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  • जिम में वर्कआउट करते समय मौत

    जिम में वर्कआउट करते समय मौत

    39 वर्षीय व्यक्ति को दिल का दौरा
    पुणे.
    पुणे के पिंपरी-चिंचवड़ में जिम में वर्कआउट करते समय एक 39 वर्षीय व्यक्ति की दिल का दौरा पड़ने से हुई मौत ने एक बार फिर हमारी आधुनिक जीवनशैली से जुड़े स्वास्थ्य जोखिमों को उजागर किया है। मिलिंद कुलकर्णी की यह दुखद मौत एक चेतावनी है कि फिटनेस के प्रति हमारी जागरूकता पर्याप्त नहीं है। जिम जाना, वर्कआउट करना और स्वस्थ जीवनशैली अपनाने का प्रयास सराहनीय है, लेकिन यह भी समझना जरूरी है कि हर शरीर की अपनी सीमाएं होती हैं।

    60 से 70 प्रतिशत तक ब्लॉकेज था
    आजकल, सोशल मीडिया और फिटनेस उद्योग के प्रभाव में लोग अपनी शारीरिक क्षमता से परे जाकर कसरत करने लगते हैं। कई बार, सही मार्गदर्शन के अभाव में, वे ऐसे वर्कआउट करते हैं जो उनके दिल पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं। इस मामले में, मिलिंद कुलकर्णी एक अनुभवी जिम सदस्य थे और उन्हें किसी गंभीर बीमारी की जानकारी नहीं थी। यह तथ्य विशेष रूप से चिंताजनक है कि उनके दिल में 60 से 70 प्रतिशत तक ब्लॉकेज था, जिसका उन्हें पता ही नहीं चला। यह दर्शाता है कि नियमित शारीरिक जांच कितनी महत्वपूर्ण है।

    सेहत की चिंता पर बड़ा सवाल
    यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या हम वास्तव में अपनी सेहत का ध्यान रख रहे हैं, या सिर्फ बाहरी दिखावे के लिए जिम जा रहे हैं? फिटनेस का मतलब केवल शारीरिक मजबूती नहीं है, बल्कि आंतरिक स्वास्थ्य भी है। कई बार, दिल की बीमारियां बिना किसी स्पष्ट लक्षण के विकसित होती रहती हैं, और अत्यधिक शारीरिक गतिविधि उन्हें ट्रिगर कर सकती है।

    चेतावनियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते
    इस घटना के बाद, जिम संचालकों, ट्रेनरों और फिटनेस के प्रति उत्साही लोगों को कुछ महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देना चाहिए। जिम में सदस्यों की नियमित स्वास्थ्य जांच को प्रोत्साहित करना, हर सदस्य की फिटनेस क्षमता का आकलन करना और उन्हें उनकी क्षमता के अनुसार वर्कआउट प्लान देना अनिवार्य होना चाहिए। इसके अलावा, लोगों को यह समझना चाहिए कि वर्कआउट के दौरान शरीर के संकेतों को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। चक्कर आना, सीने में दर्द, या सांस फूलना जैसे लक्षण चेतावनी हो सकते हैं।

    एक वेक-अप कॉल
    मिलिंद कुलकर्णी की असामयिक मौत एक दुखद घटना है, लेकिन यह एक वेक-अप कॉल भी है। हमें अपनी फिटनेस यात्रा को सुरक्षित और समझदारी के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। स्वस्थ रहने का मतलब खुद को चुनौती देना है, लेकिन यह सुनिश्चित करते हुए कि हम अपने शरीर की सीमाओं को पार न करें। यह घटना हमें याद दिलाती है कि स्वास्थ्य एक समग्र अवधारणा है, और इसे केवल वर्कआउट के दायरे में नहीं देखा जा सकता।

  • करगिल योद्धा के परिवार से मांगे भारतीयता के सबूत

    करगिल योद्धा के परिवार से मांगे भारतीयता के सबूत

    पुणे की घटना, घर घुसी पुलिस और भीड़, कहा- नहीं तो माने जाओगे रोहिंग्या
    पुणे.
    करगिल युद्ध के एक योद्धा के परिवार के साथ महाराष्ट्र के पुणे में दुर्व्यवहार किया गया। जवान के परिवार ने आरोप लगाया है कि उनसे अपनी भारतीय नागरिकता साबित करने को कहा गया है। परिवार का कहना है कि 30- 40 लोगों का झुंड पुलिस के साथ उनके घर पर आया। उन्होंने उनको धमकी दी और नागरिकता साबित करने के लिए दस्तावेज मांगे। यह घटना पुणे के चंदन नगर में हुई। परिवार ने उस खौफनाक रात का जिक्र करते हुए कहा कि वे डरे हुए हैं। यह परिवार हकीमुद्दीन शेख का है। हकीमुद्दीन एक रिटायर्ड सेना के जवान हैं। उन्होंने 1999 के करगिल युद्ध में हिस्सा लिया था। परिवार के सदस्यों का आरोप है कि उन्हें आधी रात को पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

    पुलिस ने दी सफाई
    परिवार के सदस्य ने आरोप लगाया कि उन्हें थाने ले जाकर सुबह 3 बजे तक बैठाए रखा गया। उन्हें चेतावनी दी गई कि अगर वे अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए, तो उन्हें बांग्लादेशी या रोहिंग्या घोषित कर दिया जाएगा। डीसीपी सोमय मुंडे ने कहा कि पुलिस को अवैध आप्रवासियों के बारे में जानकारी मिली थी। टीम जांच के लिए गई थी। बस परिवार से दस्तावेज मांगे गए। जब स्पष्ट हो गया कि वे भारतीय हैं, तो हमने उन्हें जाने दिया।

    16 साल सेना में रहे
    हकीमुद्दीन की अभी उम्र 58 साल की है। उन्होंने 1984 में सेना जॉइन की थी। वह सेना के 269 इंजीनियर रेजिमेंट में 16 साल तक रहे। वह 2000 में रिटायर हुए। हकीमुद्दीन ने कहा कि मैंने करगिल युद्ध में हिस्सा लिया। इस देश के लिए लड़ाई लड़ी। मेरा पूरा परिवार इसी देश का है। हमसे क्यों पूछा जा रहा है कि हम भारतीय हैं या नहीं? हमें अपनी भारतीयता साबित करने को क्यों कहा जा रहा है।

    उत्तर प्रदेश में रह रहे हैं हकीमुद्दीन
    हकीमुद्दीन का परिवार मूल रूप से उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ का रहने वाला है। परिवार 1960 से पुणे आकर बस गया था। हकीमुद्दीन 2013 में पुणे छोड़कर अपने गृहनगर यूपी वापस चले गए। हालांकि हकीमुद्दीन के भाई, भतीजे और उनके परिवार अभी भी पुणे में ही रहता है। हकीमुद्दीन के भाई इरशाद शेख ने आरोप लगाया कि कुछ अनजान लोग नारे लगाते हुए उनके घर में घुसे। दरवाजों को लात मारी। उनके परिवार से भारतीयता के दस्तावेज मांगे। एक पुलिस वैन सड़क पर खड़ी थी। जिसमें उन लोगों को थाने ले जाया गया।

    परिवार ने उठाए सवाल
    इस परिवार में दो और आर्मी वेटरन हैं, शेख नईमुद्दीन और शेख मोहम्मद सलीम। नईमुद्दीन और सलीम ने 1965 और 1971 के युद्धों में भाग लिया था। इरशाद ने सवाल किया कि क्या सैनिकों के परिवारों के साथ ऐसा व्यवहार किया जाता है? भारतीय होने का क्या मतलब है? कोई भी घर में घुसकर हमसे भारतीय होने से सबूत मांगेगा? परिवार का आरोप है कि उनके वैध दस्तावेजों को अस्वीकार कर दिया गया। हकीमुद्दीन के भतीजों नौशाद और नवाब शेख ने बताया कि आधार कार्ड दिखाने पर उसे फर्जी बता

  • शादी का वादा कर बनाता रहा संबंध

    शादी का वादा कर बनाता रहा संबंध

    रबड़ी में मिलाकर खिला दी गर्भपात की गोली, फिर शादी से इनकार
    पुणे.
    पुणे जिले के हिंजवड़ी क्षेत्र से एक धोखाधड़ी और यौन शोषण का गंभीर मामला सामने आया है। यहां एक इंजीनियर युवक ने अपनी प्रेमिका का धोखे से गर्भपात कर दिया। उसने रबड़ी में गर्भपात की गोलियां मिलाकर जबरन गर्भपात करा दिया। पीड़िता की शिकायत पर हिंजवड़ी पुलिस थाने में मामला दर्ज किया गया है। हालांकि अभी तक आरोपी को गिरफ्तार नहीं किया गया है। पीड़िता पेशे से इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रैक्टर है। उसने पुलिस में दी शिकायत में बताया कि उसकी आरोपी आदर्श वाल्मीक मेश्राम से कॉलेज के दिनों से जान-पहचान थी। दोनों का प्रेम संबंध 2018 से चल रहा था। आदर्श पुणे की एक निजी आईटी कंपनी में इंजीनियर है।

    शादी करने से किया इनकार
    पीड़िता के मुताबिक, आरोपी आदर्श ने कई बार शादी का वादा कर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। पीड़िता ने बताया कि जब भी शादी की बात आती, वह टाल-मटोल करता रहा। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया कि 2024 में एक होटल में आदर्श ने उसका यौन शोषण किया। जब उसने विरोध किया तो उसके साथ मारपीट की गई। 23 जून 2025 को आदर्श के जन्मदिन पर पीड़िता यवतमाल से पुणे आई थी। इस दौरान आदर्श के मोबाइल में अन्य लड़कियों से रिश्तों के सबूत मिले, जिससे उसे ठगा हुआ महसूस हुआ। वह पहले ही गर्भवती हो चुकी थी, लेकिन जब उसने शादी की बात की तो आदर्श ने साफ इनकार कर दिया।

    रबड़ी में मिलाकर दी गर्भपात की दवा
    पीड़िता का दावा है कि 3 जुलाई को आदर्श ने रबड़ी में गर्भपात की दवा मिलाकर उसे खिला दी, जिससे उसका गर्भपात हो गया। इसके बाद पीड़िता ने इलाज कराया और फिर पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराई। पीड़िता की शिकायत पर पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। पीड़िता का यह भी कहना है कि आदर्श अन्य कई लड़कियों से भी संबंध में था। उसकी एक पूर्व प्रेमिका ने भी बताया कि उसके साथ भी शादी का झांसा देकर यौन शोषण किया गया था।

  • दो बार तलाक, तीसरी बार शादी का वादा कर रेप

    दो बार तलाक, तीसरी बार शादी का वादा कर रेप

    पुणे में पति को कोर्ट ने किया बरी
    पुणे.
    महाराष्ट्र में एक अजीब मामला सामने आया है। यहां पुणे की एक अदालत ने एक आदमी को बरी कर दिया है। उस पर उसकी पूर्व पत्नी ने आरोप लगाया था कि उसने तलाक के बाद उससे दोबारा शादी करने का वादा करके बलात्कार किया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश एसआर सालुंखे ने पिछले हफ्ते आदमी को बरी करने का आदेश दिया। अदालत ने महिला के लगाए गए आरोपों को खारिज कर दिया। अदालत ने कहा कि दोनों के बीच शारीरिक संबंध आपसी सहमति से थे।

    पर्याप्त सबूत नहीं
    जज ने अपने आदेश में कहा कि अभियोजन पक्ष आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत अपराध साबित नहीं कर पाया है। ऐसा अपराध साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत भी नहीं हैं। मान लीजिए कि शिकायतकर्ता और आरोपी के बीच कोई शारीरिक संबंध था, तो भी वे अपराध नहीं माने जाएंगे। क्योंकि वे सहमति से थे और शादी के बहाने नहीं थे। इसका कानूनी नतीजा यह है कि आरोपी को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। इसलिए, वह बरी होने का हकदार है।

    2012 में हुई दूसरी शादी
    फैसले के बाद महिला ने कहा कि वह बॉम्बे हाई कोर्ट में अपील करेगी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता महिला और आदमी ने 2002 में शादी की थी और उनकी दो बेटियां हैं। हालांकि, आरोपी 2010 में महिला को छोड़कर चला गया और 2012 में दोबारा शादी कर ली। 2015 में एक अदालत ने उन्हें तलाक दे दिया।

    महिला की दूसरी शादी 5 महीने चली
    तलाक के बाद महिला ने दूसरे आदमी से शादी की, लेकिन उनकी शादी सिर्फ पांच महीने तक चली। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आरोपी 2019 में फिर से महिला के संपर्क में आया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ने महिला को फिर से शादी करने का आश्वासन दिया। इसके बाद उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। जब महिला ने आरोपी से शादी के बारे में पूछा, तो उसने कथित तौर पर उससे शादी करने से इनकार कर दिया। इसके बाद उसने 2020 में पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।

    अभियोजन पक्ष का तर्क
    पुलिस ने प्रारंभिक जांच की और बाद में आदमी को आईपीसी की धारा 376(2)(एन) के तहत गिरफ्तार कर लिया। अभियोजन पक्ष ने तर्क दिया कि आरोपी ने बार-बार महिला की सहमति के बिना, उससे दोबारा शादी करने का झूठा वादा करके बलात्कार किया। आरोपी का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील मिलिंद पवार ने तर्क दिया कि शिकायत झूठी थी। यह आरोपी द्वारा महिला के खिलाफ जबरन वसूली के लिए दर्ज कराई गई एक और शिकायत का नतीजा थी।

  • पुणे में डिलीवरी एजेंट ने युवती से किया बलात्कार

    पुणे में डिलीवरी एजेंट ने युवती से किया बलात्कार

    10 पुलिस टीमें तलाश में जुटीं
    पुणे.
    पुणे शहर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जहाँ एक 22 वर्षीय युवती के साथ एक डिलीवरी एजेंट बनकर आए शख्स ने कथित तौर पर बलात्कार किया। बुधवार रात करीब 7:30 बजे कोंढवा इलाके की एक पॉश आवासीय सोसायटी में हुई इस वारदात ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया है।

    वारदात का तरीका
    पुलिस के अनुसार, आरोपी कूरियर बॉय बनकर एक बैंक लिफाफा लेकर युवती के फ्लैट पर पहुँचा। उसने दस्तावेज़ों पर हस्ताक्षर कराने के बहाने युवती से पेन माँगा, और जैसे ही युवती मुड़ी, वह फ्लैट के अंदर घुस गया और दरवाज़ा अंदर से बंद कर लिया।

    चौंकाने वाली बातें
    -घटना के बाद युवती को लगभग एक घंटे तक कुछ भी याद नहीं रहा।

    -पीड़िता के फ़ोन में आरोपी की एक सेल्फी मिली है। पुलिस को शक है कि आरोपी ने धमकी देने के उद्देश्य से यह सेल्फी ली, और कहा कि अगर उसने किसी को बताया, तो वह उसकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल कर देगा।

    -पुलिस को यह भी संदेह है कि आरोपी ने युवती को बेहोश करने के लिए किसी रासायनिक स्प्रे का इस्तेमाल किया है। फॉरेंसिक टीम मौके पर पहुँचकर जाँच कर रही है।

    पुलिस की कार्रवाई
    डीसीपी (जोन 5) राजकुमार शिंदे ने बताया कि भारतीय न्याय संहिता की धाराओं 64, 77 और 351(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है। आरोपी की पहचान और गिरफ्तारी के लिए कुल 10 टीमें गठित की गई हैं, जिनमें 5 क्राइम ब्रांच की टीमें भी शामिल हैं। आरोपी का चेहरा सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ है और उसकी तलाश जारी है। यह घटना न केवल महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता पैदा करती है, बल्कि यह भी दर्शाती है कि अपराधी किस आसानी से कोई न कोई वजह बताकर रिहायशी इमारतों में दाखिल हो जाते हैं।

  • पुणे में सैकड़ों श्रमिक नए श्रम कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं

    पुणे में सैकड़ों श्रमिक नए श्रम कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं

    मुंबई: केंद्र सरकार द्वारा पारित नए श्रम कानून के अनुसार, अब से कंपनियों के लिए तीन साल से अधिक के अनुबंधों में प्रवेश करना अनिवार्य नहीं होगा। साथ ही, 300 कर्मचारियों वाली किसी भी कंपनी को बिना किसी पूर्व सूचना के कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की अनुमति होगी। ये नए बदलाव ऑटोमोबाइल, आईटी, मीडिया सर्विसेज, मैन्युफैक्चरिंग, सर्विस सेक्टर जैसे सभी सेक्टर के कर्मचारियों पर लागू होंगे। इस नए श्रम कानून के विरोध में बुधवार से सैकड़ों श्रमिकों ने पुणे में श्रम आयुक्तालय के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। इस कानून के विरोध में मजदूर नेता यशवंत भोसले ने बुधवार से भूख हड़ताल शुरू कर दी है।

    देश में श्रम कानून दांत-पंजे वाले बाघ की तरह हो गया है और अब नए कानूनों से मजदूरों के बचे हुए अधिकार छीने जाने वाले हैं. शिंदे-फडणवीस सरकार ने जब से केंद्र सरकार द्वारा पारित इस कानून को संसद में लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है, सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने पिछले सात दिनों से पुणे में श्रम आयुक्तालय के सामने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है. इन मजदूरों के नेता और नेशनल लेबर यूनियन के मुखिया यशवंत भोसले पिछले सात दिनों से श्रम कानूनों को वापस लेने के लिए भूख हड़ताल पर हैं.

    क्या हैं नए प्रावधान?
    पहले कोई कर्मचारी 240 दिन का काम पूरा करने के बाद उस कंपनी का कर्मचारी बन जाता था या स्थायी कर्मचारी बन जाता था। लेकिन अब कंपनियों पर ऐसी बाध्यता नहीं होगी। कंपनियां कर्मचारियों को तीन या पांच साल के अनुबंध पर रख सकती हैं।
    इससे पहले, यदि किसी कंपनी में 100 या उससे कम कर्मचारी कार्यरत थे, तो ऐसी कंपनी के मालिक को कंपनी बंद करने या कर्मचारियों की छंटनी करने की अनुमति थी। लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 300 कर दी गई है। इसलिए, बिना किसी पूर्व सूचना के बड़ी संख्या में कंपनियों और कर्मचारियों की छंटनी की जा सकती है।
    कंपनी प्रबंधन पहले श्रमिकों के सबसे बड़े संघ के साथ चर्चा करने के लिए बाध्य था। लेकिन अब से ऐसी कोई बाध्यता नहीं होगी। तो कंपनी प्रबंधन किसी भी ट्रेड यूनियन के साथ चर्चा कर सकता है। इससे ट्रेड यूनियनों का अस्तित्व समाप्त हो जाएगा।

    केंद्र सरकार द्वारा स्वीकृत इस योजना के क्रियान्वयन को रोकने के लिए मजदूर नेता केंद्रीय श्रम मंत्री भूपेंद्र यादव से मिलने दिल्ली भी गए थे. लेकिन उन्होंने हाथ उठाते हुए कहा कि इन कानूनों को लागू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है. उधर, राज्य सरकार ने इस कानून को लागू करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है और इसके लिए 18 दिन पहले ही विभिन्न संगठनों की ओर से आपत्तियां व सुझाव देने शुरू कर दिए गए हैं. राज्य सरकार चालीस दिनों के भीतर इस प्रक्रिया को पूरा कर इन कानूनों को लागू करने का प्रयास कर रही है।

    इस कानून के दायरे में ऑटोमोबाइल, आईटी, मीडिया सर्विसेज, मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज जैसे विभिन्न क्षेत्रों के कामगारों को शामिल किया जाएगा। ये परिवर्तन हर उस कर्मचारी और कर्मचारी पर लागू होंगे जिन पर औद्योगिक विवाद अधिनियम लागू होता है। देश में ऐसे कामगारों की संख्या कई करोड़ में है। इसलिए यदि श्रम कानून में इन परिवर्तनों को स्वीकार कर लिया जाता है, तो असीमित शक्ति उद्योगपतियों के हाथों में केंद्रित हो जाएगी और श्रमिक अधिक असहाय हो जाएंगे।

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  • पुणे में सेंट्रल लेबर एक्ट के खिलाफ कमिश्नरेट के सामने धरने का आज 7वां दिन है

    पुणे में सेंट्रल लेबर एक्ट के खिलाफ कमिश्नरेट के सामने धरने का आज 7वां दिन है

    केंद्र के श्रम अधिनियम के खिलाफ पुणे में आंदोलन। पुणे में श्रम आयुक्तालय के सामने धरने का आज 7वां दिन है. यह दावा किया जाता है कि नए कानून के कारण नौकरी की स्थिरता खतरे में है. 

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  • राजेश पाटिल ट्रांसफर : पिंपरी नगर आयुक्त राजेश पाटिल का जल्दबाजी में तबादला

    राजेश पाटिल ट्रांसफर : पिंपरी नगर आयुक्त राजेश पाटिल का जल्दबाजी में तबादला

    राजेश पाटिल ट्रांसफर पिंपरी चिंचवड़ नगर निगम के आयुक्त राजेश पाटिल का आनन-फानन में तबादला कर दिया गया है। अब शेखर सिंह शहर की कमान संभालने जा रहे हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार के चहेते राजेश पाटिल बीजेपी विधायकों और पदाधिकारियों की नहीं सुन रहे थे. साथ ही शहर की सड़क से लगे अतिक्रमण को भी हटाया गया, उस समय सभी पक्षों के प्रतिनिधि आयुक्त से कार्रवाई रोकने की गुहार लगा रहे थे. लेकिन वे जनता के एक भी प्रतिनिधि से सहमत नहीं थे। अंत में सत्ता परिवर्तन हुआ और उन्हें हटा दिया गया।

    राजेश पाटिल फरवरी 2021 में नगर आयुक्त के रूप में शामिल हुए। कोरोना की दूसरी लहर में भी उन्होंने शहर की कमान संभालकर अच्छा प्रदर्शन किया था। उन्होंने पिंपरी-चिंचवड़ शहर में कई अहम फैसले लिए थे. लेकिन उन्हें 18 महीने में उठा लिया गया था। पिंपरी-चिंचवड़ शहर में आने से पहले वे ओडिशा राज्य में कार्यरत थे। पिंपरी-चिंचवड़ में आयुक्त के रूप में शामिल होने के बाद, उनके काम ने विवाद पैदा कर दिया था। यह भी पता चला कि उनका कई लोगों से अनबन हो गई थी। उन्हें एक सक्रिय आयुक्त के रूप में जाना जाता था।

    तीसरे पक्ष को सुरक्षा सौंपने के लिए एक महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया
    उन्होंने पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम में तीसरे पक्ष को मुख्यधारा में लाने का विशेष प्रयास किया था. उसी दिशा में एक कदम उठाते हुए तीसरे पक्ष को सुरक्षा गार्ड के रूप में चुना गया। पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम (पीसीएमसी) ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों को सुरक्षा गार्ड के रूप में स्वीकार किया था। उन्हें अनुबंध के आधार पर काम पर रखा गया है। शहर में पांच हजार से ज्यादा थर्ड पार्टी हैं। अधिकांश तृतीय पक्षों को नागरिक अलग तरह से देखते हैं। दूसरी ओर, नगर निगम ने तीसरे पक्ष को रोजगार के अवसर प्रदान किए थे ताकि वे सम्मान के साथ रह सकें और व्यवहार कर सकें। इसलिए हर जगह उनकी प्रशंसा की गई।

    उन्होंने कहा कि उनके लिए कई क्षेत्रों में काम करने की योजना है। खानदेश में तीसरे पक्ष को वकील, डॉक्टर और यहां तक ​​कि नगरसेवक के रूप में चुना जा रहा है। लेकिन कुछ क्षेत्रों में अभी भी उनकी उपेक्षा की जा रही है। उनके साथ नीच व्यवहार किया जाता है। हर विभाग को उन्हें सम्मान के साथ जीने का अधिकार देना चाहिए। पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम ने आज उनसे जुड़कर समाज के लिए एक नई मिसाल कायम की है।

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  • सुधीर मुनघंटीवार : बस ‘वंदे मातरम’ कहो… आलोचकों को आलोचना करने दो

    सुधीर मुनघंटीवार : बस ‘वंदे मातरम’ कहो… आलोचकों को आलोचना करने दो

    सुधीर मुनघंटीवार :  प्रदेश के सरकारी दफ्तरों में फोन पर बात करते समय ‘हैलो’ की जगह ‘वंदे मातरम’ से बातचीत शुरू की जाएगी. सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगतीवार (सुधीर मुनगतीवार) ने इसका ऐलान किया, जिसके बाद इस फैसले को लेकर कई स्तरों से अलग-अलग प्रतिक्रियाएं आ रही थीं. अब इसमें हिंदू महासंघ भी कूद पड़ा है। हिंदू संघ ने भी अपना स्टैंड व्यक्त किया है कि इस निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए और अत्यधिक आलोचना नहीं की जानी चाहिए। सुधीर मुनघंटीवार को निर्णय लेना चाहिए कि इस निर्णय को सभी विभागों में लागू किया जाएगा। एक भी मंत्री इस संबंध में कोई निर्णय नहीं लेगा। चूंकि केंद्र में भी बीजेपी की सरकार है तो उन्हें भी इस फैसले का स्वागत करना चाहिए. जितेंद्र अवाडा ने इसकी आलोचना की क्योंकि उनके निर्वाचन क्षेत्र में मुस्लिम समुदाय के सभी लोग रहते हैं। लेकिन मुस्लिम समुदाय के नागरिकों को इस पर कोई आपत्ति नहीं है. लेकिन अगर उनके नेताओं को इस फैसले पर आपत्ति है तो वे नेतृत्व की आलोचना करने के लिए इस पर आपत्ति जता रहे हैं, ब्राह्मण फेडरेशन के अध्यक्ष आनंद दवे ने राय व्यक्त की है।

    देश के सभी मतदाता हिंदू हो गए हैं। कोर्ट के फैसले भी आ रहे हैं। पिछले 70 सालों में हिंदुओं की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। तो अब यह जनमत बनाया गया है। तो यह फैसला सही है। अगर किसी को इस पर कोई आपत्ति है तो खुलकर बताएं, लेकिन मतदाता जागरूक हैं. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि हम आलोचना का स्वागत करते हैं. .. उन्होंने राय व्यक्त की है कि वंदे मातरम के बजाय जय बलिराम कहें। राज्य में किसानों की संख्या अधिक है। वंदे मातरम स्वाभिमानी हैं, लेकिन चूंकि बलिराजा दुनिया का चेहरा हैं, इसलिए उन्होंने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से जय बलिराजा कहने की अपील की है।

  • पुणे क्राइम न्यूज: पानीपुरी के लिए पैसे मांगने पर तीन लोगों ने विक्रेता को पीटा

    पुणे क्राइम न्यूज: पानीपुरी के लिए पैसे मांगने पर तीन लोगों ने विक्रेता को पीटा

    पुणे अपराध समाचार: पानीपुरी के लिए पैसे मांगने पर तीनों ने पानीपुरी विक्रेता के साथ मारपीट की और उसके स्टॉल में तोड़फोड़ की. यह घटना लोनी कालभोर इलाके की है. आरोपियों ने 1500 रुपये लूट लिए और सड़कों पर दहशत पैदा कर दी। पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार लोगों की पहचान वैभव राजाभाऊ तरंगे (19), तुषार अनिल अडागले (18) और प्रताप बालू लोंधे (21, सभी उरुली कंचन) के रूप में हुई है। बत्तीस वर्षीय पानीपुरी विक्रेता अनिल राठौड़ द्वारा पुणे सिटी पुलिस के तहत लोनी कालभोर थाने में शिकायत दर्ज कराई गई है।

    राठौड़ उरुली कंचन के दत्तवाड़ी इलाके में पानीपुरी बेचने वाली वैन चलाते हैं। आरोपित वैभव, तुषार और प्रताप ने राठौड़ के स्टॉल पर पानीपुरी खाई। राठौड़ ने पानीपुरी के लिए पैसे की मांग की, लेकिन तीनों ने जवाब दिया कि वे खुद को इलाके का ‘भाई’ कह रहे हैं। उसके बाद तीनों आरोपियों ने राठौड़ को बांस के डंडे से पीटा, पुलिस ने कहा। तीनों ने पानीपुरी स्टॉल में तोड़फोड़ कर दहशत पैदा कर दी और नकदी लूट कर भाग गए। इस मारपीट में राठौड़ घायल हो गया। पुलिस ने भागे तीनों को पकड़ लिया।

    तीसरे पक्ष को पीटा गया
    कंटेंट क्रिएटर विजया गावड़े सोशल मीडिया के लिए एक वीडियो बनाती हैं। वीडियो में ट्रांसजेंडर समुदाय द्वारा मनाए जाने वाले कुछ अजीबोगरीब रिवाजों का वर्णन किया गया है। लेकिन वीडियो से तीसरे पक्ष के नाराज़ होते ही पुणे में तीसरे पक्ष द्वारा विजया की पिटाई का चौंकाने वाला मामला सामने आया.

    तीसरे पक्ष की महिला, शिवलक्ष्मी ज़ाल्टे ने वीडियो को आपत्तिजनक पाया। उन्होंने आरोप लगाया कि तीसरा पक्ष समाज का मजाक उड़ा रहा है। करीब तीन महीने पहले शिवलक्ष्मी ज़ाल्टे ने नासिक में गावड़े के खिलाफ ट्रांसजेंडर पर्सन्स राइट्स एक्ट, 2019 के तहत शिकायत दर्ज कराई थी। इसलिए गावडे को हिरासत में लिया गया और जमानत पर रिहा कर दिया गया। बारामती की रहने वाली विजया गावड़े ने इससे पहले जलते की धमकी के बाद माफी मांगी थी। गावडे ने बाद में ज़ाल्टे द्वारा रिकॉर्ड और जारी किए गए एक वीडियो में माफी मांगी।

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