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  • ‘हिंदी’ को लेकर महाराष्ट्र में सियासी तूफान और तेज

    ‘हिंदी’ को लेकर महाराष्ट्र में सियासी तूफान और तेज

    ठाकरे भाईयों ने किया आंदोलन का ऐलान तो फडणवीस सरकार ने लिया बड़ा फैसला
    मुंबई.
    महाराष्ट्र सरकार द्वारा पहली कक्षा से ही तीसरी भाषा के रूप में हिंदी को शामिल करने के निर्णय को लेकर सूबे में राजनीतिक माहौल गरमाया हुआ है। फडणवीस सरकार के इस फैसले के विरोध में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने 5 जुलाई को मुंबई में एक बड़े मोर्चे का ऐलान किया है। वहीं, शिवसेना (यूबीटी) अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने भी पहली कक्षा से हिंदी विषय पढ़ाने के फैसले के विरोध में आंदोलन शुरू करने कि चेतावनी दी है।

    पवार गुट भी साथ
    मनसे और उद्धव की शिवसेना के अलावा कांग्रेस और एनसीपी शरद पवार गुट ने भी महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले का एक सुर में विरोध किया है। विपक्षी दलों का कहना है कि इतनी कम उम्र से जबरन हिंदी पढ़ाना ठीक नहीं है, महाराष्ट्र में सबसे पहले मराठी भाषा है। बीजेपी के हिंदी को जबरन थोपने के प्रयासों को सफल नहीं होने दिया जायेगा।

    सरकार ने दी सफाई
    इस बीच, राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने गुरुवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में तीन भाषा नीति को स्पष्ट करते हुए कहा कि पहली से दूसरी कक्षा तक हिंदी भाषा का केवल मौखिक शिक्षण ही कराया जाएगा। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय शैक्षणिक नीति के तहत तीसरी भाषा के लिए मौखिक प्रशिक्षण की ही व्यवस्था है और कक्षा पहली-दूसरी के छात्रों को किताबें नहीं दी जाएंगी। केवल शिक्षक पुस्तकों का उपयोग कर मौखिक रूप से पढ़ाएंगे।

    लिखित शिक्षा तीसरी कक्षा से
    दादा भुसे ने आगे बताया कि हिंदी भाषा का लिखित अध्ययन, किताबें और लेखन अभ्यास तीसरी कक्षा से शुरू किया जाएगा। इससे पहले केवल छात्रों के सुनने और बोलने पर जोर दिया जाएगा। हालांकि सरकार के इस स्पष्टीकरण के बावजूद विरोध की लहर थमती नहीं दिख रही है। अब सबकी निगाहें 5 जुलाई के मनसे के मोर्चे पर हैं।

    हिंदी पर राजनीति बर्दाश्त नहीं : आठवले
    वहीँ, केंद्रीय मंत्री रामदास आठवले ने महाराष्ट्र में हिंदी विरोध को लेकर विपक्ष पर सवाल खड़े किए है। आरपीआई प्रमुख आठवले ने कहा कि हिंदी भारत की भाषा है और इसका सम्मान होना चाहिए। हिंदी का विरोध सिर्फ राजनीति फायदे के लिए किया जा रहा है। उन्होंने ऐलान किया कि उनकी पार्टी रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया इस मुद्दे पर रैली निकालेगी। आठवले ने कहा कि हिंदी को लेकर किसी भी तरह की राजनीति बर्दाश्त नहीं की जाएगी। भारत में कई भाषाएं हैं, लेकिन देश में एक सामान्य भाषा की जरूरत है, जिसके लिए संविधान सभा और बाबासाहेब आंबेडकर ने हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में चुना। हिंदी का सम्मान सभी को करना चाहिए।

    भाषा के नाम पर विभाजन ठीक नहीं
    आठवले ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में कुछ लोग हिंदी के खिलाफ बोल रहे हैं, खासकर राज ठाकरे की पार्टी। हिंदी और मराठी दोनों का महत्व है। जैसे अंग्रेजी मीडियम स्कूलों में मराठी पढ़ाई जाती है, वैसे ही मराठी मीडियम स्कूलों में हिंदी को शामिल करना चाहिए। उन्होंने इसे एकता का प्रतीक बताया और कहा कि भाषा के नाम पर विभाजन ठीक नहीं है। मराठी मीडियम स्कूलों में हिंदी को वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाना चाहिए, ताकि दोनों भाषाओं का सम्मान हो।

  • मंत्रीजी के आने से पहले छात्रों से स्कूल की सफाई करवाई

    मंत्रीजी के आने से पहले छात्रों से स्कूल की सफाई करवाई

    बुलढाणा जिले में चौंकाने वाला मामला सामने आया
    बुलढाणा.
    महाराष्ट्र के बुलढाणा जिले में एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। शिक्षा मंत्री दादा भुसे के स्कूल आगमन से ठीक पहले, छात्रों से स्कूल की सफाई करवाई गई। इस घटना को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।

    मीडियाकर्मियों ने देखा
    यह मामला तब सामने आया जब कुछ मीडियाकर्मियों ने छात्रों को झाड़ू लगाते और परिसर साफ करते हुए देखा। आरोप है कि छात्रों को विशेष रूप से मंत्री के आगमन के लिए स्कूल को साफ-सुथरा बनाने का निर्देश दिया गया था। इस घटना ने शिक्षा प्रणाली में छात्रों के शोषण और पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यह खबर तेजी से फैली और इसने तत्काल विवाद खड़ा कर दिया। कई लोगों ने इसे छात्रों के अधिकारों का उल्लंघन और शिक्षा विभाग की लापरवाही बताया। यह सवाल उठाया जा रहा है कि क्या छात्रों को इस तरह के कार्यों में लगाना उचित है, खासकर जब यह एक मंत्री के दौरे से जुड़ा हो।

    कार्रवाई का आश्वासन
    घटना के सामने आने के बाद, शिक्षा विभाग ने मामले की जांच का आश्वासन दिया है। स्वयं शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा है कि यदि आरोप सही पाए जाते हैं और यह पुष्टि होती है कि छात्रों से उनके आगमन के लिए सफाई करवाई गई थी, तो दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि इस जांच के क्या परिणाम निकलते हैं और क्या ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए भविष्य में कोई ठोस कदम उठाए जाते हैं। यह घटना शिक्षा के क्षेत्र में छात्रों के प्रति सम्मान और स्कूल प्रशासन की जवाबदेही पर एक महत्वपूर्ण बहस छेड़ सकती है।