हिंदी-मराठी भाषा विवाद में कूदे अभिनेता
मुंबई.
महाराष्ट्र में हिंदी-मराठी भाषा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मीरा रोड के बाद अब पालघर वसई विरार में ऑटो चालक के साथ मारपीट की घटना के बीच भोजपुरी सुपर स्टार पवन सिंह ने कहा है कि वह मराठी नहीं बोलेंगे, तो वहीं दूसरी ओर मराठी फिल्मों के अभिनेता सुबोध भावे का भी इस पूरे विवाद पर एक बयान सामने आया है। इसमें उन्होंने कहा है कि हिंदी…हिंदी मत करिए, महाराष्ट्र में आकर हमें मत सिखाइए कि हम मराठी नहीं बोलेंगे।
अभिनेता सुबोध भावे का पलटवार
भावे ने कहा कि वे जब यूपी जाएंगे तो हिंदी में बात करेंगे, क्योंकि वहां के लोगों को हिंदी समझ में आती है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में आकर मराठी नहीं बोलने की बात कहना भाषा का अपमान है। गौरतलब हो कि इससे पहले बीजेपी के पूर्व सांसद और भोजपुरी गायक-अभिनेता दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ भी मराठी बोलने से मना कर चुके हैं, जिस पर उन्हें महाराष्ट्र के नेताओं ने धमकी भी दी थी। अब पवन सिंह के बयान पर विवाद बढ़ सकता है। राजनीतिक हलकों में भाषा विवाद को राजनीतिक कारणों से जोड़कर देखा जा रहा है।
क्या बोले पवन सिंह?
हिंदी-मराठी विवाद पर पवन सिंह ने दो टूक कहा है कि मराठी नहीं बोलूंगा, चाहे जान से मार दो। महाराष्ट्र में त्रिभाषा फार्मूले के तहत महाराष्ट्र के स्कूलों में पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाने के निर्णय के बाद यह विवाद शुरू हुआ था। अब यह विवाद ‘मराठी बनाम हिंदी’ हो गया है। पवन सिंह ने राज ठाकरे, उद्धव ठाकरे और उनके कार्यकर्ताओं को ललकारते हुए कहा कि मैं आपसे नहीं डरता हूं, आप लोग मुझे जान से मार दोगे तब भी मैं मराठी नहीं बोलूंगा। पवन सिंह के इस बयान के बाद मनसे और यूबीटी का रिएक्शन क्या आता है, इस पर सभी की नजर लगी है।
ऐसी जिद करना अहंकार
पवन सिंह ने मराठी-हिंदी विवाद पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि मेरा जन्म बंगाल में हुआ है, लेकिन फिर भी मुझे बंगाली नहीं आती। मुझे नहीं लगता कि मैं कभी वह भाषा सीख पाऊंगा, इसलिए मैं बंगाली भी नहीं बोलता। मैं मराठी भी नहीं जानता, लेकिन मैं महाराष्ट्र में रहता हूं। मैं काम करने के लिए मुंबई आता हूं। इस वजह से मुझे मराठी आनी चाहिए ऐसी जिद करना अहंकार है। मुझे हिंदी बोलने का अधिकार है। ज्यादा से ज्यादा लोग मुझे मार देंगे। मैं मौत से नहीं डरता। सितारों की बयानबाजी ऐसे वक्त पर सामने आई है, जब महाराष्ट्र में बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे के बयान पर पहले से राजनीति गरमाई हुई है। राज ठाकरे की अगुवाई वाली मनसे और उद्धव ठाकरे की शिवसेना यूबीटी मराठी अस्मिता कार्ड खेल रहे हैं।