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महाराष्ट्र की राजनीति में ‘संजयों’ का जलवा

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‘एक-दूसरे की दूर-दृष्टि’ पर ‘संजय’ को शक, महाघमासान अभी बाकी है
मुंबई.
महाराष्ट्र की राजनीति में चार-चार संजय इस समय सुर्खियों में हैं, और वे आपस में एक-दूसरे की ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठाते हुए तीखी बयानबाजी और आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त हैं। यह स्थिति बताती है कि महाराष्ट्र की राजनीति में महाघमासान अभी बाकी है। ये ‘संजय’ इस घमासान के केंद्र में बने हुए हैं।

राउत बनाम निरुपम
उद्धव ठाकरे गुट के प्रमुख नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत अपने बयानों के लिए अक्सर सुर्खियों में रहते हैं। वे उद्धव बालासाहेब ठाकरे शिवसेना के प्रमुख प्रवक्ता हैं और हर मुद्दे पर मुखर होकर अपनी बात रखते हैं। उनके मुकाबले में, कांग्रेस छोड़कर शिंदे की अगुवाई वाली शिवसेना में शामिल हुए संजय निरुपम भी पार्टी का पक्ष मजबूती से रखते हैं। हाल ही में, संजय निरुपम ने राउत पर तीखा हमला बोला था। गुरु पूर्णिमा के दिन उन्होंने कहा कि एकनाथ शिंदे की अमित शाह से कोई मुलाकात नहीं हुई थी, वे झारखंड में थे, लेकिन इसके बाद भी राउत ने झूठ फैलाया। तब निरुपम ने राउत से शिंदे से माफी मांगने की मांग की थी। यह दोनों संजय, जो कभी एक ही विचारधारा के करीब थे, अब एक-दूसरे के खिलाफ बयानी जंग छेड़े हुए हैं, जिससे उनकी ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठते हैं कि वे किसके कहने पर या किस एजेंडे के तहत बयान दे रहे हैं।

राउत बनाम शिरसाट
शिंदे गुट के मंत्री संजय शिरसाट इन दिनों विपक्ष के निशाने पर हैं। आयकर विभाग ने उन्हें संपत्ति में गड़बड़ी को लेकर नोटिस भेजा है, जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं। इसी बीच, संजय राउत ने शिरसाट के बेडरूम का एक कथित वीडियो शेयर कर हड़कंप मचा दिया, जिसमें कथित तौर पर नोटों के बंडल दिखाई दे रहे हैं। यह वीडियो सामने आने के बाद शिरसाट ने संजय राउत पर मानहानि का दावा करने की चेतावनी दी है। शिरसाट का कहना है कि यह एक ‘मॉर्फ्ड वीडियो’ है, जिसका इस्तेमाल उन्हें बदनाम करने के लिए किया गया है। यह प्रकरण दोनों संजयों के बीच राजनीतिक द्वेष को उजागर करता है, जहां एक-दूसरे को नीचा दिखाने के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, जिससे उनकी ‘दूर-दृष्टि’ पर सवालिया निशान लगता है।

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गायकवाड़ की हुंकार
बुलढाणा विधानसभा सीट से विधायक संजय गायकवाड़ अक्सर विवादों में रहते हैं। कैंटीन में स्टाफ को पीटने के बाद उन्होंने कहा था कि वे फिर पीटेंगे। इतना ही नहीं, बाद में उन्होंने दक्षिण भारतीयों पर निशाना साधते हुए कहा था कि ‘साउथ इंडियन डांस और लेडीज बार चलाकर महाराष्ट्र की संस्कृति को खराब कर रहे हैं, इन्हें खाने के ठेके नहीं मिलने चाहिए।’ संजय गायकवाड़ की ये टिप्पणियां उनकी ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठाती हैं कि क्या वे समाज में ध्रुवीकरण पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।

बीजेपी के संजय उपाध्याय
इन तीन संजयों के अलावा, बीजेपी में भी एक प्रमुख ‘संजय’ हैं – संजय उपाध्याय, जो मुंबई में पार्टी का एक बड़ा उत्तर भारतीय चेहरा हैं। संजय उपाध्याय पिछले दिनों अवैध बांग्लादेशियों के मुद्दे पर काफी आक्रामक हुए थे। उन्होंने कहा था कि ‘वह कुछ भी हो जाए, लेकिन बोरीवली को बांग्लादेश नहीं बनने देंगे।’ संजय उपाध्याय की गिनती फडणवीस के विश्वसनीय लोगों में होती है और वे मुंबई बीजेपी प्रमुख के दावेदारों में से एक हैं। अभी फिलहाल आशीष शेलार मुंबई की कमान संभाल रहे हैं।

अपनी जगह बनाने की कोशिश
इन चारों ‘संजयों’ के बीच की यह तकरार दर्शाती है कि महाराष्ट्र की राजनीति में हर कोई अपनी जगह बनाने और अपने विरोधियों को कमजोर करने में लगा है। एक-दूसरे की ‘दूर-दृष्टि’ पर सवाल उठाते हुए ये नेता यह स्पष्ट कर रहे हैं कि आने वाले समय में महाराष्ट्र की राजनीतिक लड़ाई और भी व्यक्तिगत और तीखी होने वाली है। क्या यह सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है या इसके पीछे कोई गहरी रणनीति काम कर रही है? यह तो आने वाला वक्त ही बताएगा।

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