प्रोजेक्ट अनिश्चितता के भंवर में फंसा
नागपुर.
नागपुर की पहचान, जीरो माइल के सौंदर्यीकरण का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट अब अनिश्चितता के भंवर में फंस गया है। मनपा (महानगरपालिका) की 48 करोड़ की यह प्रस्तावित योजना, जो शहर की ऐतिहासिक विरासत को संवारने का वादा करती थी, अब अधर में लटकी है। इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य जीरो माइल की ऐतिहासिक पहचान को पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित करना था, जिसमें एक स्मारक, दो संग्रहालय, पार्किंग और वॉकर्स-वे शामिल थे।
यह थी योजना
इस योजना के तहत, जीरो माइल के पिछले हिस्से में इंडियन ऑयल की जगह पर स्मारक और संग्रहालय बनाने का प्रस्ताव था, जबकि विधानभवन के पास की खाली जमीन पर पार्किंग और वॉकर्स-वे तैयार किया जाना था। लेकिन, सबसे बड़ी बाधा अब जमीन के आवंटन को लेकर आई है। विधानभवन के पास की खाली 2000 वर्ग मीटर जमीन को अब विधानभवन के विस्तार के लिए सौंपने का निर्देश मिला है। इससे मनपा का पूरा प्लान गड़बड़ा गया है।
सैद्धांतिक मंजूरी मिल गई थी
कुछ महीने पहले, हेरिटेज समिति ने इस प्रस्ताव को सैद्धांतिक मंजूरी दी थी, लेकिन जमीन आवंटन में इस बदलाव ने पूरी योजना को अनिश्चित बना दिया है। इस योजना में दो संग्रहालयों का प्रस्ताव था, जिनमें से एक में ग्रेट ट्रिग्नोमेट्रिकल सर्वे ऑफ इंडिया की विरासत और दूसरे में नागपुर की सांस्कृतिक विकास परंपरा को दर्शाया जाना था। इस प्रोजेक्ट का अटकना शहर के पर्यटन विकास के लिए एक बड़ा झटका है।
मनपा के लिए बड़ी चुनौती
मनपा को अब इस चुनौती का सामना करना होगा और इस ऐतिहासिक स्थान के सौंदर्यीकरण के लिए कोई नया रास्ता निकालना होगा। जीरो माइल नागपुर की पहचान है और इसका विकास शहर के लिए बेहद महत्वपूर्ण है। यह देखना होगा कि मनपा और सरकार इस समस्या का क्या समाधान निकालते हैं और कब यह प्रोजेक्ट फिर से पटरी पर लौटता है।