भारत मे सिकलसेल पीड़ितों के सदस्य गौतम डोंगरे को ” ह्यूमन जीनोम एडिटिंग ” लंदन में रखी अपनी
-14 लाख सिकलसेल पीड़ित भारत में ..!
टिळक पत्रकार भवन नागपुर -(विजय खवसे)
सिकलसेल पर पढ़ाई करने वाले पीड़ित के सदस्य डोंगरे को हाल ही में 6 व 8 मार्च 2023 को लंदन में होनेवाले अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में भारत से सिकलसेल पीड़ितों का प्रतिनिधित्व करने डोंगरे को मौका मिलने की जानकारी मंगलवार 14 मार्च को तिलक पत्रकार भवन में आयोजित डोंगरे ने पत्रकार परिषद में दी।
गौतम डोंगरे ने कहा कि एक ऐतिहासिक पल है , और हम सभी सिकलसेल पीड़ितों के लिए गर्व की बात है . ” ह्यूमन जीनोम एडिटिंग ” पर तीसरा अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन , लंदन , यूके मे 6 व 8 मार्च 2023 को मेज़बान : द रॉयल सोसाइटी लंदन , द यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज एंड मेडिसिन , द यूके एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज एंड यूनेस्को में ” जीन एडिटिंग ” इस विषय पर भारत के सिकलसेल पीड़ितों के पहलुओं पर चर्चा करने के लिए एक वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया ।
आगे कहा कि मैंने पूरे 3 दिनों के शिखर सम्मेलन में हिस्सा लिया और पहले दिन अपना भाषण दिया ।
लंदन सम्मेलन का डोंगरे का पूरा भाषण :
नमस्कार ! ह्यूमन जीनोम एडिटिंग पर तीसरे अंतर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में मुझे आमंत्रित करने के लिए बहुत – बहुत धन्यवाद । हम रॉयल सोसाइटी , द यूएस नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज एंड मेडिसिन , यूके एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज और द वर्ल्ड एकेडमी ऑफ साइंसेज के बहुत आभारी हैं । मुझे लगता है , यह पहली बार है कि भारत के एक सिकलसेल पीड़ितों के प्रतिनिधि को एक अंतर्राष्ट्रीय कार्यक्रम में व्यक्तिगत रूप से आमंत्रित किया गया है , यह हमारे लिए बहुत खुशी और गर्व का क्षण है ।
” ह्यूमन जीनोम एडिटिंग ” एक बहुत बड़ी आशा है । आज , पूरी दुनिया में जानलेवा सिकलसेल रोग से पीड़ित लाखों लोगों को स्थायी इलाज की आवश्यकता है । मेरे भारत में 14 लाख से ज्यादा मरीज अभी भी इस बीमारी से मुक्त होने का इंतजार कर रहे हैं …. जैसा कि आप सभी जानते हैं , भारत विश्व में सिकल सेल रोग वाला दूसरा सबसे बड़ा देश है । बेशक , बोन मैरो ट्रांसप्लांटेशन और जीन एडिटिंग थेरेपी समय की एक बड़ी जरूरत है , लेकिन फिर भी यह आम पीड़ितों के पहुंच के बाहर है , इसीलिए हम कायम इलाज के अभाव में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहे है . आपको सूचित करते हुए खुशी हो रही है और अधिकांश लोग यह जानते है कि भारत सरकार 2017 से CRISPR Cas9 तकनीक विकसित करने के संबंध में शुरुआत कर चुकी है ।
डॉ देबोज्योति चक्रवर्ती , जो इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी ( IGIB ) , वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद ( CSIR ) के प्रधान वैज्ञानिक हैं , भारत में इस महत्वपूर्ण शोध का नेतृत्व कर रहे हैं ।
www.indiascdalliance.org हम सभी जानते हैं कि CRISPR तकनीक एक सफल तकनीक है , लेकिन फिर भी यह बहुत ही महंगी है , मुझे लगता है कि प्रति रोगी का इलाज लगभग 1 मिलियन अमरीकी डालर ( 1 करोड़ रुपए ) है , हम आम भारतीय सिकलसेल पीड़ितों के लिए संभव नहीं है . हमारे भारतीय शोधकर्ता इस बात पर काम कर रहे है कि गुणवत्ता से समझौता किए बिना लागत को कैसे कम किया जाए । मुझे पता चला है कि यह शोध ” प्री क्लिनिकल चरण ” में है और संभवतः प्री क्लिनिकल चरण के पूरा होने के बाद वे भारत में चरण ( फेज़ 1 ) का परीक्षण शुरू कर सकते हैं ।
मैं व्यक्तिगत रूप से , वैश्विक सिकल सेल रोगी समुदाय की ओर से , आप सभी शोधकर्ताओं और वैज्ञानिकों से इन भारतीय शोधकर्ताओं से जुड़ने का अनुरोध करना चाहता हूं , आपकी विशेषज्ञता निश्चित रूप से इसे तेजी से बनाने में मदद करेगी । पूरे विश्व में हम सिकलसेल पीड़ित कम उम्र में ही मर रहे हैं , फिर भी ” सस्ती जीन थेरेपी ” हमारा सपना है जिससे हम सिकलसेल मुक्त हो सकते है , तब तक जिंदा रहना हमारी पहली आवश्यकता है । हमें अनुभव हुआ है कि हाइड्रॉक्सीयूरिया एकमात्र सस्ती औषधि है जो हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार कर रही है , इसलिए हमारी प्राथमिकता है कि हम इसे नियमित रूप से नजदीकी अस्पताल से प्राप्त कर सके , यह प्रत्येक जिला अस्पताल और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में उपलब्ध होना चाहिए ।
प्रत्येक चिकित्सा अधिकारी को हाइड्रोक्सीयूरिया की खुराक कैसे देना यह पता होनी चाहिए , उन्हें हाइड्रोक्सीयूरिया निर्धारित करने के प्रोटोकॉल का पता होना चाहिए , अगर ऐसा होता है तो हम कम उम्र में मरने वालों की संख्या को रोक सकते है और साथ ही हम अपने राष्ट्र पर बढ़ रहे आर्थिक बोझ को कम कर सकते हैं । मैं इस अवसर पर आपको बताना चाहता हूं कि , हाल ही में भारत सरकार के वित्त मंत्री ने बजट सत्र 2023-24 में ” मिशन सिकल सेल रोग उन्मूलन 2047 ” की घोषणा की है ।
भारत सरकार सिकलसेल रोग के उन्मूलन के प्रति बहुत सकारात्मक है और अगले 3 वर्षों में 7 करोड़ लोगों की सिकलसेल जांच के लिए प्रतिबद्ध है । हम सिकलसेल संगठनों के राष्ट्रीय गठबंधन NASCO भारत सरकार के साथ मिलकर काम कर रहे है और भारत में सिकलसेल मिशन की घोषणा के बाद बहुत खुश और गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं । अंत में , मैं दो सिकलसेल पीड़ित बच्चों के पिता , नेशनल अलायंस ऑफ सिकलसेल ऑर्गेनाइजेशन NASCO का सचिव , ग्लोबल एलाइंस ऑफ सिकलसेल डिजीज ऑर्गेनाइजेशन GASCDO का बोर्ड मेंबर होने के नाते आप सभी से विनम्र अनुरोध करना चाहता हूं कि इस विश्व से जानलेवा अनुवांशिक सिकलसेल रोग को मिटाने के लिए कृपया हम सभी साथ मिलकर काम करने का आव्हान पत्रकार परिषद में नेस्को मेम्बर के साथ उपस्थित थे।