-अमेरिका ने 41% विदेशी छात्रों के आवेदन ख़ारिज किए
नई दिल्ली.
अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए विदेश में पढ़ने का क्रेज रहा है। विदेश में पढ़ाई करने की मंशा रखने वाले छात्रों के लिए यह अहम खबर है। एफ-1 वीज़ा खारिज होने की दर में इजाफा होने के कारण होने के कारण अमेरिका में भारतीय विद्यार्थी कम हो गए हैं, इसके उलट ब्रिटेन में भारत के विद्यार्थी अधिक हो गए हैं। रिपोर्ट के अनुसार सन 2023-24 में, भारतीय छात्रों की संख्या चीनी छात्रों से अधिक हो गई, जिससे भारतीय अमेरिका में सबसे बड़ा अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह (अंतराष्ट्रीय छात्रों का 29.4%) बन गए।
ये हैं आंकड़े
आंकड़ों के मुताबिक, सन 2023-24 में अमेरिका में 3.31 लाख भारतीय छात्र थे, जो भारतीय समूह के लिए अब तक का सबसे बड़ा आंकड़ा है। भारतीय अंतरराष्ट्रीय छात्रों के दूसरे सबसे बड़े स्रोत ब्रिटेन ने विदेशी छात्रों की संख्या सीमित करने के लिए देश में आश्रितों को लाने पर प्रतिबंध लगा दिया है। नतीजतन, ब्रिटिश विश्वविद्यालयों में अंतरराष्ट्रीय छात्रों के नामांकन में 40% तक की गिरावट आई है।
अमेरिका को 6.79 लाख आवेदन
अमेरिका को सन 2023-24 में एफ-1 वीज़ा (एफ-1 वीजा) के लिए कुल 6.79 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2.79 लाख (41%) नामंजूर कर दिए गए। यह 2022-23 से वृद्धि है, जब कुल 6.99 लाख में से 2.53 लाख आवेदन (36%) अस्वीकार कर दिए गए थे। ध्यान रहे कि अमेरिकी सरकार का वित्तीय वर्ष 1 अक्टूबर से 30 सितंबर तक चलता है।
भारतीयों को गत वर्ष 64,008 छात्र वीज़ा दिए गए
भारतीयों को सन 2024 में जनवरी से सितंबर तक 64,008 छात्र वीज़ा जारी किए गए, जो 2023 में इसी अवधि में 1.03 लाख से कम है। विदेश विभाग की वेबसाइट अब कहती है कि मार्च-सितंबर की मासिक रिपोर्ट दिसंबर 2024 में अपडेट की गई थी। इसके साथ, जनवरी-सितंबर से नौ महीनों के लिए कुल आंकड़ा 63,973 है, जो थोड़ा कम है। आंकड़ों के अनुसार, 2021 में इसी अवधि के दौरान 65,235 वीज़ा जारी किए गए, और 2022 में 93,181 वीज़ा जारी किए गए।
छात्र वीज़ा की संख्या 38% कम हो गई
पिछले वित्तीय वर्ष अक्टूबर 2023 से सितंबर 2024 तक अमेरिका की छात्र वीज़ा अस्वीकृति दर एक दशक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, जिसमें सभी देशों से 41% एफ-1 वीज़ा आवेदन अस्वीकार कर दिए गए और सन 2014 के वित्तीय वर्ष की अस्वीकृति दर से लगभग दुगुने हो गए हैं। अमेरिका में सन 2023-24 में एफ-1 वीज़ा के लिए कुल 6.79 लाख आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 2.79 लाख (41%) अस्वीकार कर दिए गए। यह 2022-23 से अधिक वृद्धि है, जब कुल 6.99 लाख में से 2.53 लाख आवेदन (36%) को नामंजूर कर दिए गए थे।
अस्वीकार करने का प्रतिशत बढ़ा
आंकड़ों के अनुसार, पिछले दशक में सभी देशों से आवेदनों की कुल संख्या में गिरावट के बावजूद छात्र वीज़ा अस्वीकार करने का प्रतिशत बढ़ा है। इस अवधि के दौरान, 2014-15 में आवेदनों की कुल संख्या 8.56 लाख के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, लेकिन अगले कुछ वर्षों में इसमें लगातार गिरावट देखी गई, जब तक कि यह 2019-2020 के कोविड वर्ष में 1.62 लाख के निचले स्तर पर नहीं पहुंच गई।
अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या सीमित करने की मांग
भारतीय छात्र अमेरिका में अंतरराष्ट्रीय छात्र समूह का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। असल में एफ-1 वीज़ा के अस्वीकृति के मामलों में वृद्धि ऐसे समय हुई है जब कुछ अन्य देशों ने अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या सीमित करने की मांग की है। उदाहरण के लिए, कनाडा ने 2024 में घोषणा की कि वह अध्ययन परमिट की संख्या सीमित कर देगा, जिसका अर्थ है कि 2023 की तुलना में इसमें 35% की कमी होगी। तब इसने साफ किया है कि “अंतरराष्ट्रीय छात्रों की संख्या में वृद्धि से आवास, स्वास्थ्य सेवा और अन्य सेवाओं पर दबाव पड़ता है। इसने 2025 में अध्ययन परमिट में 10 प्रतिशत की और कमी करने की घोषणा की है।