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लाडली बहनें आर्थिक मोर्चे पर बनेंगी और ‘आत्मनिर्भर’

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सरकार ने लिया बड़ा फैसला
मुंबई.
महाराष्ट्र सरकार की ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहीण योजना’ के तहत अब लाभार्थी महिलाओं के लिए एक बड़ा बदलाव किया गया है। रत्नागिरी जिले में इस योजना से जुड़ी महिलाओं को अब समूह बनाकर सहकारी ऋण संस्था (को-ऑपरेटिव क्रेडिट सोसाइटी) स्थापित करनी होगी। महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से यह निर्देश जारी किए गए हैं, जिसके तहत रत्नागिरी के सहायक आयुक्त निबंधक को इस संबंध में आधिकारिक परिपत्रक भेजा गया है।

यह है असली उद्देश्य
मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना के तहत अब तक पात्र महिलाओं को प्रतिमाह 15 रुपये कि आर्थिक सहायता दी जा रही थी, लेकिन सरकार का नया कदम उन महिलाओं को सिर्फ लाभ लेने तक सीमित नहीं रखना चाहता, बल्कि उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त और आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में आगे बढ़ाना है। इसलिए उन्हें अब सामूहिक रूप से एक मान्यता प्राप्त सहकारी संस्था बनानी होगी, जो न सिर्फ उनके लिए, बल्कि अन्य महिलाओं के लिए भी आर्थिक सहयोग का माध्यम बन सके।

कुछ मानदंड भी तय
जानकारी के मुताबिक, इस शहरी सहकारी क्रेडिट सोसायटी के पंजीकरण के लिए कुछ मानदंड भी तय किए गए हैं। गांव क्षेत्र की संस्था के लिए कम से कम 250 सदस्य और डेढ़ लाख रुपये की अंश पूंजी होनी चाहिए। नगरपालिका क्षेत्र की संस्था के लिए 500 सदस्य और पांच लाख रुपये की अंश पूंजी, तालुका स्तर पर भी इतनी ही शर्तें होंगी। जिला स्तर की संस्था के लिए 1500 सदस्य और 10 लाख रुपये की अंश पूंजी आवश्यक होगी।

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सदस्यता उन्हीं महिलाओं को
महिला सहकारी संस्था की सदस्यता उन्हीं महिलाओं को मिलेगी, जिनके नाम महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा प्रमाणित लाभार्थियों की सूची में शामिल हैं। इच्छुक महिलाएं अगर जिला स्तर की संस्था बनाना चाहती हैं, तो उन्हें जिला उप रजिस्ट्रार, सहकारी संस्था कार्यालय, रत्नागिरी से संपर्क करना होगा। वहीं, तालुका या उससे छोटे स्तर की संस्था के लिए संबंधित तालुका सहायक रजिस्ट्रार, सहकारी संस्था या अधिकारी श्रेणी-1 के कार्यालय से संपर्क किया जा सकता है।

महिला सशक्तिकरण की दिशा में कदम
जिला उप-रजिस्ट्रार सोपान शिंदे ने इस पहल की जानकारी देते हुए बताया कि इस पूरी प्रक्रिया में रत्नागिरी की लाभार्थी महिलाओं को सहायता और मार्गदर्शन देने के लिए विशेष रूप से संरक्षक अधिकारी और सहायक अधिकारी की नियुक्ति भी की गई है। ये अधिकारी संस्था की स्थापना, नियमावली, दस्तावेजी प्रक्रिया और पंजीकरण से जुड़े हर पहलू पर महिलाओं की मदद करेंगे। यह पहल महिलाओं को आर्थिक रूप से स्वावलंबी बनाने के लिए है। दरअसल सरकार चाहती है कि लाडली बहना योजना (लाडकी बहीण योजना) के लाभार्थी महिलाएं अब सिर्फ सहायता प्राप्त करने वाली न रहें, बल्कि एक संगठित वित्तीय संस्था की संस्थापक और संचालक बनें। यह कदम महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक ठोस प्रयास माना जा रहा है।