केवल कानून की चौखट में रहकर न्याय देना संभव नहीं : गवई
मुंबई.
भारत के मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने महाराष्ट्र के छत्रपति संभाजीनगर में कहा कि जजशिप नौ से पांच की नौकरी नहीं है। यह राष्ट्र सेवा है, लेकिन यह एक कठिन काम भी है। उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच की एडवोकेट यूनियन को संबोधित करते हुए कहा कि जज अकेले काम नहीं कर सकता है।
हर नागरिक को हर कोने में न्याय मिलना चाहिए
उन्होंने महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बॉम्बे हाईकोर्ट की बेंच स्थापित करने की मांग का भी समर्थन किया। सीजेआई गवई ने कहा कि वह इस मांग का समर्थन करते हैं। न्याय हर नागरिक को हर कोने में उपलब्ध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हर सुनवाई के लिए हर किसी के लिए बॉम्बे (मुंबई) आना आर्थिक रूप से संभव नहीं है। बॉम्बे हाई कोर्ट में वर्तमान में मुंबई की मेन बेंच के अलावा गोवा, औरंगाबाद (छत्रपति संभाजीनगर) और नागपुर में सर्किट बेंच हैं।
जाति-धर्म देखकर जजों का नहीं होता चुनाव
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि एक जज को समाज में घुलना-मिलना चाहिए। इससे जजों को समाज की समस्याओं व प्रश्नों को समझने में आसानी होगी। जज न्याय के माध्यम से उनका समाधान भी कर सकता है। सीजेआई गवई ने कहा कि केवल कानून की चौखट में रहकर न्याय देना संभव नहीं है। सामाजिक पहलुओं को भी ध्यान में रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि हम कॉलेजियम के जरिए योग्यता के आधार पर जजों की नियुक्ति पर जोर दे रहे हैं। उम्मीदवार की जाति, धर्म या सामाजिक पृष्ठभूमि चयन के मानदंड नहीं हो सकते।
संविधान है सर्वोच्च
इससे पहले सीजेआई गवई ने अमरावती में कहा था कि संसद के पास संविधान संशोधन करने की शक्ति है, लेकिन वह संविधान के मूल ढांचे को नहीं बदल सकती है। देश में संविधान सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि एक जज को हमेशा याद रखना चाहिए कि हमारा एक कर्तव्य है। हम नागरिकों के अधिकारों और संवैधानिक मूल्यों और सिद्धांतों के संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि हमारे पास केवल शक्ति नहीं है, हम पर एक कर्तव्य भी सौंपा गया है।
1985 में शुरू हुआ सीजेआईगवई का करियर
जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को महाराष्ट्र के अमरावती जिले में हुआ। साल 1985 में उन्होंने अपना कानूनी करियर शुरू किया। 1987 में बॉम्बे हाईकोर्ट में स्वतंत्र प्रैक्टिस शुरू की। इससे पहले उन्होंने पूर्व एडवोकेट जनरल और हाईकोर्ट के न्यायाधीश राजा एस भोंसले के साथ काम किया। गवई ने 1987 से 1990 तक बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालत की। अगस्त 1992 से 1993 तक बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में सहायक सरकारी वकील और एडिशनल पब्लिक प्रॉसीक्यूटर के रूप में नियुक्त हुए। 14 नवंबर 2003 को बॉम्बे हाईकोर्ट के एडिशनल जज के रूप में प्रमोट हुए। 12 नवंबर 2005 को बॉम्बे हाईकोर्ट के परमानेंट जज बने। 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जस्टिस बने। 14 मई को शपथ लेकर देश के 52वें सीजेआई बने। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।