बहराइच.
संभल के अलावा बहराइच में भी सालार मसूद गाजी की दरगाह पर हर साल जेठ मेला लगाया जाता है। चर्चा है कि नेजा मेला की तरह जेठ मेला के आयोजन पर भी बैन लग सकता है। इस मांग को लेकर विश्व हिंदू परिषद के सदस्य डीएम को ज्ञापन सौंपने की तैयारी कर रहे हैं। बता दें कि बहराइच का जेठ मेला हर साल 15 मई से शुरू होकर एक महीने तक चलता है। इस मेले में देश के विभिन्न राज्यों से लाखों श्रद्धालु आते हैं। परंपरा के अनुसार जियारत के लिए मजार शरीफ का मुख्य फाटक खोल दिया जाता है।
सैयद सलार मसूद गाजी की याद में आयोजन
यूपी के संभल में हर साल विदेशी आक्रांता महमूद गजनवी के सेनापति सैयद सलार मसूद गाजी की याद में नेजा मेला मनाया जाता है। इस साल पुलिस और प्रशासन ने नेजा मेला की अनुमति नहीं दी, जिसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है। एएसपी श्रीश चंद्र ने आयोजकों से कहा कि सलार मसूद गाजी ने सोमनाथ मंदिर को लूटा था। ऐसे व्यक्ति के नाम पर मेले का आयोजन कर उसका गुणगान किया जाना ठीक नहीं है।
महाराजा सुहेलदेव ने हराया था
इतिहास के पन्नों को खंगालने पर पता चलता है कि 1034 ईस्वी में बहराइच के पास बहने वाली चित्तौरा झील के किनारे महाराजा सुहेलदेव ने 21 पासी राजाओं के साथ मिलकर सालार मसूद गाजी को युद्ध में हरा दिया था। युद्ध में मारे गए गाजी के शव को बहराइच में ही दफना दिया गया था। उसकी दरगाह पर हर साल जलसे का आयोजन किया जाता है। मसूद गाजी महमूद गजनवी का भांजा भी था। अपनी सल्तनत को बढ़ाने के लिए गाजी 1030-31 के दौरान बाराबंकी होते हुए बहराइच और श्रावस्ती पहुंचा था।
दरगाह के रूप में मान्यता मिलने लगी
1034 ईसवी में मौत के बाद मसूद गाजी की कब्र बहराइच जिले में बनाई गई। यहां जल्द ही आस-पड़ोस से लोग पहुंचने लगे। वहीं 1250 ईस्वी में दिल्ली के सुल्तान नसीरुद्दीन महमूद ने इस कब्र पर मजार बनवा दी। लगातार लोगों के यहां मत्था टेकने से जल्द ही मजार की मान्यता दरगाह के रूप में हो गई। धीरे-धीरे यहां देश के कोने-कोने से लोग दस्तक देने लगे। हर साल मई में यहां उर्स मनाया जाता है और इस मेले में हिंदू-मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग पहुंचते रहे हैं।