एनडीए में शामिल होने की संभावना
मुंबई.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के तीसरे कार्यकाल की पहली वर्षगांठ जल्द ही आने वाली है। इससे पहले सुगबुगाहट इस बात की है कि केंद्र में सत्तारुढ़ राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सियासी ताकत बढ़ने वाली है। हम आपको बता दें कि ऐसी चर्चाएं हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के दोनों धड़ों का विलय होने वाला है और चाचा शरद पवार तथा भतीजे अजित पवार साथ आने वाले हैं। इसी तरह पंजाब में शिरोमणि अकाली दल बादल के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल भी अपने लाव-लश्कर के साथ एनडीए के साथ फिर से जुड़ने वाले हैं।
औपचारिकताएं पूरी
बताया जा रहा है कि इसकी औपचारिकताएं पूरी कर ली गयी हैं। दोनों धड़ों का प्रयास है कि महाराष्ट्र में जल्द होने वाले निकाय चुनावों से पहले विलय की प्रक्रिया पूरी कर ली जाये। बताया जा रहा है कि दोनों दलों के ज्यादातर नेता इस विलय के समर्थन में हैं, बस शरद पवार की पार्टी के 8 में दो सांसद ही इस विलय के विरोध में हैं।
इसलिए हुए हैं राजी
जानकार बताते हैं कि शरद पवार विलय के लिए इसलिए राजी हुए हैं, क्योंकि उन्हें इस बात की भनक लग गयी थी कि निकाय चुनावों से पहले उनकी पार्टी के अधिकांश नेता पाला बदल कर अजित पवार के साथ जाने की तैयारी कर रहे हैं। इसलिए शरद पवार ने मौके की नाजुकता को देख भतीजे को साथ लेने की सोची है। यह भी बताया जा रहा है कि एनसीपी के दोनों धड़ों के विलय होने की स्थिति में शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले को केंद्र में मंत्री बनाया जा सकता है। अभी केंद्र की एनडीए सरकार में एनसीपी का कोई प्रतिनिधि नहीं है। इस बाबत अजित पवार ने भाजपा नेताओं से बात भी की है।
पहलगाम हमले के बाद बदलाव
हालांकि भाजपा नेता अभी कुछ कहने से बच रहे हैं, क्योंकि उनका अनुभव यह रहा है कि शरद पवार उनके साथ बैठकों में कुछ और कहते हैं, लेकिन सार्वजनिक रूप से अलग रुख अख्तियार कर लेते हैं, इसलिए एनडीए के साथ आने की घोषणा उन्हीं की ओर से की जाये तो अच्छा रहेगा। बता दें कि पहलगाम हमले के बाद से शरद पवार केंद्र सरकार के साथ पूरी तरह खड़े नजर आ रहे हैं और हाल ही में उन्होंने इस मुद्दे पर संसद का विशेष सत्र बुलाने की कांग्रेस की मांग का विरोध करते हुए कहा था कि संवेदनशील मुद्दों पर चर्चा सार्वजनिक रूप से नहीं की जा सकती।
बादल ने भी की सराहना
दूसरी ओर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सीमा पार शांति के दुश्मनों से निपटने में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मजबूत और स्पष्ट दृष्टिकोण की सराहना की है। शिअद प्रमुख ने एक बयान में स्थिति को कूटनीतिक तरीके से संभालने के लिए मोदी की प्रशंसा की, जिसके चलते पाकिस्तानी सेना को ‘‘संघर्षविराम की भीख मांगने के लिए वाशिंगटन भागना पड़ा। बादल ने कहा, “युद्ध के मैदान में निर्णायक जीत के बाद, प्रधानमंत्री ने शत्रुता समाप्त करने के उनके अनुरोध को स्वीकार करके एक राजनेता की तरह काम किया। याद दिला दें कि शिरोमणि अकाली दल पहले भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) का घटक दल था लेकिन तीन कृषि कानूनों के विरोध में उसने एनडीए से नाता तोड़ लिया था।