सुभाष येरुणकर ने भाजपा का दामन थाम लिया
मुंबई.
मुंबई समेत महाराष्ट्र में आगामी स्थानीय स्वराज्य संस्थाओं के चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। राज्य में महायुति (भाजपा, शिवसेना-शिंदे और एनसीपी-अजित पवार) ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने की घोषणा की है, लेकिन मुंबई में उनके बीच अंदरूनी कलह सामने आ रही है। मागाठाणे के वार्ड नंबर 11 में, शिवसेना (शिंदे) के शाखा प्रमुख सुभाष येरुणकर ने अपने ही विधायक प्रकाश सुर्वे को बड़ा झटका देते हुए भाजपा का दामन थाम लिया। येरुणकर, जो पिछले 20 साल से पार्टी से जुड़े थे और शिवसेना में विभाजन के बाद भी सुर्वे के साथ शिंदे गुट में रहे थे, ने भाजपा नेता प्रवीण दरेकर की मौजूदगी में पार्टी बदल ली।
महायुति के भीतर सब कुछ ठीक नहीं
इस घटना से यह साफ होता है कि महायुति के भीतर सब कुछ ठीक नहीं है। मुंबई महानगरपालिका के चुनाव से पहले यह घटना एक बड़ी चुनौती पेश करती है। प्रवीण दरेकर और प्रकाश सुर्वे के बीच राजनीतिक मतभेद लंबे समय से चले आ रहे हैं, और येरुणकर का भाजपा में शामिल होना इन मतभेदों को और गहरा कर सकता है। यह घटना दर्शाती है कि सीटों के बंटवारे और स्थानीय वर्चस्व को लेकर महायुति के नेताओं में मतभेद हैं। अगर ये मतभेद चुनावों से पहले सुलझाए नहीं गए, तो इसका सीधा फायदा विपक्ष को मिल सकता है।
महायुति के लिए सबसे बड़ी चुनौती
महायुति के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि वे अपने गठबंधन को एकजुट रखे और आपसी कलह को सार्वजनिक न होने दे। इस तरह की घटनाएं भविष्य में और भी देखने को मिल सकती हैं, खासकर उन सीटों पर जहां दोनों दलों के नेताओं का मजबूत आधार है। महायुति के शीर्ष नेतृत्व को इस मामले में हस्तक्षेप कर इन मतभेदों को जल्द से जल्द सुलझाना चाहिए ताकि वे विपक्ष के खिलाफ मजबूत मोर्चा बना सकें। यह घटना एक महत्वपूर्ण संकेत है कि चुनावी मौसम में गठबंधन की राजनीति कितनी जटिल हो सकती है, खासकर जब स्थानीय स्तर पर नेताओं के अपने-अपने हित टकरा रहे हों।