नारायण राणे का बड़ा दावा, कहा- पहचान मिट जाएगी
मुंबई.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा सांसद नारायण राणे ने उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के बीच संभावित गठबंधन की संभावना को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने दावा किया है कि ऐसा होने पर उद्धव राजनीतिक रूप से अप्रासंगिक हो जाएंगे और राज ठाकरे उनकी जगह शिवसेना (यूबीटी) के नेता बन जाएंगे।
राणे के दावे के मुख्य बिंदु
गठबंधन असंभव: राणे का मानना है कि उद्धव, राज ठाकरे को गठबंधन के लिए आमंत्रित नहीं करेंगे, क्योंकि अगर राज ने उद्धव के साथ हाथ मिला लिया तो वह शिवसेना (यूबीटी) के नेता बन जाएंगे और उद्धव का कोई अस्तित्व नहीं रह जाएगा।
राज ठाकरे की पहचान: राणे ने यह भी कहा कि राज ठाकरे भी कभी शिवसेना (यूबीटी) में शामिल नहीं होंगे, क्योंकि ऐसा कदम उठाने से उनकी वर्तमान पहचान मिट जाएगी।
उद्धव पर निशाना: राणे ने उद्धव ठाकरे पर अपने पिता और शिवसेना के संस्थापक दिवंगत बाल ठाकरे की राजनीतिक विरासत को बर्बाद करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि बालासाहेब ने 48 साल में जो हासिल किया, उसे उद्धव ने महज़ ढाई साल में बर्बाद कर दिया। राणे के अनुसार, असली शिवसेना उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की है।
मराठी मानुष का मुद्दा: राणे ने उद्धव पर मराठी लोगों के हितों के लिए केवल दिखावटी बातें करने का आरोप लगाया और मराठी गौरव के लिए उनकी अचानक उभरी चिंता पर सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि उद्धव के बच्चे अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में गए, और जब वह ढाई साल तक सत्ता में थे, तब मराठी मानुष के लिए उन्होंने क्या किया?
रोज़गार और हिंदुत्व: राणे ने उद्धव पर मराठी युवाओं को रोज़गार देने में विफल रहने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि शिवसेना को मराठी लोगों ने समर्थन दिया और उसे मज़बूत बनाया, लेकिन इस मजबूत आधार का इस्तेमाल केवल राजनीतिक अस्तित्व (ठाकरे परिवार) के लिए किया गया। उन्होंने निष्कर्ष निकाला कि उद्धव को मराठी लोगों या हिंदुत्व की ओर से बोलने का कोई अधिकार नहीं है।
ऐन वक्त पर बड़ा धमाका
यह बयान ऐसे समय में आया है जब महाराष्ट्र सरकार द्वारा त्रिभाषा नीति के बढ़ते विरोध के बीच प्राथमिक विद्यालयों में हिंदी भाषा शुरू करने संबंधी दो सरकारी प्रस्तावों को रद्द किए जाने के बाद उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे 5 जुलाई को एक विजय रैली करने जा रहे हैं, जिससे उनके बीच संभावित सुलह की अटकलें लगाई जा रही थीं।