सागौन के खड़े पेड़ों को काटकर लाखों का भ्रष्टाचार..!
गोंदिया संभाग के सड़क अर्जुनी वन क्षेत्र में 54 पेड़ काटे गए …समिति बैठेंगी, 15 दिन में जांच कर कार्रवाई-नाईकडे
नागपुर (शेखर गजभिए )
एक तरफ राज्य के वन मंत्री सुधीर मुनगंटीवार राज्य में 33 फीसदी जंगल बनाने के संकल्प को पूरा करने के लिए कमर कस चुके हैं. हर साल लाखों पेड़ लगाए जाते हैं। उन्होंने विभाग के माध्यम से पांच साल में गतरेजिम में पांच लाख से अधिक पौधे रोपे हैं। लेकिन उनके विभाग के वरिष्ठ अधिकारी उनके इस संकल्प को तोड़ रहे हैं और वन विभाग के अधिकारी ही वृक्ष संरक्षण का मंत्र दे रहे हैं और खड़े सागौन के पेड़ों को काटकर लाखों रुपये के वन फल खाकर मजा उठा रहे हैं. इससे जंगल के रक्षक ही भक्षक बन गए हैं।
विश्वस्त सूत्रों ने जानकारी दी है कि यह सब सड़क अर्जुनी वन परिक्षेत्र के वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा किया जा रहा है. उपस्थित जनप्रतिनिधियों ने सड़क अर्जुनी वन क्षेत्र पहुंचकर सच्चाई सामने लाने का प्रयास किया है.
इस संदर्भ में मीडिया कर्मियों ने नागपुर संभाग के मुख्य अधिकारी रंगनाथ नाईकडे से बातचीत की।नाईकडे ने कहा कि यह गंभीर बात है।जो मीडिया कर्मी नागपुर से जाकर सच्चाई को उजागर करने का प्रयास किया।आगे कहा कि मामले की समिति बिठाएंगे और 15 में इसकी जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करेंगे।नाईकडे ने मीडिया का शुक्रिया भी माना।
सड़क अर्जुनी वन परिक्षेत्र में वन रेंज अधिकारी के आदेश पर कुछ कर्मचारियों ने रिंग पार राउंड में दल्ली बीट में दल्ली गांव के पास लगभग 54 खड़े सागौन के पेड़ों को काट दिया। साथ ही यह बात भी सामने आई है कि दल्ली से कुछ किलोमीटर दूर खड़की में सागौन के आठ से दस पेड़ काट दिए गए हैं. ये काटे गए सागौन के पेड़ कई साल पुराने और आकार में बड़े थे। बताया जाता है कि एक पेड़ की कीमत करीब एक लाख से डेढ़ लाख रुपए है। इसमें से साठ (60) पेड़ों की कीमत करीब 90 लाख रुपए बताए जा रहे है.
दिलचस्प बात यह है कि वरिष्ठ अधिकारियों को एक रिपोर्ट भेजी गई थी कि तेज हवाओं के कारण ये सभी पेड़ गिर गए। लेकिन इस साल अप्रैल के महीने में हल्की आंधी आई और जनवरी से फरवरी के महीने में इन पेड़ों को काट दिया है यह गाव के लोगो ने भी बताया । 60 पेड़ों में से 30 प्रतिशत लकड़ी संबंधित डिपो में जमा कर दी गई थी, जबकि शेष 70 प्रतिशत सागौन की लकड़ी एक निजी ठेकेदार को लाखों रुपए की गबन में बेच दी गई थी। इससे भी ज्यादा हैरानी की बात यह है कि वन अधिकारियों ने ठेकेदार के खसरा में अवैध रूप से काटे गए पेड़ों से लकड़ी प्राप्त की और उसे पीसकर अपने ही घर में फर्नीचर बना लिया यह बात सूत्र ने बताई।
इस संबंध में वन समिति के अधिकारियों ने रेंगापार राउंड में डीएफओ व एसीएफ से शिकायत करने का प्रयास किया. लेकिन आरएफओ व एरिया असिस्टेंट ने वन समिति के अधिकारियों को विभिन्न झूठे मामलों में फंसाने की धमकी देकर शिकायत वापस लेने पर मजबूर कर दिया।
इस मामले में आरएफओ, राउंड ऑफिसर व अन्य वरिष्ठ अधिकारियों की मिलीभगत सामने आई है। वन समिति के सदस्यों ने मांग की है कि इन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाए।
गाव के नागरिक कहते जिंदे पेड़ काटे
दल्ली गांव के युवक द्वारा नाम न छापने की शर्त पर दी गई जानकारी के अनुसार वन अधिकारियों ने बताया कि इन खड़े और जीवित पेड़ों को वन अधिकारियों ने जनवरी से फरवरी के महीने में काटा था। युवक ने यह भी कहा कि गांव में चर्चा है कि पूरे काटे गए सागौन के पेड़ ठेकेदारों को बेच दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि जनवरी या फरवरी में कोई तूफान नहीं आया था जो इतने बड़े पेड़ों को जमीन पर गिरा देगा।
इस सब को लेकर वन संरक्षक जाधव से मिलने की कोशिश की, लेकिन वह कार्यालय में मौजूद नहीं थे. मोबाइल स्विच ऑफ होने के कारण उनसे संपर्क नहीं हो सका।
पंद्रह दिन में कार्रवाई की जाएगी
संपर्क करने पर, मुख्य वन संरक्षक (वन) रंगनाथ नाइकडे ने कहा, मामले पर एक जांच समिति नियुक्त की जाएगी। कमेटी की रिपोर्ट मिलते ही 15 दिन के अंदर संबंधित दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी।