– सेना की आपात बैठक, बड़े निर्णय की ओर देश
ढाका.
भारत के पड़ोसी देश बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल बढ़ती ही जा रही है। अविश्वास के माहौल में कानून और व्यवस्था की ज़िम्मेदारी संभाल रही सेना की चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। ऐसे में सेनाध्यक्ष वकार उज जमां ने आपात बैठक बुलाकर देश में स्थिरता बहाल करने के उपायों पर चर्चा की। सेनाध्यक्ष की बुलाई बैठक में शीर्ष सैन्य अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें 5 लेफ्टिनेंट जनरल, 8 मेजर जनरल (जीओसी), स्वतंत्र ब्रिगेड के कमांडिंग अधिकारी और सेना मुख्यालय के अधिकारी शामिल थे। माना जा रहा है कि सेना की सिफारिश पर बांग्लादेश में जल्द ही आपातकाल घोषित करके यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार को बर्खास्त किया जा सकता है। ऐसे में बांग्लादेश में राष्ट्रपति शासन लागू किया जा सकता है। इसके अलावा बांग्लादेश में सेना अपनी निगरानी में राष्ट्रीय एकता सरकार बनाने के विकल्प पर भी विचार कर रही है।
कट्टरपंथियों के खिलाफ मोर्चा
इस बीच, बीएनपी महासचिव मिर्जा फखरुल इस्लाम आलमगीर ने देश में कट्टरपंथियों के उभार पर निशाना साधते हुए कहा है जिन लोगों ने बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दौरान सामूहिक हत्याओं में पाकिस्तानी सेना का सहयोग किया था, वो अब ऊंची आवाज़ में बोल रहे हैं। कुछ लोग, कुछ दल, कुछ समूह ऐसा दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि जैसे 1971 कभी हुआ ही नहीं..इसे लोगों की यादों से मिटाने की कोशिश कर रहे हैं। दूसरी ओर सेनाध्यक्ष जमान ने भी सेना मुख्यालय की एक बैठक को संबोधित करते हुए चेताया है कि देश में कट्टरपंथी आगामी दिनों में कानून-व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती पैदा कर सकते हैं। ऐसा होने पर इन तत्वों से सख्ती से निपटा जाएगा।
अमेरिकी सैन्य जनरल पहुंचे बांग्लादेश
बांग्लादेशी सेना की आपात बैठक ऐसे समय में हुई है जब अमेरिकी पैसिफिक कमांड के एक शीर्ष जनरल जेबी वॉवेल, बांग्लादेशी सेना के वरिष्ठ अधिकारियों से बातचीत के लिए 24 मार्च को ढाका पहुंचे हैं। दरअसल, देश की जनता और राजनीतिक दल, दोनों का ही मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार से भरोसा लगातार कम हो रहा है। देश में आर्थिक स्थिति भी बिगड़ती जा रही है। लोगों की आय घटी है, सड़कों पर विरोध प्रदर्शन बढ़े हैं और महिलाओं के खिलाफ अपराध में भारी इजाफा होने के साथ ही बांग्लादेश में इस्लामिक कट्टरपंथ का तेज़ी से उभार हो रहा है। इन सबके चलते मुख्य विपक्षी दल बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी अब सीधे यूनुस सरकार की नीयत पर सवाल उठा रही है। दूसरी ओर पिछले दिनों यूनुस सरकार के संरक्षण में गठित नए राजनीतिक दल नेशनल सिटिजन पार्टी के छात्र नेताओं ने सीधे सेना पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं।