भूपेंद्र गणवीर की कलम से…व्यावसायिक उच्च पाठ्यक्रमों में भेदभाव की नीति…
– प्रदेश में 10 हजार से अधिक पिछड़े छात्र प्रभावित
– केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोगने संज्ञान लिया
. नागपूर, – छात्र ऋतुराज हुमने के दाखिले का मामला खूब चर्चित हुआ। आखिरकार उन्हें कल भर्ती कराया गया। इस मौके पर एक नया मामला सामने आया है। उच्च व्यावसायिक पाठ्यक्रमों में दोगली निती अपनायी जारही. जिससे करीब 10 हजार छात्र प्रभावित हुये है. पैसो के अभाव में अभियांत्रिकी शाखा में दाखला नही कर पाये। यह काला जी.आर. निकालनेवाले शुक्राचार्य की खोज जारी की गयी..! केंद्रीय अनुसूचित आयोग इसकी जांच करेगा। इस संबंध में संबंधित विभागों को जल्द नोटिस जारी किये जाएगें।
ऋतूराज के दाखले की खबर सोशल मीडियापर वायरल हुयी.उसके बाद ऋतूराज को इंजीनियरिंग में दाखिला देना पडा. सोशल मीडिया की उन्ही पोस्टस् से यह नया सनसनीखेज मामला सामने आया। यह मामला बहोतही गंभीर है। इससे महाराष्ट्र में नए तूफान की संभावना बढ़ गई है। इसी बिच जाति आयोग इसमें कूद पड़ा. जिसकी वजह से मामले की गंभीरता और भी बढ़ गई।
चिकित्सा पाठ्यक्रमों में उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाले अनुसूचित जातियॉ, जनजातियॉ आदि के छात्रों के लिए मुफ्त फ्री-शिप और छात्रवृत्ति रियायतें उपलब्ध हैं। ये रियायतें उच्च तकनीकी पाठ्यक्रमों के छात्रों के लिए लागू नहीं हैं। केवल उन लोगों के लिए लागू जो सीईटी सेल के माध्यम से सरकारी कॉलेजों में प्रवेश लेते हैं। निजी कॉलेजों में प्रवेश लेने वाले छात्रों को डेढ़ लाख रुपये तक की फीस देनी पडती. इस फीस से करीब 10 हजार छात्र प्रभावित हुए हैं। उन छात्रों को न्याय दिलाने की मांग जोर पकड़ रही है.उनकी अग्रीम राशी भी वापस की जाय. इसी वजह से पुणे के गवर्नमेंट इंजीनियरिंग कॉलेज में डेढ़ लाख रुपये का भुगतान करने को कहॉ गया था। गरीब छात्र ऋतुराज हुमने राशी न भरने की वजह से दाखला देने से इंकार किया गया था. वह दस हजार रुपये भी नहीं दे सका। जिसके कारण इस शुक्राचार्य की मेख प्रकाश में आयी। उसे कुचलने के बाद ही ऋतूराज को प्रवेश मिला।
इडब्लूएस जीआर की आड भीतरघात
इस जीआर के पिछे कौन है.इसकी छानबीन जारी की गयी. उनकी तलाश की। तभी एक झटका लगा। ईडब्ल्यूएस आरक्षण 2019-2020 में आया था। इस समूह के उच्च वर्ग के गरीब छात्रों को स्नातक स्तर तक आरक्षण दिया जाता था। उच्च शिक्षा में कोई सामान्य आरक्षण और रियायतें नहीं हैं। इस संबंध में जीआर तैयार किया गया था। यह जीआर अधिकारियों द्वारा उच्च तकनीकी पाठ्यक्रमों में जाति और जनजाति के छात्रों के लिए आँख बंद करके लागू किया गया था। एमटेक, एमफार्मा, एम.आर्च., एमडी के छात्र इससे प्रभावित हुये हैं। पिछले तीन साल में दस हजार छात्र इसकी चपेट में आ चुके हैं। लेकिन इस मामले को अभी तक किसी ने गंभीरता से नहीं लिया है। जबकी यह मांमला सामने आनेपर सामाजिक न्याय विभाग के सचिव स्वयं उस जी.आर. को रद्द कर पिछडे छात्रों को न्याय दे सकते थे.मगर वे भी चूप रहे. अब केंद्रीय अनुसूचित जाति आयोग ने इस गलत जीआर का संज्ञान लिया है.
अन्याय रुकेगा…!
आयोग के सदस्य सुभाष पारधी ने कहा। मेडिकल और इंजीनियरिंग पाठ्यक्रमों को इस तरह दो भागें में बॉटा नहीं जा सकता है। लेकिन ये हुआ. इस संबंध में जॉच की जाएगी। इसके लिए पहले राज्य के दस सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्राचार्यों की बैठक होगी. उसके बाद निजी इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्यों की बैठक लेगे. उन्होंने यह भी कहा कि प्राप्त जानकारी के आधार पर वह राज्य सरकार से पिछड़े वर्ग के छात्रों के साथ हो रहे अन्याय को दूर करने की सिफारिश करेंगे. दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। ऋतुराज प्रवेश मामले को लेकर शिक्षा क्षेत्र में कई घोटाले सामने आ रहे हैं। इस मामले को लेकर इंजीनियर्स एसोसिएशन बानाईत भी गंभीर है.उसने भी इस मामले का संज्ञान लिया है।
▪-भुपेंद्र गणवीर वरिष्ठ संपादक ▪