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आस तोड़ सकता है ‘चोर बीटी’ कपास

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अवैध बीज और कृषि क्षेत्र की चुनौतियां
नागपुर.
“चोर बीटी’ नामक अवैध बीज की महाराष्ट्र में बंपर बुआई हुई है। यह स्थिति कृषि विभाग के लिए एक बड़ी चुनौती है और यह दर्शाती है कि अनियंत्रित और अवैध बीज व्यापार कितना गहरा है। गुजरात और तेलंगाना से चोरी-छिपे महाराष्ट्र में लाए गए इन बीजों की बुआई इतनी ज्यादा हुई है कि कृषि सेवा केंद्रों में रखे गए 60% वैध बीज बिना बिके रह गए।

इस उद्देश्य से लाया गया था
कृषि क्षेत्र में तकनीकी नवाचारों का उद्देश्य पैदावार बढ़ाना और किसानों की आय में वृद्धि करना है। इसी उद्देश्य के साथ, बॉन्ड इल्लियों से फसल को बचाने के लिए बीटी कपास की तकनीक विकसित की गई। पहले बीटी 1 और फिर गुलाबी इल्लियों के लिए बीटी 2 तकनीक लाई गई। अब, खरपतवार की समस्या से निपटने के लिए बीटी 3 आरआर तकनीक विकसित की गई, लेकिन इसके पर्यावरण और मिट्टी की उर्वरता पर पड़ने वाले संभावित हानिकारक प्रभावों के कारण केंद्र सरकार ने इसे मंजूरी नहीं दी।

सरकार और कृषि विभाग की बड़ी जिम्मेदारी
सरकार और कृषि विभाग की यह जिम्मेदारी है कि वे किसानों को केवल अवैध बीजों की बिक्री रोकने तक ही सीमित न रहें, बल्कि उन्हें बेहतर, वैध और सुरक्षित विकल्प भी प्रदान करें। इस समस्या को जड़ से खत्म करने के लिए सख्त कानूनी कार्रवाई के साथ-साथ जागरूकता अभियान भी चलाना होगा। कृषि विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वैध बीज समय पर और पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हों और किसानों को नई तकनीकों के फायदे और नुकसान के बारे में सही जानकारी मिले। यह मामला सिर्फ अवैध बीजों की बिक्री का नहीं, बल्कि कृषि नीतियों और किसानों की जरूरतों के बीच के बड़े अंतर को भी दर्शाता है।

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