किसी भी आड़ में अर्बन नक्सली कानून से नहीं होगा खिलवाड़

0
3
Urban Naxals will not tamper with the law under any guise

महाराष्ट्र सरकार कसेगी नकेल, विशेष जन सुरक्षा विधेयक पारित
मुंबई.
‘अर्बन नक्सल’ और माओवादी गतिविधियों पर लगाम लगाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में विशेष जन सुरक्षा विधेयक पारित किया गया है। इस कानून का मकसद शहरी क्षेत्रों में सक्रिय वामपंथी उग्रवादी संगठनों, खासकर तथाकथित ‘अर्बन नक्सल’ की गतिविधियों पर रोक लगाना है। इस विधेयक को राज्य के गृह मंत्री और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सदन में पेश किया। फडणवीस ने बताया कि यह कानून संयुक्त प्रवर समिति की सिफारिशों और 12,500 से अधिक नागरिकों के सुझावों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। उन्होंने यह भी भरोसा दिलाया कि इस कानून का किसी भी तरह से दुरुपयोग नहीं किया जाएगा। यह विधेयक अब विधान परिषद में पेश किया जाएगा। हालांकि, विपक्ष इसका विधान परिषद में मजबूती से विरोध करेगा। अगर वहां भी इसे मंजूरी मिलती है, तो यह जल्द ही राज्य में कानून का रूप ले लेगा।

मुख्यमंत्री ने क्या कहा
मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा, “यह कानून संविधान और लोकतंत्र के खिलाफ काम करने वाले संगठनों पर अंकुश लगाने के लिए समय की जरूरत है। यह कानून अन्य राज्यों की तुलना में कहीं अधिक संतुलित और प्रगतिशील है।” उन्होंने स्पष्ट किया कि तेलंगाना, ओडिशा, झारखंड और आंध्र प्रदेश जैसे राज्यों में पहले से ही ऐसे कानून लागू हैं, लेकिन महाराष्ट्र का यह कानून अधिक सटीक और विचारपूर्ण तरीके से तैयार किया गया है। संयुक्त प्रवर समिति के किसी भी सदस्य ने विधेयक के खिलाफ असहमति दर्ज नहीं कराई।

विपक्ष ने जताई आपत्ति
हालांकि, विपक्ष ने विधेयक के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाए, खासकर ‘अर्बन नक्सल’ शब्द की परिभाषा को लेकर, जिसे वे बहुत व्यापक और अस्पष्ट मानते हैं। विपक्ष ने आशंका जताई है कि इसका इस्तेमाल विचारों की अभिव्यक्ति को दबाने के लिए हो सकता है। इस विधेयक में उच्च न्यायालय के सेवा में या सेवानिवृत्त न्यायाधीश अध्यक्ष होंगे, साथ में एक सेवानिवृत्त जिला न्यायाधीश और एक उच्च न्यायालय का सरकारी वकील सदस्य होंगे। किसी भी संगठन को अवैध घोषित करने से पहले इस सलाहकार बोर्ड की सहमति अनिवार्य होगी। इस कानून के तहत दर्ज अपराधों की जांच केवल पुलिस उपाधीक्षक (डिप्टी एसपी) या उससे ऊपर के अधिकारी द्वारा ही की जा सकेगी। यह विधेयक विधानसभा के पिछले शीतकालीन सत्र में पेश किया गया था और संयुक्त प्रवर समिति को भेजा गया था। सरकार का दावा है कि यह कानून शक्ति का दुरुपयोग नहीं करेगा और पूरी पारदर्शिता के साथ लागू किया जाएगा।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here