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शादी बाद में, पहले थैलेसीमिया जांच

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अनिवार्य करेगी सरकार, अगली पीढ़ी के प्रभावित की संभावना होगी कम
मुंबई.
महाराष्ट्र सरकार थैलेसीमिया को खत्म करने के लिए बड़ा कदम उठाने जा रही है। इस आनुवंशिक रक्त विकार को रोकने के लिए, सरकार अब शादी से पहले थैलेसीमिया की जांच अनिवार्य करने की योजना बना रही है। राज्य की सार्वजनिक स्वास्थ्य राज्य मंत्री मेघना बोर्डीकर ने बताया कि इस समय महाराष्ट्र में 12,860 थैलेसीमिया के मरीज हैं। यह बीमारी शरीर में हीमोग्लोबिन और स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाओं के उत्पादन को प्रभावित करती है। अगर इसका समय पर पता न चले, तो यह अगली पीढ़ी में भी जा सकती है, जिससे हीमोग्लोबिन का स्तर घट जाता है या बिल्कुल नहीं बनता। ऐसे मरीजों को नियमित रूप से हीमोग्लोबिन की जांच करानी पड़ती है।

सरकार की अन्य पहल
बोर्डीकर ने यह भी बताया कि परभणी में 8 मई को पायलट प्रोजेक्ट शुरू हो चुका है। इसके अलावा, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में ‘एक कदम थैलेसीमिया मुक्ति की ओर’ अभियान भी चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत थैलेसीमिया से पीड़ित लोगों को परिवहन से लेकर अस्पतालों में सुविधाएं मुहैया कराई जा रही हैं। भाजपा सदस्य योगेश सागर के सुझाव पर कि गर्भवती महिलाओं के साथ उनके पति की भी जांच की जाए, बोर्डीकर ने बताया कि सरकार शादी से पहले ही जांच अनिवार्य करने पर विचार कर रही है। उन्होंने यह भी कहा कि अस्पतालों में थैलेसीमिया के मरीजों के लिए बेड आरक्षित किए जाएंगे।

जानें, थैलेसीमिया क्या है?
थैलेसीमिया एक आनुवंशिक रक्त विकार है। इसमें शरीर पर्याप्त हीमोग्लोबिन या स्वस्थ लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बना पाता। इससे एनीमिया (खून की कमी) हो सकती है और थकान, कमजोरी जैसे लक्षण दिख सकते हैं। यदि इस बीमारी का सही समय पर निदान और उपचार न किया जाए, तो यह अगली पीढ़ियों में भी जा सकती है, जिससे पीड़ित व्यक्ति के शरीर में हीमोग्लोबिन का स्तर कम हो जाता है या बनना बंद हो जाता है।

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