उम्मीद और सशक्तिकरण का धागा
नागपुर.
रक्षाबंधन का पावन पर्व नागपुर के मध्यवर्ती कारागृह की महिला कैदियों के लिए सिर्फ एक तारीख नहीं, बल्कि उम्मीद, भावनाओं और अधूरे रिश्तों को बुनने का एक अवसर बन गया है। इस साल इन महिला कैदियों ने अपने हाथों से खूबसूरत राखियां बनाई हैं, जो न केवल उनकी रचनात्मकता का प्रमाण हैं, बल्कि समाज में फिर से जुड़ने की उनकी लालसा और आत्मविश्वास का प्रतीक भी हैं।
अधूरे रिश्तों को बुनने का एक अवसर
यह पहल अत्यंत सराहनीय है और नागपुर के लिए गर्व का विषय है। महज चार दिनों में लगभग 25 महिला कैदियों द्वारा सैकड़ों राखियों का निर्माण, जिसमें महिला पुलिस कर्मचारी सारिका जाधव का प्रशिक्षण और कुछ कैदियों की अपनी कल्पना का समावेश है, उनकी छिपी प्रतिभा और सकारात्मक दृष्टिकोण को दर्शाता है। प्रत्येक राखी में एक दुआ और एक उम्मीद छिपी है, जो उन महिलाओं के दिल की गहराई से आती है जो अपने परिवार और समाज से दूर हैं।
जेल का महत्वपूर्ण कदम
आज से ये राखियां 15, 20 और 30 रुपये की मामूली कीमत पर नागपुर के वर्धा रोड स्थित मध्यवर्ती कारागृह परिसर के बिक्री केंद्र में आम जनता के लिए उपलब्ध होंगी। राखियों के साथ लकड़ी और लोहे की वस्तुएं, कपड़े, टॉवेल, दरियां और शो-पीस जैसे छोटे उपहार भी उपलब्ध हैं। यह पहल केवल इन वस्तुओं की बिक्री तक सीमित नहीं है, बल्कि जैसा कि मध्यवर्ती जेल अधीक्षक वैभव आगे ने कहा है, यह कैदियों की मेहनत को पहचान देने और उनके आत्मविश्वास को वापस लौटाने का एक सुंदर कदम है।
नागरिकों से अपील
नागपुर के नागरिकों से यह अपील है कि वे इन राखियों को खरीदकर इन महिलाओं के आत्मसम्मान को बढ़ाएं और उन्हें समाज में दोबारा स्थान देने में मदद करें। यह आयोजन डॉ. सुहास वारके, अपर पुलिस महासंचालक व महानिरीक्षक, कारागृह व सुधार सेवा, पुणे और योगेश देसाई, कारागृह उपमहानिरीक्षक, पूर्व विभाग, नागपुर के मार्गदर्शन में शुरू किया गया है, जो बंदियों के जीवन में रोशनी की नई किरण लाने का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह पहल नागपुर को एक संवेदनशील और प्रगतिशील शहर के रूप में स्थापित करती है, जहाँ सुधार और पुनर्वास को महत्व दिया जाता है।