पीएसीएल घोटाले की चपेट में आए पूर्व मिनिस्टर प्रताप सिंह, सवेरे-सवेरे पहुंची ईडी टीम
जयपुर.
राजस्थान की सियासत में मंगलवार को हलचल उस वक्त तेज हो गई, जब कांग्रेस के पूर्व कैबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास के जयपुर स्थित आवास पर प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापेमारी की। यह कार्रवाई देश के सबसे चर्चित चिटफंड घोटाले पीएसीएल घोटाले से जुड़ी मानी जा रही है, जिसमें प्रदेश भर के करीब 28 लाख निवेशकों के 2850 करोड़ रुपए फंसे हुए हैं।
बताई जा रही है संलिप्तता
सूत्रों के अनुसार, ईडी को संदेह है कि खाचरियावास की इस घोटाले में करीब 30 करोड़ रुपये की संलिप्तता हो सकती है। हालांकि आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है, लेकिन इस कार्रवाई से राजनीतिक गलियारों में हलचल मच गई है। बताया जा रहा है कि इस घोटाले में देश भर से करीब 5.85 करोड़ निवेशकों ने पीएसीएल में लगभग 49100 करोड़ रुपए का निवेश किया था।
निवेश की राशि से चार गुना ज्यादा है प्रॉपर्टी
सुप्रीम कोर्ट ने 2016 में इस घोटाले की जांच के लिए सेवानिवृत्त चीफ जस्टिस आरएम लोढ़ा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की थी। कोर्ट के निर्देश पर इस कमेटी का उद्देश्य था कि पीएसीएल की संपत्तियों को नीलाम कर निवेशकों को राशि लौटाई जाए। सेबी के अनुसार, कंपनी की संपत्तियों का मूल्य करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये है, जो निवेश की राशि से चार गुना ज्यादा है।
जयपुर के चौमूं ने में दर्ज हुआ था 2011 में मुकदमा
इस घोटाले का सबसे पहला मामला 2011 में जयपुर के चौमूं थाना क्षेत्र में दर्ज हुआ था। चिटफंड एक्ट के तहत कंपनी पर मुकदमे देश के कई राज्यों में चल रहे हैं, जिसमें राजस्थान प्रमुख केंद्र रहा है। ईडी की इस कार्रवाई से साफ है कि अब पीएसीएल मामले में तेजी से जांच आगे बढ़ेगी और जिन प्रभावशाली लोगों की भूमिका संदेह के घेरे में है, उनके खिलाफ भी कार्रवाई संभव है।