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न्याय न मिलना, न्याय में देरी भी बदतर

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3 साल से फैसला अटका कर बैठा था हाई कोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने जारी कर दिया नोटिस
नई दिल्ली.
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में सुरक्षित अपीलों पर फैसला सुनाने में देरी के संबंध में झारखंड उच्च न्यायालय से विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। यह आदेश चार आजीवन कारावास की सजा पाए दोषियों की याचिका के बाद जारी किया गया, जिसमें आरोप लगाया गया था कि दोषसिद्धि के खिलाफ उनकी अपील का समाधान नहीं हुआ है। पीठ की अध्यक्षता कर रहे न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह ने झारखंड उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को एक सीलबंद रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया, जिसमें उन मामलों का ब्यौरा हो, जिनमें निर्णय सुरक्षित रखे गए थे, लेकिन दो महीने से अधिक समय तक निर्णय नहीं सुनाए गए।

हत्या और बलात्कार के आरोप
अधिवक्ता फौजिया शकील द्वारा प्रतिनिधित्व किए गए याचिकाकर्ताओं- पिला पाहन, सोमा बदांग, सत्यनारायण साहू और धर्मेश ओरांव ने तर्क दिया कि उन्हें 11 से 16 साल तक की अवधि के लिए जेल में रखा गया था। उन पर हत्या और बलात्कार के आरोप हैं, जिनमें से प्रत्येक वर्तमान में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है।

फैसले लगभग तीन साल से लंबित
अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित दोषियों ने कहा कि उनकी अपील पर सुनवाई हुई और 2022 में झारखंड उच्च न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रख लिया, फिर भी कोई फैसला नहीं सुनाया गया। याचिका में देरी के व्यापक निहितार्थों पर भी प्रकाश डाला गया और कहा गया कि चार याचिकाकर्ताओं के अलावा, दस अन्य दोषी इसी तरह की स्थिति में फंसे हुए हैं, और उनके फैसले लगभग तीन साल से लंबित हैं। जवाब में, सुप्रीम कोर्ट ने भी दोषियों द्वारा दायर जमानत याचिका पर नोटिस जारी किया है और मामले के बारे में झारखंड राज्य सरकार का दृष्टिकोण मांगा है।

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