वायु प्रदूषण से खुद को बचा सकते है -डॉ.सुंदीप साळवी
नागपुर WH न्यूज़ –देश मे वायु प्रदूषण दिन ब दिन खराब होते जा रहा है।ऐसे में प्रदूषण से बचने के लिए
इंडियन चेस्ट सोसाइटी के अध्यक्ष डॉ. सुंदीप साळवी कहते हैं, आप वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से खुद को बचने का मूलमंत्र शुक्रवार को आयोजित सेमिनार में दिया।
वायु प्रदूषण एक गंभीर राष्ट्रीय मुद्दा बन गया है और भारत में केवल 2% आबादी ही स्वच्छ हवा में सांस लेती है। भारत के कई शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच गया है। यहां तक कि नागपुर, जिसे भारत का दूसरा सबसे हरा-भरा शहर माना जाता था, ने हाल ही में चिंताजनक रूप से खराब वायु गुणवत्ता सूचकांक का अनुभव किया। इस प्रदूषित वातावरण के बीच, कोई खुद को वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों से कैसे बचा सकता है?
इस मुद्दे को संबोधित करने के लिए इंडियन चेस्ट सोसाइटी ने “वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य” पर एक सार्वजनिक वार्ता का आयोजन किया, जहां डॉ. सुंदीप साळवी, नेशनल प्रेजिडेंट इंडियन चेस्ट सोसाइटी ने इस विषय पर बात की। बातचीत के बाद एक पैनल चर्चा हुई जिसमें पैनलिस्ट प्रोफेसर डॉ. राधा मुंजे और एनईईआरआई की श्रीमती संगीता गोयल घाटगे और डॉ. सुंदीप साळवी शामिल थे।
सत्र का संचालन नागपुर के प्रसिद्ध पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. राजेश स्वर्णकार ने किया। डॉ. राजेश स्वर्णकार ने कहा कि वायु प्रदूषण श्वसन प्रणाली, विशेषकर फेफड़ों पर महत्वपूर्ण प्रतिकूल प्रभाव डाल सकता है। यह रोगियों में अस्थमा और सीओपीडी की स्थिति खराब होने के अलावा ब्रॉकाइटिस का कारण बन सकता है। डॉ. सुंदीप साळवी ने कहा, “यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि जिस हवा में हम सांस लेते हैं उसकी गुणवत्ता ज्यादातर जगहों पर खतरनाक है। कुछ कदम उठाने के लिए यह अहसास आवश्यक है। जब भी बाहर प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक हो या घर ही वायु प्रदूषण का स्रोत हो तो घर के अंदर मास्क पहनें। जब भी बाहर जाएं तो हमेशा मास्क पहनें।
3 परतों वाला मास्क (2 सूती परत और एक मध्य रेशम या शिफॉन की परत न केवल बहुत अच्छी सुरक्षा प्रदान करता है, बल्कि धोने योग्य और पुनः प्रयोज्य भी होता है। घर आने के बाद, अपनी नाक को गर्म पानी (जलनेति) से धोने की आदत बनाएं, जैसे आप हर दिन अपने दाँत ब्रश करते हैं।
प्रोफेसर राधा मुंजे, एचओडी, रेस्पिरेटरी मेडिसिन, आईजीएमसी ने कहा कि व्यक्ति को अच्छी तरह से हाइड्रेट रहना चाहिए। अधिक मात्रा में तरल पदार्थ पीना चाहिए। वायुमार्ग को साफ़ रखने के लिए आपके फेफड़ों को बहुत अधिक पानी (स्व-आर्द्रीकरण के माध्यम (से) की आवश्यकता होती है। शुष्क फेफड़े आपको वायु प्रदूषण के हानिकारक प्रभावों के प्रति अधिक संवेदनशील बनाते हैं। डॉ. राजेश स्वर्णकार ने आगे सलाह दी कि अच्छी तरह से खाएं जिसमे हरी पत्तेदार सब्जियां और कम से कम एक कटोरा फल, जिसमें हर दिन 2 अलग-अलग प्रकार के फल हों। इससे फेफड़ों की एंटी-ऑक्सीडेंट सुरक्षा में सुधार होगा और हमारे फेफड़े सुरक्षित रहेंगे।
डॉ.. सुंदीप साळवी ने नियमित व्यायाम पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पैदल चलना फेफड़ों के साथ-साथ दिल के लिए भी बहुत अच्छा व्यायाम है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन 30 मिनट से 1 घंटा तक चलने का लक्ष्य रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि नियमित योगा और प्राणायाम आपके फेफड़ों को भी स्वस्थ रखेगा। लेकिन अपने डॉक्टर की सलाह अवश्य लें, खासकर तब जब कुछ आसन और सांस लेने के व्यायाम
नुकसान पहुंचा सकते हैं। अनुलोम-विलोम फेफड़ों और दिमाग के लिए बहुत अच्छा व्यायाम है।
एनईईआरआई की प्रधान वैज्ञानिक श्रीमती संगीता गोयल घाटगे ने बताया कि नागपुर में हाल ही में बड़ा हुआ प्रदूषण चल रही निर्माण गतिविधियों और वाहनों से होने वाले प्रदूषण के कारण हो सकता है, जो आम जनता से सार्वजनिक परिवहन का उपयोग करने का आग्रह करता है। श्रीमती साक्षी देशमुख ने कार्यवाही का संचालन किया और धन्यवाद दिया ।