हमारा WH वेब न्यूज़ चैंनल है। आम जनता की समस्याओं पर प्रकाश डालने का कार्य करता है। हर तबको की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करने का दायित्व निभाते। देश की एकता अखण्डता रखने के लिए हर प्रयास करते है। किसान,बेरोजगारी,शिक्षा,व्यापार,की ख़बर प्रमुखतासे दिखाने प्रयास करते है। किसी भी जाती धर्म की भावनाओं को ठेच पहुँचानी वाली खबरों से हम दूर रहते है। देश की एकता ,अखंडता को हम हमेशा कायम रखने के लिए कार्य करेंगे। तो हमारे WH News को भारी मात्रा में सब्स्क्राइब कर हमें प्रोत्साहित करें।

‘हिंदी’ पर फडणवीस-राज ठाकरे आमने-सामने

spot_img

अंग्रेजी को बढ़ावा और भारतीय भाषा के तिरस्कार का आरोप
मुंबई.
महाराष्ट्र सरकार की ओर से पहली कक्षा से हिंदी भाषा को अनिवार्य करने की खबर ने सूबे की राजनीति में हलचल मचा दी है। महाराष्ट्र सरकार ने अपने सरकारी संकल्प में कहा कि हिंदी तीसरी भाषा होगी। लेकिन जो छात्र दूसरी भाषा सीखना चाहते हैं, उनके लिए कम से कम 20 इच्छुक छात्रों की आवश्यकता होगी। इस फैसले का महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) प्रमुख राज ठाकरे ने कड़ा विरोध किया है। चेतावनी दी कि यदि राज्य सरकार ने यह नीति वापस नहीं ली, तो मनसे आंदोलन करेगी और फिर उसकी जिम्मेदारी मनसे की नहीं होगी। उन्होंने कहा कि अगर सरकार इसे चुनौती मानती है, तो ऐसे ही समझ ले।

सरकार यह है पक्ष
राज ठाकरे का विरोध ऐसे समय में आया है जब राज्यभर में हिंदी को अनिवार्य बनाए जाने को लेकर बहस तेज हो गई है। हालांकि इस विवाद पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि हिंदी भाषा अब अनिवार्य नहीं है और छात्रों को किसी भी भारतीय भाषा को तीसरी भाषा के रूप में चुनने की स्वतंत्रता दी गई है। राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री दादाजी भुसे ने कहा, “मैं यह स्पष्ट करता हूं कि सभी माध्यम के स्कूलों में मराठी भाषा को पढ़ाना अनिवार्य है। कई स्कूलों में तीसरी भाषा कई वर्षों से पढ़ाई जा रही है। इसलिए महाराष्ट्र सरकार ने यह निर्णय लिया है कि तीसरी भाषा विद्यार्थियों और उनके अभिभावकों की मांग के आधार पर पढ़ाई जाएगी।

सीएम फडणवीस ने रखी बात
फडणवीस ने स्पष्ट किया कि मराठी भाषा हर हाल में अनिवार्य रहेगी और हिंदी को केवल एक विकल्प के तौर पर रखा गया है। उन्होंने विवाद को अनावश्यक करार देते हुए कहा कि हिंदी के विकल्प भी मौजूद हैं, इसलिए जो छात्र कोई भी दूसरी भारतीय भाषा सीखना चाहता है, वह उसे सीख सकता है। उन्होंने कहा कि हम सभी लोग अंग्रेजी को बढ़ावा देते हैं और भारतीय भाषाओं का तिरस्कार करते हैं, जो सही नहीं है। भारतीय भाषाएं अंग्रेजी से बेहतर हैं। भले ही अंग्रेजी व्यवहार की भाषा बन गई हो, लेकिन इस नई शिक्षा नीति ने जो सबसे महत्वपूर्ण काम किया है, वह यह है कि इसने मराठी को ज्ञान की भाषा बनाने का मार्ग प्रशस्त किया है। अब इंजीनियरिंग, मेडिकल और एमबीए जैसे कोर्स भी मराठी भाषा में पढ़ सकते हैं, जो पहले कभी नहीं हुआ था।

Advertisements