महामारी, प्लेन क्रैश जैसी घटनाओं की आशंका
नई दिल्ली.
ग्रहों की चाल के आधार पर भविष्य की घटनाओं के संकेत को ज्योतिष शास्त्र से समझा जा सकता है। ज्योतिषियों के अनुसार ग्रह गोचर के लिहाज से साल 2025 बेहद महत्वपूर्ण है। इस साल ग्रहों की ऐसी स्थितियां बनी हैं, जो पहले से ही जनधन हानि के संकेत दे रहीं थीं। ऐसी स्थितियां दशकों पहले और महाभारत काल के समय ही बनी थीं। इस समय क्रूर ग्रहों की युति भी इस खतरे को बढ़ा रही है, जो 7 जून को 51 दिन के लिए बनी है, यानी ग्रहों की ये विनाशकारी दशा 28 जुलाई तक बनी रहेगी। आइये जानते हैं अहमदाबाद में एअर इंडिया के बोइंग 787 ड्रीमलाइनर प्लेन क्रैश के पीछे कौन सी ग्रहीय स्थितियां थीं और ये कब तक बनी रहेगी ..
ग्रहों की ये स्थिति प्लेन क्रैश के लिए जिम्मेदारः ज्योतिषी
वर्ष 2025 में शनि के बाद राहु केतु और गुरु का राशि परिवर्तन हुआ है। इन दिनों राहु कुंभ राशि में, केतु सिंह राशि में, गुरु मिथुन राशि में और शनि मीन राशि में हैं। साथ ही गुरु अतिचारी हैं, गुरु की यह चाल भीषण हादसे, आपदा जनधन हानि का कारण बनती है। मान्यता है कि महाभारत के समय में भी गुरु अतिचारी थे। इधर, 7 जून को मंगल ग्रह ने सिंह राशि में प्रवेश किया है। यहां पहले से विराजमान केतु के साथ हुई युति से कुंज केतु योग बना है। इस युति के 51 दिन बाद मंगल के राशि परिवर्तन के साथ यह योग खत्म होगा। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब दो क्रूर ग्रहों की युति होती है तो कुंजकेतु योग बनता है, जो अशुभ होता है।
युद्ध तक के लिए जिम्मेदार होती हैं ये दशा
इसको लेकर ज्योतिष शास्त्र में एक उक्ति प्रचलित है कि ‘शनिवत राहु व कुंजवत केतु’ अर्थात राहु शनि के सामान और केतु मंगल के सामान फल देता है। मेदिनी ज्योतिष में कहा गया है कि राहु और केतु के राशि और नक्षत्र में गोचर से नकारात्मक घटनाएं जैसे युद्ध अग्निकांड, महामारी, दुर्घटना, वायुयान दुर्घटना, राजनीतिक उठापटक, जातिवाद, धार्मिक उन्माद घटती हैं। इसी कारण अग्नि तत्व के ग्रह मंगल जो पराक्रम, साहस, शक्ति, ऊर्जा के कारक हैं और छाया ग्रह केतु जो मोक्ष, वैराग्य, आध्यात्म का कारक है, की जब अग्नि तत्व की राशि सिंह में युति हुई, जबकि गुरु पहले से ही अतिचारी (तेज चाल) थे तो ज्योतिषीय आंकलन किए गए थे कि आने वाले समय में प्लेन क्रैश समेत विनाशकारी घटनाएं घट सकती हैं।
मंगल और केतु के भारत के चौथे घर में
चिंता की बात यह है कि मंगल और केतु की युति भारत के फोर्थ हाउस में हुई है। इस तरह एक नहीं दो नहीं तीन-तीन अग्नि तत्व इस समय में भारतवर्ष की कुंडली में चौथे घर में हैं, जो भारत में हादसे की वजह बने। इससे पहले अगस्त 1989 में मंगल और केतु सिंह राशि में इकट्ठे हुए थे। उस समय में तत्कालीन प्रधानमंत्री जो वी.पी सिंह थे और इन ग्रहों ने उस समय की राजनीति में भूचाल ला दिया था। यही ग्रहीय स्थिति 1990 में कश्मीरी पंडितों के विस्थापन का कारण बनी थी।
28 जुलाई तक बना अशुभ कुंज केतु योग
7 जून से ले कर 28 जुलाई 2025 के बीच में मंगल और केतु की सिंह राशि में युति बनी रहेगी। इस तरह अभी 45 दिन तक यह अशुभ कुंज केतु योग बना रहेगा। ज्योतिषियों का आंकलन है कि इस समय जो भी घटनाएं होंगी वो अपने आप में स्पेशल होंगी। जो भी कुछ घटनाक्रम होंगे कई बार वो बीज का काम करेंगे, जिसकी फसल आने वाला समय काटेगा और ये फसल भी बड़ी महत्वपूर्ण होगी। ये हमेशा के लिए इतिहास के पन्नों में दर्ज हो जाने वाले समय बनेंगे।
मंगल का शुभ-अशुभ प्रभाव
मंगल के गोचर से प्राकृतिक आपदा के साथ अग्नि कांड भूकंप गैस दुर्घटना वायुयान दुर्घटना होने की आशंका रहती है। इस ग्रह के अशुभ प्रभाव देश के कुछ हिस्सों में हवा के साथ बारिश करा सकते हैं, इनके कारण भूकंप या अन्य तरह से प्राकृतिक आपदा आने की भी आशंका अभी भी है।