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7/12 कोरा के लिए 8 दिन में 138 किमी की यात्रा

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बच्चू कडू फिर आक्रामक
अमरावती.
किसानों की कर्जमाफी की मांग को लेकर बच्चू कडू एक बार फिर आक्रामक हो गए हैं। उनकी “7/12 कोरा यात्रा” आज से शुरू हो रही है। यह यात्रा स्वतंत्र भारत के पहले कृषि मंत्री डॉ. पंजाबराव देशमुख की जन्मभूमि पापल गांव से शुरू होकर सात दिनों में 138 किलोमीटर की दूरी तय करेगी। यह पदयात्रा उम्बरदा बाजार, मानकी, वलसा, तिवरी, तुपटाकली, काली दौलत, गुंज जैसे गांवों से होते हुए यवतमाल जिले के चिलगव्हाण में समाप्त होगी, जहां देश में पहली किसान आत्महत्या दर्ज की गई थी।

 

कर्जमाफी की तारीख घोषित न होने पर विरोध
बच्चू कडू ने बताया कि विधानसभा सत्र में दर्जनों मंत्रियों की बैठकें हुईं, लेकिन कर्जमाफी की तारीख घोषित नहीं हुई और न ही कोई सरकारी आदेश जारी किया गया। इसी वजह से उन्होंने यह पदयात्रा निकालने का फैसला किया है। उनका कहना है कि इस यात्रा का उद्देश्य आंदोलन की गति को बनाए रखना और किसानों में जनजागरूकता फैलाना है।

 

किसानों के लिए एकजुटता का आह्वान
बच्चू कडू ने इस बात पर जोर दिया कि किसानों के लिए सभी जाति, पंथ, धर्म और राजनीतिक विचारों को एक तरफ रखकर एकजुट होना आवश्यक है। उन्होंने कहा, “जब तक किसानों का सातबारा कोरा (कर्जमुक्त) नहीं हो जाता, तब तक हम रुकेंगे नहीं।” उन्होंने यह भी अपील की कि सभी जाति-धर्म के लोग एकजुट हों और कर्जमाफी के लिए संघर्ष करें, भले ही वे किसी को भी वोट दें।

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महाराष्ट्र में बढ़ती किसान आत्महत्याएं
पिछले तीन महीनों में महाराष्ट्र में 767 किसानों ने आत्महत्या की है, जिससे यह देश में सर्वाधिक किसान आत्महत्याओं वाला राज्य बन गया है। इनमें से यवतमाल जिले में सबसे ज्यादा आत्महत्याएं दर्ज की गई हैं।

 

सरकार से कर्जमाफी का निर्णय लेने की मांग
दिवंगत साहेबराव करपे को नमन करते हुए बच्चू कडू ने संकल्प लिया कि वे भविष्य में किसी भी किसान को आत्महत्या करने से रोकने के लिए संघर्ष करेंगे। उन्होंने कहा, “किसान दिन-रात खेतों में काम करके दुनिया का पेट भरते हैं, लेकिन आज वही अन्नदाता भूखे सोने को मजबूर है।” उन्होंने सरकार से अपील की कि वे राजनीति को दरकिनार कर कर्जमाफी का निर्णय लें, क्योंकि किसान की कोई जाति या धर्म नहीं होता, वह केवल एक किसान होता है।