आरोप : ममता बनर्जी पुरी के महत्व को कम करने की साजिश कर रही हैं
भुवनेश्वर.
पश्चिम बंगाल के दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर को लेकर ओडिशा और बंगाल सरकार में ठन गई है। ओडिशा सरकार कहना है कि पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर प्राचीन धाम है। बंगाल सरकार के नवनिर्मित मंदिर को जगन्नाथ धाम कहना गलत है। इसके साथ ही पुरी जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ दइतापति सेवक रामकृष्ण दासमहापात्र के विरोधाभाषी बयान की जांच करने को भी सरकार ने निर्देश दिया है।
जगन्नाथ धाम लिखने पर विवाद
विदित है कि दीघा में नवनिर्मित जगन्नाथ मंदिर को जगन्नाथ धाम लिखने तथा पुरी जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ दइतापति सेवक रामकृष्ण दासमहापात्र के विरोधाभाषी बयान कि महाप्रभु के नवकलेवर में बची लकड़ी से दीघा में जगन्नाथ भगवान की मूर्ति बनाए जाने को लेकर ओडिशा के विशिष्ट लोगों एवं सरकार की तरफ से कड़ी प्रतिक्रिया दी गई है। सरकार ने पुरी जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ दइतापति सेवक रामकृष्ण दासमहापात्र के विरोधाभाषी बयान की जांच करने के निर्देश दिए हैं। वहीं जगन्नाथ भक्तों ने कहा है कि पुरी के महत्व को कम करने के लिए ममता बनर्जी इस तरह की साजिश रच रही हैं।
ममता सरकार को फटकार
ओडिशा सरकार के उपमुख्यमंत्री कनकवर्धन सिंहदेव और कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने दीघा में जगन्नाथ मंदिर को लेकर उठे विवाद पर पड़ोसी राज्य की ममता सरकार को फटकार लगाते हुए कहा है कि पूरे भारत में चार धाम हैं। हर धाम में एक शंकराचार्य हैं। पश्चिम बंगाल के दीघा में स्थापित जगन्नाथ मंदिर को लेकर कोई समस्या नहीं है, लेकिन इसे जगन्नाथ धाम नहीं कहा जा सकता है। जगन्नाथ धाम अगर कहा जाता है तो पुरी को कहा जाता है। पुरी स्थित जगन्नाथ मंदिर प्राचीन धाम है। मुख्यमंत्री को इसकी जानकारी है। इसके लिए जो कदम उठाना चाहिए, वे उठाएंगे, प्रतीक्षा कीजिए।
अहंकार चरम पर
उपमुख्यमंत्री प्रभाति परिड़ा ने कहा कि निरंकुश शासकों का अहंकार धीरे-धीरे चरम पर पहुंच जाता है। हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारे भगवान (जगन्नाथ) सब कुछ सहन करते हैं लेकिन ‘अहंकार’ नहीं। समय बताएगा कि ‘अहंकार’ महान है या हमारा भगवान। वहीं, कानून मंत्री पृथ्वीराज हरिचंदन ने कहा कि सरकार घटना पर नजर रख रही है। मैंने पुरी जगन्नाथ मंदिर के मुख्य प्रशासक डॉ.अरिवंद पाढ़ी को जांच के लिए पत्र लिखा है। महाप्रभु की भावना के साथ खिलवाड़ करना ठीक नहीं है, जिसने भी गलत किया है उसे सजा जरूर मिलेगी।
आंतरिक जांच के निर्देश
उन्होंने कहा है कि पश्चिम बंगाल के दीघा में जगन्नाथ धाम लिखे जाने को लेकर मंदिर प्रशासन को आंतरिक जांच का निर्देश दिया गया है। इसके लिए हमने पुरी जगन्नाथ मंदिर प्रशासन को एक पत्र भी लिखा है। मंत्री ने यह भी कहा कि पिछले कुछ दिनों से मीडिया में जगन्नाथ महाप्रभु के मंदिर एवं श्रीजगन्नाथ संस्कृति को लेकर भ्रामक तथ्य प्रचारित किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल के दीघा में श्रीजगन्नाथ जी के मंदिर का निर्माण, मंदिर के नाम को जगन्नाथ धाम लिखा जाना, यहां के सेवकों का मंदिर के प्रतिष्ठा उत्सव में भाग लेना तथा नवकलेवर के समय की बची हुई लकड़ी से मूर्ति तैयार करने आदि जो चर्चा हो रही है, वह पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
विवादित बयान पर भारी घमासान
गौरतलब है कि जगन्नाथ मंदिर के वरिष्ठ दइतापति सेवक रामकृष्ण दासमहापात्र ने एक विवादित बयान देते हुए हाल ही में कहा था कि पुरी जगन्नाथ महाप्रभु के नवकलेवर के लिए जो लकड़ी आई थी, उसमें से बची हुई लकड़ी से ही दीघा में जगन्नाथ महाप्रभु की मूर्ति बनायी गई है। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद अब वह अपने बयान से पलट गए हैं। उन्होंने अब कहा है कि मंदिर प्रतिष्ठा के लिए मुझे बुलाया गया था, जिससे मैं वहां गया था। गलत होगा तो मैं वहां नहीं रहूंगा, नीम की लकड़ी से ही तैयार मूर्ति दीघा मंदिर में स्थापित की गई है। तिथि के अनुसार पूजा अर्चना की जाएगी। पुरी के अलावा और कहीं भी ब्रह्म नहीं हैं। जगन्नाथ जी की गरिमा को मै नष्ट नहीं होने दूंगा।