हमारा WH वेब न्यूज़ चैंनल है। आम जनता की समस्याओं पर प्रकाश डालने का कार्य करता है। हर तबको की खबरें प्रमुखता से प्रकाशित करने का दायित्व निभाते। देश की एकता अखण्डता रखने के लिए हर प्रयास करते है। किसान,बेरोजगारी,शिक्षा,व्यापार,की ख़बर प्रमुखतासे दिखाने प्रयास करते है। किसी भी जाती धर्म की भावनाओं को ठेच पहुँचानी वाली खबरों से हम दूर रहते है। देश की एकता ,अखंडता को हम हमेशा कायम रखने के लिए कार्य करेंगे। तो हमारे WH News को भारी मात्रा में सब्स्क्राइब कर हमें प्रोत्साहित करें।

भारतीय निवेशकों के एक दिन में डूबे 10 लाख करोड़

spot_img

पहलगाम अटैक ही नहीं ये 3 चीजें भी बनी फैक्टर
मुंबई.
भारतीय शेयर बाजार में शुक्रवार को भारी गिरावट देखने को मिली, जिसने निवेशकों को एक ही सत्र में करीब 10 लाख करोड़ रुपये का नुकसान पहुंचा दिया। सेंसेक्स ने दिन के कारोबार में 1,075 अंकों की भारी गिरावट दर्ज की और 78,726 के निचले स्तर पर पहुंच गया, जो 1.35% की कमी है। वहीं, निफ्टी 50 भी 368 अंक लुढ़ककर 23,879 पर आ गया, जो 1.5% की गिरावट दर्शाता है। बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप इंडेक्स में भी 3% से ज्यादा की गिरावट देखी गई। इस बिकवाली के चलते बीएसई पर लिस्टेड कंपनियों का कुल मार्केट कैप 430 लाख करोड़ से घटकर 420 लाख करोड़ रुपये पर आ गया।

हालांकि बाजार में सकारात्मक रूझान
हालांकि वैश्विक बाजारों में सकारात्मक रुझान दिखा, जहां जापान का निक्केई और कोरिया का कोस्पी 1% से ज्यादा उछले, लेकिन भारतीय बाजार इस तेजी का फायदा नहीं उठा पाया। अमेरिका में नैस्डैक और एसएंडपी 500 में क्रमशः 3% और 2% की बढ़त के बाद एशियाई शेयरों में तेजी आई, क्योंकि ट्रंप प्रशासन ने चीन पर टैरिफ 50-65% तक कम करने के संकेत दिए, जिससे व्यापार युद्ध की चिंताएं कम हुईं। लेकिन भारत में चार बड़े कारणों ने बाजार को नीचे खींच लिया।

ऐसे पड़ा असर
विशेषज्ञों का कहना है कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकी हमले ने भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा दिया है, जिसने बाजार की धारणा को प्रभावित किया। इसके अलावा विशेषज्ञों के अनुसार, नए ट्रिगर की कमी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ नीतियों में बार-बार बदलाव ने निवेशकों को सतर्क कर दिया, जिससे बिकवाली को बढ़ावा मिला। साथ ही भारत की मैक्रोइकोनामिक स्थिति मजबूत होने के बावजूद, व्यापार युद्ध के आर्थिक प्रभाव की चिंता बनी हुई है। बावजूद इसके निवेशकों को उम्मीद थी कि मजबूत नतीजे बाजार को और ऊपर ले जाएंगे, लेकिन ऐसा न होने से मायूसी छा गई। बाजार अब सरकार की ओर से उठाए जा रहे कदमों और वैश्विक रुझानों पर नजर बनाए हुए है, ताकि आगे की दिशा तय हो सके।

Advertisements