी मुलाकात के बारे में पूछे जाने पर, जिसकी शुरुआत उनके बेटे जय की सगाई से हुई थी, उपमुख्यमंत्री ने इन बैठकों के राजनीतिक महत्व को कमतर आंकते हुए कहा कि सगाई जैसे अवसरों पर परिवार एक साथ आते हैं, और उन्हें किसी अन्य परिप्रेक्ष्य से व्याख्या करने की कोई आवश्यकता नहीं है। सीपीआई सांसद डी राजा ने कहा कि जब यह महाराष्ट्र के हित में है, तो वे दो अलग-अलग खेमों में क्यों हैं। उन्हें महाराष्ट्र के लोगों को यह बताना चाहिए कि वे वास्तव में क्या करने की कोशिश कर रहे हैं।

    अभी दोनों खेमे अलग-अलग
    शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार, जो राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के प्रमुख हैं, महाराष्ट्र में प्रतिद्वंद्वी गठबंधन का हिस्सा हैं, क्योंकि अजित पवार ने 2023 में अपने चाचा के खिलाफ विद्रोह किया था और तत्कालीन भाजपा-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे। अजित पवार ने हाल ही में सतारा में रयत शिक्षण संस्था में उनकी संयुक्त उपस्थिति पर भी टिप्पणी की, जहां उनके चाचा अध्यक्ष हैं और वह एक ट्रस्टी हैं।