प्रतिष्ठित स्कूल में शर्मनाक घटना
नागपुर.
नागपुर के एक प्रतिष्ठित स्कूल के छात्रावास में एक 17 वर्षीय किशोरी के साथ यौन उत्पीड़न का मामला सामने आया है, जिसने पूरे शहर को शर्मसार कर दिया है। यह घटना न केवल उस छात्रा के लिए भयावह है, बल्कि यह हमारे समाज की सुरक्षा और नैतिक मूल्यों पर भी एक गहरा सवाल खड़ा करती है। जब माता-पिता अपने बच्चों को बेहतर शिक्षा के लिए छात्रावास भेजते हैं, तो वे उन संस्थानों पर पूरा भरोसा करते हैं, लेकिन जब ऐसे सुरक्षित माने जाने वाले स्थानों पर ही बच्चों के साथ ऐसी घिनौनी हरकतें होती हैं, तो यह विश्वास टूट जाता है।
वासना की विकृत मानसिकता
एक 73 वर्षीय व्यक्ति, जिसे बच्चों का मार्गदर्शक और संरक्षक होना चाहिए, उसी ने अपने पद का दुरुपयोग किया और एक किशोरी को कई महीनों तक यौन प्रताड़ित किया। यह दिखाता है कि वासना और विकृत मानसिकता की कोई उम्र नहीं होती। यह घटना केवल एक व्यक्ति का कुकृत्य नहीं है, बल्कि यह उस व्यवस्था की भी विफलता है, जिसने ऐसे व्यक्ति को इतने संवेदनशील पद पर बिठाया। छात्रावास प्रबंधन की लापरवाही और जवाबदेही पर गंभीर सवाल उठते हैं। क्या उन्होंने कभी वार्डन के व्यवहार पर ध्यान दिया? क्या वहां छात्राओं की सुरक्षा के लिए कोई निगरानी व्यवस्था थी?
सख्त सजा की मांग
इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तत्काल और कठोर कदम उठाने की आवश्यकता है। पुलिस को इस मामले में त्वरित और निष्पक्ष जांच करनी चाहिए और पोक्सो व एट्रासिटी एक्ट के तहत मामला दर्ज कर दोषी को सख्त से सख्त सजा दिलानी चाहिए। साथ ही, छात्रावासों और स्कूलों को अपने कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की गहन जांच करनी चाहिए और सुरक्षा मानकों को और भी मजबूत बनाना चाहिए। बच्चों को ‘गुड टच’ और ‘बैड टच’ के बारे में जागरूक करना और उन्हें अपनी आवाज उठाने के लिए प्रोत्साहित करना भी बेहद ज़रूरी है।