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मुठभेड़ में 3 बड़े माओवादी नेता मारे गए

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दो पर 25 लाख का इनाम, एक पर विधायक और पूर्व विधायक की हत्या का आरोप
हैदराबाद.
आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीताराम राजू जिले में बुधवार को पुलिस के साथ मुठभेड़ में सीपीआई (माओवादी) के तीन बड़े नेता मारे गए। आंध्र प्रदेश और ओडिशा सीमा पर स्थित देवीपटनम वन क्षेत्र में विशिष्ट माओवादी विरोधी बल ग्रेहाउंड्स के जवानों और माओवादियों के बीच गोलीबारी हुई।

पुलिस पर शुरू कर दी फायरिंग
जंगलों में तलाशी अभियान चला रहे ग्रेहाउंड्स के जवानों ने माओवादियों को देखा और उनसे आत्मसमर्पण करने को कहा। माओवादियों ने जब गोलीबारी शुरू की तो सुरक्षाकर्मियों ने जवाबी कार्रवाई की और तीन माओवादियों को मार गिराया। मुठभेड़ रामपचोदवरम और मारेदुमिल्ली मंडलों के बीच जंगलों में कोंडामोडालु के पास हुई।

तीन एके-47 राइफलें बरामद
मारे गए माओवादियों की पहचान आंध्र ओडिशा बॉर्डर (एओबी) स्पेशल जोन कमेटी के सचिव गजरला रवि उर्फ उदय, स्पेशल जोन कमेटी सदस्य अरुणा और स्पेशल जोन कमेटी एसीएम अंजू के रूप में हुई। रवि सीपीआई (माओवादी) केंद्रीय समिति का सदस्य भी था। सुरक्षा बलों ने मुठभेड़ स्थल से तीन एके-47 राइफलें बरामद की।

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अरुणा का पति मारा जा चुका है
अरुणा, केंद्रीय समिति के सदस्य रामचंद्र रेड्डी उर्फ चलापथी की पत्नी थी, जो इस वर्ष जनवरी में ओडिशा की सीमा के पास छत्तीसगढ़ में सुरक्षाबलों द्वारा मार गिराए गए 14 माओवादियों में शामिल थे। अरुणा अराकू विधायक किदारी सर्वेश्वर राव और पूर्व विधायक सिवेरी सोमा की हत्या में शामिल थी। माओवादियों ने 2018 में विशाखापत्तनम जिले में टीडीपी के दो नेताओं की गोली मारकर हत्या कर दी थी। अरुणा विशाखापत्तनम जिले के पेंडुर्थी मंडल के करकावानीपालम की मूल निवासी थी और उसके सिर पर 25 लाख रुपये का इनाम था। उदय के सिर पर भी 25 लाख रुपये का इनाम था।

दंडकारण्य और झारखंड के जंगल माओवादियों का गढ़
माओवादियों के शवों को रामपचोड़ावरम क्षेत्रीय अस्पताल में स्थानांतरित कर दिया गया है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने मुठभेड़ स्थल का दौरा किया। तीन माओवादी नेताओं की हत्या को एओबी क्षेत्र में प्रतिबंधित संगठन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। एओबी को माओवादी छत्तीसगढ़ के दंडकारण्य क्षेत्र और झारखंड के जंगलों के बीच एक सुरक्षित रास्ता मानते थे। एओबी में माओवादियों को यह ताजा झटका छत्तीसगढ़ में ऑपरेशन कगार के तहत सुरक्षा बलों द्वारा कई माओवादियों को मार गिराने के तुरंत बाद आया है।