मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को सौंपा निवेदन
नागपुर.
वर्ष 2002 में नागपुर जिला मध्यवर्ती सहकारी (एनडीसीसी) बैंक में हुए 150 करोड़ के घोटाले ने सहकारिता क्षेत्र की विश्वसनीयता पर गहरा आघात पहुंचाया था। इस घोटाले में न केवल किसान और निवेशक प्रभावित हुए, बल्कि पूरे सहकारिता आंदोलन को बड़ा नुकसान हुआ। हाल ही में, कोर्ट ने इस मामले में पूर्व मंत्री सुनील केदार और अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया, जिसके बाद केदार की विधायकी चली गई। यह फैसला न्याय की जीत थी, लेकिन किसानों की लड़ाई यहीं खत्म नहीं हुई। किसानों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को निवेदन देकर घोटाले की राशि की वसूली की मांग की है। यह मांग पूरी तरह से उचित है।
किसानों का यह तर्क
किसानों ने अपनी मांग में दोषियों से वसूली, उन्हें राजनीतिक संरक्षण न मिलने और एनडीसीसी बैंक का पुनर्गठन कर उसे पारदर्शी तरीके से चलाने की बात कही है। ये सभी मांगें सहकारिता क्षेत्र में सुधार और विश्वास बहाली के लिए आवश्यक हैं। सरकार को इन मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए। केवल सज़ा सुनाना पर्याप्त नहीं है; असली न्याय तब होगा जब घोटाले से प्रभावित लोगों को उनका पैसा वापस मिले और सहकारिता बैंक फिर से जनता का विश्वास जीत सके। यह मामला एक उदाहरण है कि कैसे राजनीतिक और आर्थिक अपराधों से निपटना चाहिए, जिसमें सज़ा और वसूली दोनों शामिल हों। सरकार को इस दिशा में तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए, ताकि यह संदेश जाए कि भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
याचिका में गुहार
न्याय का पूर्ण होना तभी संभव है जब अपराधियों को न केवल सज़ा मिले, बल्कि उनके कृत्यों से हुए नुकसान की भरपाई भी की जाए। इस मामले में, घोटाले की रकम की वसूली बेहद महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह पैसा किसानों और निवेशकों का था। यह वसूली सुनिश्चित करेगी कि अपराध से कोई लाभ न मिल पाए और भविष्य में ऐसे अपराधों को रोकने के लिए एक मजबूत निवारक का काम करे।