हमारा WH वेब न्यूज़ चैंनल है। आम जनता की समस्याओं पर प्रकाश डालने का कार्य करता है। हर तबको की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करने का दायित्व निभाते। देश की एकता अखण्डता रखने के लिए हर प्रयास करते है। किसान,बेरोजगारी,शिक्षा,व्यापार,की ख़बर प्रमुखतासे दिखाने प्रयास करते है। किसी भी जाती धर्म की भावनाओं को ठेच पहुँचानी वाली खबरों से हम दूर रहते है। देश की एकता ,अखंडता को हम हमेशा कायम रखने के लिए कार्य करेंगे। तो हमारे WH News को भारी मात्रा में सब्स्क्राइब कर हमें प्रोत्साहित करें।

आदित्य ठाकरे को क्लीन चिट?

spot_img

दिशा सालियान केस: मुंबई पुलिस ने बताई आकस्मिक मौत
मुंबई.
दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की पूर्व मैनेजर दिशा सालियान की मौत के मामले में शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) के नेता आदित्य ठाकरे को बड़ी राहत मिलती दिख रही है। बॉम्बे हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान मुंबई पुलिस ने दिशा सालियान की मौत को एक आकस्मिक घटना बताया है और किसी भी प्रकार की साज़िश या हत्या की आशंका से इनकार किया है।

पुलिस का हलफनामा
मालवणी पुलिस स्टेशन के वरिष्ठ निरीक्षक शैलेंद्र नागरकर ने हाईकोर्ट में अपने हलफनामे में बताया कि इस मामले में जांच पूरी हो चुकी है और कोई आपराधिक मामला दर्ज करने की ज़रूरत नहीं पाई गई है। पुलिस ने प्रारंभिक जांच के आधार पर निष्कर्ष निकाला है कि दिशा की मौत एक हादसा थी और इसमें किसी तरह की साज़िश या हत्या के प्रयास का कोई सबूत नहीं मिला है।

प्रतिक्रियाएं और आरोप
संजय राउत (शिवसेना सांसद) ने इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अब महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को आदित्य ठाकरे से माफ़ी मांगनी चाहिए। उन्होंने फडणवीस, नितेश राणे, एकनाथ शिंदे और अन्य बीजेपी नेताओं से भी माफ़ी की मांग की। बता दें कि दिशा सालियान के पिता सतीश सालियान ने अपनी याचिका में दावा किया था कि उनकी बेटी ने आत्महत्या नहीं की थी, बल्कि उसके साथ गैंगरेप हुआ था और सच को दबाने के लिए उसकी हत्या कर दी गई थी। उन्होंने आदित्य ठाकरे और तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की भूमिका की भी जांच की मांग की थी।

Advertisements

सब की निगाहें अदालत पर
इस मामले में एक और अहम मोड़ तब आया जब आदित्य ठाकरे द्वारा दाखिल की गई हस्तक्षेप याचिका पर सतीश सालियान के वकील नीलेश ओझा ने आपत्ति जताई। उन्होंने कहा कि आदित्य ठाकरे खुद इस मामले में मुख्य आरोपी हैं, इसलिए उन्हें हस्तक्षेप का कोई अधिकार नहीं है और उनकी याचिका खारिज की जानी चाहिए। अब सभी की निगाहें बॉम्बे हाईकोर्ट पर टिकी हैं कि वह दो हफ्तों के भीतर दाखिल किए जाने वाले राज्य सरकार के जवाब के बाद क्या रुख अपनाता है और आदित्य ठाकरे की याचिका को लेकर क्या फैसला आता है।