इससे पहले मासिक बैठकें, विशेष महिला बैठकें आयोजित कर इन अवांछनीय प्रवृत्तियों के बारे में जागरूकता बढ़ाई गई है। इन सभी रीति-रिवाजों और प्रथाओं का महिलाओं के सामाजिक जीवन पर कैसे प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, इसकी जानकारी दी गई। यह संविधान द्वारा महिलाओं को दिए गए अधिकारों और स्वतंत्रता को कैसे रोकता है। यह एहसास हुआ। इस प्रथा को रोकना क्यों जरूरी है और यह आने वाली पीढ़ी के लिए कैसे रोल मॉडल होगी, इस मौके पर बताया गया। सती प्रथा को रोककर समाज में आए बदलाव की जानकारी भी दी गई।
इस संबंध में तेरेवायंगनी गांव के मार्गदर्शक एवं शिवनेरी शिक्षा संस्थान के अध्यक्ष किरण शिगवां, ग्राम विकास बोर्ड के अध्यक्ष श्री डी.आर. जाधव, राजन जाधव और सरपंच मनोहर कर्बेले को ग्राम सेवक मानसी सालुंके ने निर्देशित किया। उपसरपंच डीएल कोलोम्बे, सदस्य नानू भादवलकर, अनिल जाधव, संगीता शिगवान मनस्वी फड़के और अन्य ग्रामीणों ने इस परिवर्तनकारी सामाजिक पहल को सफल बनाने में योगदान दिया। कार्यक्रम व ग्राम सभा में बड़ी संख्या में ग्रामीण व महिलाएं मौजूद रहीं।
इस ग्राम सभा में शामिल होने वाली विधवा मानी जाने वाली महिलाओं को हल्दी लगाकर और गुलाब के फूल देकर उनका अभिनंदन किया गया। अब से गांव में किसी भी विधवा महिला का अपमान नहीं होगा और इस मामले में कोई रीति-रिवाज और परंपराएं प्रवेश नहीं करेंगी। निर्देश दिए गए कि इस संबंध में सतर्कता बरती जाए। इस ग्राम सभा के ऐतिहासिक प्रस्ताव का ग्रामीणों और महिलाओं ने भी स्वागत किया।
1000 रुपये से कम के सर्वश्रेष्ठ ईयरबड, एक बार चार्ज करने पर घंटों तक सुन सकते हैं
.