डिजिटल मीडिया कर्मियों ने राज्य के मुख्य सूचना अधिकारी से की मुलाकात…जिला सूचना अधिकारी की शिकायत… डिजिटल मीडिया को मुख्य दायरे मे लाने की मांग.
नागपुर, (विजय खवसे ) : आनेवाला समय डिजिटल का हैं ऐसे मे सरकार ने डिजिटल मीडिया को महत्व देने की आवश्यकता हैं. इसी को लेकर सीतसत्र मे डिजिटल के पत्रकारों ने राज्य के मुख्य सूचना अधिकारी ब्रिजेश सिंह से भेट कर चर्चा की.
वैश्विक स्तर पर पारंपरिक प्रिंट मीडिया पिछड़ रहा है और ऐसे समय में भारत जैसे देश में डिजिटल मीडिया के महत्व पर प्रकाश डाला गया है, जिसके लिए केंद्र सरकार कोई कानूनी प्रारूप निर्धारित नहीं कर पाई है पिछले डेढ़ दशक में भी डिजिटल मीडिया, भारत के कई शहरों में डिजिटल मीडिया कर्मियों को प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया की तुलना में किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिलता दिख रहा है। और पत्रकारों के रूप में उन्हें भी अन्य मीडिया की तरह सरकार से व्यवहार और अवसर मिलना चाहिए, यह वक्तव्य डिजिटल प्रतिनिधियों ने आज 21 दिसंबर को विधान सभा क्षेत्र स्थित एक कक्ष में मुख्य राज्य सूचना निदेशक, ब्रिजेश सिंह को दिया।
बयान पर नागपुर के साथ-साथ विदर्भ के कई डिजिटल मीडियाकर्मियों ने हस्ताक्षर किए और जिला सूचना अधिकारी विनोद रापतवार से लगातार मिल रहे दोयम दर्जे के व्यवहार के बारे में सिंह से शिकायत भी की।
पहले जिला सूचना अधिकारी प्रवीण टाके डिजिटल मीडिया के पत्रकारों के साथ बैठक कर मार्गदर्शन करते थे. सन्मानपूर्वक कार्यक्रम मे भी निमंत्रण देते थे लेकीन रापतवार ऐसा नहीं करने से डिजिटल मीडिया मे खासी नाराजगी है.
एक ओर, महाराष्ट्र राज्य मंत्रालय सचिवालय विधान परिषद के सत्र के संबंध में प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ डिजिटल मीडिया, यूट्यूबर्स और पत्रकारों में संपादकों, वेब समाचार पोर्टलों के निदेशकों के लिए विधान भवन में प्रवेश के लिए विभिन्न सरकारी प्रवेश पत्र जारी करता है। इसके लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं, लेकिन दूसरी ओर जिला सूचना अधिकारी विनोद रापतवार ने डिजिटल मीडिया को इसकी जाणकारी नहीं देने से उनकी सिंह के पास शिकायत दर्ज कराई. शहर में किसी भी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यक्रम से डिजिटल मीडिया कर्मियों को बाहर करने का काम कर रहे हैं।
इस पर सिंह ने माना कि डिजिटल मीडिया आज सबसे महत्वपूर्ण प्रचार माध्यम है. उन्होंने कहा कि हाल ही में राजभवन में हुए कैबिनेट विस्तार कार्यक्रम में उन्होंने प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के साथ-साथ डिजिटल मीडिया कर्मियों के लिए भी कुछ जगह आरक्षित करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. जगह की कमी के कारण संभव हुआं। उन्होंने डिजिटल मीडिया के महत्व को समझते हुए कहा कि सरकार की घोषणाएं और सरकार की विभिन्न योजनाओं का प्रचार-प्रसार भी इन मीडिया को तेजी से मिले, इसके लिए जल्द ही नीति तय की जा रही है उन्होंने बताया कि मीडिया डिजिटल प्लेटफॉर्म का भी उपयोग कर रहा है। उन्होंने न केवल नागपुर, बल्कि पूरे महाराष्ट्र के डिजिटल मीडिया कर्मियों से सूचना प्रबंधन ई-मेल पर निर्देश भेजने की अपील की।
उन्होंने कहा कि आज के समय में डिजिटल मीडिया के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है, आज हर किसी के पास मोबाइल फोन है और मोबाइल फोन पर समाचार के साथ-साथ यूट्यूब पर वायरल होने वाले ज्ञानवर्धक वीडियो भी एक पल में लाखों लोगों तक आसानी से पहुंच सकते हैं। इसलिए सरकार की विभिन्न योजनाओं को डिजिटल मीडिया के पत्रकारों द्वारा शीघ्रता से लाखों लोगों तक पहुंचाने के लिए सरकारी स्तर पर इसका उपयोग किया जाना चाहिए। जल्द ही एक नीति तय की जाएगी और डिजिटल मीडिया कर्मियों को अन्य की तरह सरकारी घोषणाओं के माध्यम से उचित सम्मान और विज्ञापन भी दिया जाएगा ऐसा मीडियाकर्मीओ को उन्होंने आश्वासन दिया.
डिजिटल मीडिया कर्मियों के लिए अनुमोदन पत्र मिलने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि चूंकि सरकार के स्तर पर प्रारूप तय नहीं है, इसलिए डिजिटल मीडिया कर्मियों की संख्या के बारे में सोचना जरूरी है, उन्होंने कहा कि सभी के सुझावों को एकत्र कर निर्णय लिया जा सकता है. चूंकि प्रत्येक शहर में दो सौ से तीन सौ डिजिटल मीडिया कर्मी हैं, इसलिए सरकारी स्तर पर सभी को लाभ देना संभव नहीं है. उन्होंने कहा कि इसके लिए पहले मानदंड तय किये जायेंगे.
उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि वे डिजिटल मीडिया कर्मियों से बात करते समय रापतवार के असभ्य और भेदभावपूर्ण व्यवहार, बार-बार अस्वीकृति, तिरस्कार और भाषा के अपमानजनक लहजे पर नाराजगी व्यक्त करते हैं, तो इस पर विचार किया जाएगा।
इस अवसर पर वरिष्ठ पत्रकार डॉ. ममता खांडेकर, भीमराव लोनारे, विजय खवसे, अमित वानखेड़े, प्रो. गजेंद्र गवई, भास्कर अतकरी, प्रेम मुंदाफले, डॉ. अतुल लामसोंगे, मुकुंद सूर्यवंशी, नावेद आजमी, ज्ञानेश्वर गुरव, तहसीन अंसारी, रियाज़ शेख, चांदनी पाठक, तारिक.एच, दुर्गाप्रसाद बर्वे, श्रीकांत सहारे, मनीष श्रीनिवास, शीतल नंदनवार आदि उपस्थित थे।