फडणवीस सरकार का बड़ा एक्शन- किसानों का मुआवजा हजम करने वाले 21 अधिकारी सस्पेंड
मुंबई.
महाराष्ट्र में प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे में करोड़ों रुपये का घोटाला राजनीतिक रूप रंग लेता जा रहा है। एक तरफ, सरकार जिम्मेदारों के खिलाफ एकश्न ले रही है, तो दूसरी तरफ राजनीतिक दल इसमें अपना मुद्दा तलाश रहे हैं। बताया जा रहा है कि यह हेराफेरी एक संगठित नेटवर्क के जरिए की गई, जिसमें तलाठी, ग्रामसेवक और कृषि सहायक जैसे अधिकारी शामिल थे। कुछ मामलों में एक-एक अधिकारी पर एक करोड़ रुपये से अधिक की राशि गबन करने के भी आरोप हैं।
ऐसे सामने आया घोटाला
यह घोटाला किसानों और मुखबिरों की कई शिकायतों के बाद सामने आया, जिसके बाद प्रशासन ने विस्तृत जांच के आदेश दिए। जांच में पता चला है कि अधिकारियों ने फर्जी किसानों के नाम पर दोगुना अनुदान लिया, सरकारी जमीन के नाम पर पैसे का गबन किया, और कई मामलों में एक ही व्यक्ति के नाम पर दो बार मुआवजा लिया गया। कुछ मामलों में तो ऐसे लोगों को भी लाभ दे दिया गया, जिनके पास जमीन ही नहीं थी।
जालना में कार्रवाई तेज
जानकारी के अनुसार, अकेले जालना जिले में 17 तलाठी और 4 वरिष्ठ लिपिक (क्लर्क) को निलंबित कर दिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि किसानों के नाम पर जारी मुआवजा राशि में हुए लगभग 35 करोड़ रुपये के घोटाले में जालना जिला प्रशासन ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 11 और अधिकारियों को निलंबित कर दिया है। इससे पहले 13 जून को 10 तलाठियों को निलंबित किया गया था, जिससे अब तक इस मामले में कुल 21 सरकारी कर्मचारी निलंबित किए जा चुके हैं।
यहां लगभग 35 करोड़ का घोटाला
जिलाधिकारी श्रीकृष्ण पांचाल ने इन 11 अधिकारियों के निलंबन का आदेश जारी किया, जिनमें सात तलाठी यानी ग्रामीण राजस्व अधिकारी और जालना तहसील कार्यालय में कार्यरत चार वरिष्ठ क्लर्क शामिल हैं। जिला प्रशासन के अनुसार, यह घोटाला प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित किसानों को वर्ष 2022 से 2024 के बीच दी जाने वाली मुआवजा राशि में सामने आया है। प्रारंभिक ऑडिट में खुलासा हुआ कि जालना जिले की अम्बड और घनसावंगी तहसीलों में कार्यरत 26 अधिकारियों ने 34.97 करोड़ रुपये की अनियमितताएं की हैं।
35 और अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू
अब इस घोटाले में 35 और तलाठी की भूमिका की जांच शुरू कर दी गई है। जिला प्रशासन ने संकेत दिए हैं कि आगे और भी निलंबन व कड़ी कार्रवाई हो सकती है। इस घोटाले ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं, खासकर तब जब यह घोटाला उन किसानों के हक पर डाका डालने जैसा है, जो प्राकृतिक आपदाओं से पहले ही त्रस्त हैं। प्रशासन ने मामले की गहनता से जांच करने और सभी दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है।