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1857 की क्रांति से महाकुंभ की तुलना

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लोकसभा में पीएम मोदी ने कहा- पूरे विश्व ने भारत के विराट स्वरूप के दर्शन किए
नई दिल्ली.
लोकसभा में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मैं प्रयागराज में हुए महाकुंभ पर वक्तव्य देने के लिए उपस्थित हुआ हूं। आज मैं सदन के माध्यम से देशवासियों को कोटि-कोटि नमन करता हूं, जिनकी वजह से महाकुंभ का सफल आयोजन हुआ। महाकुंभ की सफलता में अनेक लोगों का योगदान है। मैं सरकार, समाज के सभी कर्मयोगियों का अभिनंदन करता हूं। महाकुंभ भारत के इतिहास में ऐसा ही क्षण था, जैसा 1857 की क्रांति, भगत सिंह का बलिदान और गांधी का डांडी मार्च था। इन घटनाओं ने देश को एक नया मोड़ दिया और ऐसा ही महाकुंभ के विशाल आयोजन से भी हुआ है।
महाकुंभ से अनेक अमृत निकले
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि महाकुंभ से अनेक अमृत निकले हैं, एकता का अमृत इसका बहुत पवित्र प्रसाद है। महाकुंभ ऐसा आयोजन रहा जिसमें देश के हर क्षेत्र, कोने से आए लोग एक हो गए। लोग अहम त्यागकर मैं नहीं हम की भावना से प्रयागराज में जुटे… जब अलग-अलग भाषा, बोली बोलने वाले लोग संगम तट पर हर-हर गंगे का उद्घोष करते हैं तो ‘एक भारत-श्रेष्ठ भारत’ की झलक दिखती है। आज पूरे विश्व में जब बिखराव की स्थितियां हैं, उस दौर में एकजुटता का ये विराट प्रदर्शन हमारी ताकत है। अनेकता में एकता भारत की विशेषता है, हमारा दायित्व है, अनेकता में एकता की इसी विशेषता को हम निरंतर समृद्ध करते रहें।
विदेशी भी हुए हैं अभिभूत
पीएम मोदी ने कहा कि ये उमंग, उत्साह यहीं तक सीमित नहीं था। बीते सप्ताह मैं मॉरीशस में था, मैं त्रिवेणी से महाकुंभ के समय का पावन जल लेकर गया था। जब उस पवित्र जल को मॉरीशस के गंगा तलाब में अर्पित किया गया, तब वहां जो श्रद्धा का, आस्था का, उत्सव का माहौल था, वो देखते ही बनता था । ये दिखाता है कि हमारी परंपरा, हमारी संस्कृति, हमारे संस्कारों को आत्मसात करने की भावना कितनी प्रबल हो रही है।