अदालत ने कहा- अब सिर्फ मुख्य याचिका पर होगा फैसला
मुंबई:
शिवसेना (यूबीटी) के नेता उद्धव ठाकरे की याचिका पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई हुई, जिसमें शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया कि अब केवल मुख्य याचिका पर फैसला ही उपयुक्त रहेगा। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाला बागची की पीठ ने उद्धव ठाकरे खेमे से इस मामले में नई अर्जी दाखिल नहीं करने के लिए कहा है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला दो वर्षों से लंबित है और अब इसे आगे बढ़ाने की जरूरत है। अगर इस दौरान चुनाव होते हैं, तो दोनों पक्ष चुनाव लड़ सकते हैं। एकनाथ शिंदे गुट की ओर से मुकुल रोहतगी और नीरज किशन कौल ने पक्ष रखा, जबकि ठाकरे गुट की ओर से कपिल सिब्बल और रोहित शर्मा ने दलीलें पेश कीं। कोर्ट ने अगस्त में सुनवाई की तारीख की मांग पर शेड्यूल देखकर जल्द तारीख की जानकारी देने की बात कही।
नाम और झंडे पर विवाद
दरअसल, उद्धव ठाकरे ने कोर्ट से अपील की है कि उन्हें ‘शिवसेना’ नाम, ‘धनुष-बाण’ निशान और बाघ वाले भगवा झंडे का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए, खासकर महाराष्ट्र में होने वाले स्थानीय निकाय चुनावों के लिए। उन्होंने तर्क दिया है कि ये प्रतीक 1985 से शिवसेना की मूल पहचान रहे हैं और मतदाता इन्हें बालासाहेब ठाकरे से जोड़ते हैं।
चुनाव आयोग के फैसले को चुनौती
जून 2022 में एकनाथ शिंदे ने शिवसेना से बगावत कर अलग गुट बनाया था, जिसके बाद फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने शिंदे गुट को ‘शिवसेना’ नाम और ‘धनुष-बाण’ चिन्ह दे दिया था। उद्धव ठाकरे ने इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जो दो साल से लंबित है। उद्धव गुट चाहता है कि कोर्ट राज्य के स्थानीय चुनावों के लिए अस्थायी राहत दे, ताकि उनका नुकसान न हो। हालांकि, शिंदे गुट के वकील ने इसका विरोध करते हुए कहा कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव पहले ही इस नाम और चिन्ह से हो चुके हैं, और 7 मई को सुप्रीम कोर्ट ने उद्धव की ऐसी ही मांग ठुकरा दी थी। गौरतलब है कि 10 जनवरी 2024 को महाराष्ट्र विधानसभा स्पीकर राहुल नार्वेकर ने शिंदे गुट को ‘असली शिवसेना’ माना था, जिसके खिलाफ उद्धव गुट ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।