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31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद खत्म

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प्रभावित जिलों की संख्या मात्र 6 रह गई है : शाह
नई दिल्ली.
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार 31 मार्च, 2026 तक नक्सलवाद को जड़ से उखाड़ फेंकने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। देश में नक्सलवाद से प्रभावित कुल 38 जिलों में से अति प्रभावित जिलों की संख्या 12 से घटकर 6 हो गई है। इनमें छत्तीसगढ़ के चार जिले—बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा, झारखंड का पश्चिमी सिंहभूम और महाराष्ट्र का गड़चिरोली शामिल हैं।

मोदी सरकार प्रतिबद्ध
शाह ने कहा कि भारत ने नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है। मोदी सरकार नक्सलवाद के प्रति “रूथलेस अप्रोच” और समग्र विकास के लिए अथक प्रयासों के साथ एक सशक्त, सुरक्षित और समृद्ध भारत का निर्माण कर रही है। गृह मंत्री के अनुसार, नक्सलवाद से प्रभावित जिलों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है। पहली श्रेणी “अति प्रभावित जिले”, जिनकी संख्या 12 से घटकर 6 हो गई। दूसरी श्रेणी “डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न” , जहां अतिरिक्त संसाधनों की सघन आवश्यकता है, जिनकी संख्या 9 से घटकर 6 रह गई है। इनमें आंध्र प्रदेश का अल्लूरी सीताराम राजू, मध्य प्रदेश का बालाघाट, ओडिशा के कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी, और तेलंगाना का भद्राद्रि-कोठागुडेम जिला शामिल हैं। तीसरी श्रेणी “अन्य एलडब्ल्यूई प्रभावित जिले” है, जिनकी संख्या भी 17 से घटकर 6 हो गई, जिसमें छत्तीसगढ़ के दंतेवाड़ा, गरियाबंद और मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी, झारखंड का लातेहार, ओडिशा का नुआपाड़ा और तेलंगाना का मुलुगु जिला शामिल हैं।

विशेष केंद्रीय सहायता योजना
इस सफलता के पीछे भारत सरकार की विशेष केंद्रीय सहायता योजना का बड़ा योगदान है। इस योजना के तहत अति प्रभावित जिलों को 30 करोड़ रुपये और डिस्ट्रिक्ट ऑफ कन्सर्न को 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है। यह राशि सार्वजनिक बुनियादी ढांचे में व्याप्त अंतराल को भरने के लिए उपयोग की जाती है। इसके अलावा, इन जिलों की विशिष्ट जरूरतों के लिए विशेष परियोजनाओं का भी प्रावधान किया गया है।

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सुरक्षा और विकास का संयुक्त प्रयास
पिछले एक साल में वामपंथी उग्रवाद के परिदृश्य में तेजी से सुधार देखा गया है। इसका प्रमुख कारण उग्रवाद प्रभावित कोर क्षेत्रों में नए सुरक्षा कैंपों की स्थापना और विकासोन्मुखी कार्यों का विस्तार रहा है। सड़कों का निर्माण, परिवहन सुविधाओं में सुधार, पानी और बिजली की उपलब्धता, और शासन की जनकल्याणकारी योजनाओं की ग्रामीण स्तर तक पहुंच बढ़ने से नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में बदलाव आया है। इन प्रयासों ने न केवल नक्सलियों के प्रभाव को कम किया, बल्कि स्थानीय लोगों का विश्वास भी जीता है।

नक्सलमुक्त भारत का संकल्प
अमित शाह ने कहा, “नक्सलवाद देश के विकास और शांति का सबसे बड़ा दुश्मन रहा है। मोदी सरकार इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध है। हमारा लक्ष्य 31 मार्च, 2026 तक भारत को पूरी तरह नक्सलमुक्त बनाना है।” सरकार की यह रणनीति न केवल सुरक्षा बलों की सख्त कार्रवाई पर आधारित है, बल्कि विकास के माध्यम से प्रभावित क्षेत्रों को मुख्यधारा में शामिल करने पर भी केंद्रित है। यह उपलब्धि नक्सलवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में एक निर्णायक मोड़ साबित हो सकती है, जो दशकों से देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए चुनौती बनी हुई थी।