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  • नकली दवाइयों का जाल, नागपुर में खतरा संभव

    नकली दवाइयों का जाल, नागपुर में खतरा संभव

    पूरे राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय
    नागपुर.
    महाराष्ट्र विधान परिषद में अन्न व औषधि प्रशासन (एफडीए) मंत्री नरहरी झिरवाल द्वारा नकली दवाइयों के खतरे पर दिया गया आश्वासन नागपुर सहित पूरे राज्य के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है। यह स्वीकार करना कि नकली दवाइयों का जाल ठाणे, भिवंडी, लातूर और नांदेड़ तक फैला हुआ है, इस बात का संकेत है कि यह समस्या महाराष्ट्र के सभी प्रमुख शहरों, जिनमें नागपुर भी शामिल है, को अपनी चपेट में ले सकती है।

    विपक्ष नेता ने यह आरोप लगाया
    विपक्ष के नेता अंबादास दानवे ने गुजरात, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे राज्यों से महाराष्ट्र में बेची जा रही नकली और कम घटक वाली दवाइयों का मुद्दा उठाया। उन्होंने आरोप लगाया कि एफडीए के अधिकारी सांठगांठ करके जान-बूझकर ब्रांडेड दवाइयों के नमूने लेते हैं, ताकि उनकी रिपोर्ट सही आए, जबकि उन्हें गैर-ब्रांडेड दवाइयों के नमूने लेने चाहिए जहाँ मिलावट की संभावना अधिक होती है।

    स्वास्थ्य सेवा के लिए खतरा
    नागपुर एक महत्वपूर्ण चिकित्सा केंद्र है, जहां आस-पास के ग्रामीण इलाकों और छोटे शहरों से भी लोग इलाज के लिए आते हैं। ऐसे में, नकली दवाइयों का प्रसार शहर के स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के लिए एक बड़ा खतरा है। नागपुर जैसे शहरों में भी सक्रियता से काम करना होगा। एफडीए को अपनी जांच प्रणाली को मजबूत करना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि नमूने निष्पक्ष रूप से और सभी प्रकार की दवाइयों से लिए जाएं, विशेषकर उन दवाइयों से जो कम जाने-माने ब्रांड की हैं या जिनकी कीमत कम है।

    वितरण नेटवर्क की जांच आवश्यक
    नवंबर 2022 से अक्टूबर 2024 के बीच 979 नमूनों में से 11 में मूल घटक का न पाया जाना और उसके परिणामस्वरूप 11 दवाई कंपनियों के बिक्री लाइसेंस रद्द होना, इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है। कोल्हापुर, लातूर और भिवंडी की जिन कंपनियों के लाइसेंस रद्द किए गए हैं, उनका नागपुर में भी वितरण नेटवर्क हो सकता है। नागपुर के स्वास्थ्य अधिकारियों और एफडीए को स्थानीय दवा दुकानों, अस्पतालों और वितरकों पर कड़ी नजर रखनी होगी। शहर में नकली दवाइयों के प्रवेश को रोकने के लिए चेकपॉइंट पर भी कड़ी जांच आवश्यक है। इसके साथ ही, जनता को भी जागरूक करना होगा कि वे केवल विश्वसनीय दवा दुकानों से ही दवाइयां खरीदें और किसी भी संदिग्ध दवा की जानकारी तुरंत अधिकारियों को दें।

  • गुटखा कारोबारियों पर लगेगा ‘मकोका’

    गुटखा कारोबारियों पर लगेगा ‘मकोका’

    नागपुर के लिए भी महत्वपूर्ण कदम
    नागपुर.
    महाराष्ट्र विधान परिषद में अन्न व औषधि प्रशासन मंत्री नरहरी झिरवाल की घोषणा कि अब गुटखा बिक्री, भंडारण और तस्करी करने वालों पर महाराष्ट्र संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (मकोका) के तहत कार्रवाई की जाएगी। यह फैसला नागपुर जैसे शहरों के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जहां गुटखा का अवैध कारोबार बड़े पैमाने पर फला-फूला है। भाजपा विधायक श्रीकांत भारतीय ने गुटखा पाबंदी को प्रभावी ढंग से लागू करने पर सवाल उठाया था, यह दावा करते हुए कि राज्य में गुटखा खुलेआम बिक रहा है और यह 72% कैंसर का कारण है।

    नागपुर में धड़ल्ले से बिक्री
    नागपुर में गुटखे की बिक्री और खपत एक गंभीर सार्वजनिक स्वास्थ्य चिंता बनी हुई है। शहर के गली-नुक्कड़ पर, पान की दुकानों और छोटे किराना स्टोरों पर प्रतिबंध के बावजूद गुटखा आसानी से उपलब्ध है। अक्सर यह अवैध गुटखा पड़ोसी राज्यों से तस्करी कर नागपुर लाया जाता है, जिससे स्थानीय स्तर पर एक पूरा नेटवर्क तैयार हो गया है। अब तक, 2012 के कानून के तहत केवल एक साल की सजा का प्रावधान था, जो इन बड़े गिरोहों को रोकने में नाकाफी साबित हो रहा था।

    कई बड़े खिलाड़ी शामिल
    मकोका का प्रावधान लागू होने से गुटखा व्यवसाय से जुड़े संगठित गिरोहों पर नकेल कसने में मदद मिल सकती है। नागपुर में भी, जहां इस कारोबार में कई बड़े खिलाड़ी शामिल बताए जाते हैं, पुलिस के लिए यह एक शक्तिशाली हथियार साबित हो सकता है। यह उम्मीद की जाती है कि मकोका के तहत कठोर प्रावधान, जिसमें लंबे कारावास और संपत्ति की कुर्की शामिल है, अपराधियों को हतोत्साहित करेगा। मंत्री झिरवाल के अनुसार, राज्य में अब तक 450 करोड़ रुपये का गुटखा जब्त किया गया है और 10 हजार से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं, जो इस अवैध कारोबार के विशाल पैमाने को दर्शाता है।

    मिलकर काम करना होगा
    नागपुर में मकोका को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए पुलिस और एफडीए को मिलकर काम करना होगा। सख्त निगरानी, चेक नाकों पर प्रभावी जांच और दोषियों के खिलाफ बिना किसी पक्षपात के त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करनी होगी। तभी इस “हास्यास्पद’ पाबंदी को वास्तव में सार्थक बनाया जा सकता है और नागपुर को गुटखा के जानलेवा चंगुल से बचाया जा सकता है।